Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

मनुष्यता की तलाश विष्णु प्रभाकर के साहित्य का मूल तत्व : डॉ गंगेश गुंजन

104 वीं जयंती पर दैनिक पूर्वोदय के कार्यकारी संपादक रविशंकर रवि को पत्रकारिता सम्मान

कुमार कृष्णन /  नई दिल्ली। सुप्रसिद्ध साहित्यकार विष्णु प्रभाकर के 104 वें जन्म दिन के अवसर पर गांधी हिन्दुस्तानी साहित्य सभा, विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान, नई दिल्ली और राष्ट्रीय मासिक अनिल संदेश की ओर स​न्निधि सभागार में आयेजित समारोह में बिहार के भागलपुर में जन्मे और पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय रहे रविशंकर रवि को विष्णु प्रभाकर पत्रकारिता सम्मान और उत्तर प्रदेश के अयोघ्या की सुश्री बिन्दु पाण्ये 'विजेता' को विष्णु प्रभाकर शिक्षा सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान समारोह में जिन्द की डॅा सुधा मल्होत्रा को विष्णु प्रभाकर साहित्य साहित्य सम्मान, फरीदावाद की रंजना को और विशिदा की  सार्वजनिक भोजनालय समिति को विष्णु प्रभाकर समाज सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

 इस सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि बिहार सरकार के विद्यापति सम्मान से सम्मानित डॉ गंगेश गुंजन ने कहा विष्णु प्रभाकर का साहित्य समाज को दिशा देने में आज भी सक्षम है। उनके साहित्य का मूल तत्व है मनुष्यता की तलाश। आज जब मानवीय मूल्यों का क्षरण हो रहा है वैसे उनके साहित्य की प्रासंगिकता और ज्यादा बढ़ गई है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता का इजहार किया कि उनके जन्म दिन के अवसर पर प्रतिभा को तलाश उन्हें सम्मान देने का काम एक सुंदर प्रयास है।

वहीं विशिष्ट अतिथि  हिन्दी अकादमी की संचालन समिति की सदस्या और जानी मानी मीडिया विशेषज्ञ डॉ वर्तिका नंदा ने कहा कि आज समाज में हर ओर चुप्पी है, इस चुप्पी को तोड़ना होगा और प्रतिरोध की ताकत विकसित करनी होगी। यह हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। वहीं सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के पूर्व उपनिदेशक डॉ शिवशंकर सिंह पारिजात ने विष्णु प्रभाकर के साहित्य का विश्लेषण करते हुए कहा कि उनकी कृति ' आवारा मसीहा' शरत् चंद को समझने के लिए सशक्त कृति है। आवारा मसीहा हिन्दी जगत की अब तक ऐसी पहली रचना है जो गैर हिन्दी भाषी लेखक की पहली जीवनी है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध गांधीवादी और हरिजन सेवक संध के मंत्री लक्ष्मी दास ने कहा कि समाज में अच्छे काम करनेवालों को यदि हम प्रोत्साहित करेंगे तो एक सुंदर माहौल बनेगा। परिवर्तन एक सतत प्रकिया है। गलत कामों और अन्याय का प्रतिकार हमेशा किया जाना चाहिए। इस मौके पर बिहार की सुप्रसिद्ध साहित्यकार मीना तिवारी की कृति 'शोभना' का लोकापर्ण किया गया। उन्होंने कहा कि 'शोभना' का उनके जन्म दिन के पूर्व आना एक महत्वपूर्ण बात है। उससे भी महत्वपूर्ण है उनके जन्म दिन पर इसका लोकार्पण होना। यह उनके व्यक्तित्व का ही प्रभाव है। विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल प्रभाकर ने कहा कि यह सम्मान सम्मानित होनेवालों के लिए चुनौती है कि अपने—अपने क्षेत्रों में बेहतर कर दिखाएं। इस अवसर पर सुशील कुमार ने विष्णु प्रभाकर के 'धर्मनिरपेक्षता' पर विचार का पाठ किया।  वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने सन्निधि संगोष्ठी के मकसद को बताया।

