शैली-सम्राट राजा राधिकारमण प्रसाद एवं महाकवि केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ की जयन्ती मनायी गयी
पटना, 11 सितम्बर। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन मे आज बिहार की दो साहित्यिक विभूतियों, ‘शैली सम्राट’ के रूप मे यशस्वी हुए प्रसिद्ध कथाकार राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह तथा रामायण की खल चरित्र नायिका ‘कैकेयी’ पर प्रबंध काव्य के रचयिता महकवि केदार नाथ मिश्र ‘प्रभात’ की जयन्ती संयुक्त रूप से मनायी गयी। सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता मे आयोजित इस सारस्वत समारोह का उदघाटन बिहार विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो अरुण कुमार ने किया।
अपने उदघाटन-उदगार मे प्रो कुमार ने कहा कि, ये दोनों महान साहित्यकार जितने महान थे और जितना हिन्दी साहित्य को दिया, उतना सम्मान और महत्त्व आलोचना साहित्य ने उन