सम्मान समारोह में अपने उद्गार व्यक्त ​करते हुए पत्रकार रविशंकर रविशंकर रवि ने कहा कि पूर्वोत्तर की जो तस्वीर मीडिया में पेश की जाती है, उससे पूर्वोत्तर भिन्न है। वे अपने को भारत का अभिन्न अंग मानते हैं। उनकी एक ही शिकायत है कि उनकी भावनाओं को नहीं समझा जाता है। कार्यक्रम को इंडिया बाटर पोर्टल के रमेश, पत्रकार अरूण तिवारी, कंचन ने ​भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन किरण आर्या ने किया।

रविशंकर रवि पिछले तीन दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय रहे है। वे न केवल पूर्वोत्तर के राज्यों की राजनीति, संस्कृति और कला को राष्ट्रीय धारा की पत्रकारिता में लाते रहे हैं बल्कि इन राज्यों के उग्रवादी बलबे आदि की सच्चार्इ्यों को भी हिम्मत से सामने लाते रहे हैं। प्रारंभ से ही यात्रा में गहरी दिलचस्पी रखनेवाले रविशंकर रवि ने पूर्वोत्तर की सघन यात्राएं की हैं। जनजातीय जीवन को समझने की कोशिश है और इन पर सैकड़ों आलेख देशभर की विभिन्न पत्र—पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। प्रिंट मीडिया के साथ इलेक्ट्रानिक मीडिया तक सफर करनेवाले रविशंकर रवि अच्छे कवि,रचनाकार और व्यंग्यकार भी हैं। रंगमंच लेखन में भी उनकी उपलव्धि है कि इनकी लिखी एकल नाटिका 'हम सब एक हैं' का देश भर में एक सौ से ज्यादा बार मंचन हो चुका है। पूर्वोत्तर के साहित्य और संस्कृति को हिन्दी पाठकों तक हिन्दी पाठकों को पहुंचाने के लिए गुवाहाटी से 'उलूपी' नामक पत्रिका निकालते रहे हैं।

बिहार के भागलपुर में जन्में पले—बढ़े रविशंकर रवि असम के गुवाहाटी से प्रकाशित दैनिक पूर्वोदय के कार्यकारी संपादक हैं।

वहीं अयोघ्या में जन्मी और पली— बढ़ी बिंदु पांडेय के प्रयासों से दस आदिवासी छात्र बाल वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

मध्य प्रदेश के शहडोल जिला स्थित जयसिंह नगर विकासखंड के कुदरी गांव में आदिवासी बच्चों के बीच विज्ञान शिक्षा का प्रचार— प्रसार करने वाली बिंदु पांडेय ने अपनी हिम्मत और सूझबूझ से सावित किया है कि जीवन में कुछ ठान लिया जाए तो वह पूरा होता ही है। बचपन से ही गरीबों और मुंहताजों की मदद करने में सदैव तत्पर रहनेवाली बिंदु पांडेय को बहुत बाधाएं आई पर वे कभी रूकी नहीं।आदिवासी क्षेत्र के एक स्कूल में अध्यापन कार्य करनेवाली बिंदु पांडेय केवल स्कूल तक सीमित नहीं रहती है बल्कि ग्राम पंचायतों की बैठकों भागीदारी भी निभाती हैं और शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई और स्वावलंबन का पाठ भी पढ़ाती है।

सम्मान समारोह में चर्चित पत्रकार श्रीवत्स दिवाकर,राजेंद्र रवि, कुमार कृष्णन,डॉ सीता बिम्ब्रा, अर्चना प्रभाकर, अनिता प्रभाकर, अनुराधा प्रभाकर, दूरदर्शन की प्रोड्यशर डॉ रेखा व्यास,उर्मिला माधव, सुनीता मदद फाउंडेशन की सचिव वंदना झा, चर्चित छायाकार सोमा विश्वास सहित राजधानी के साहित्यकारों, पत्रकारों और वुद्धिजीवियों ने हिस्सा लिया।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना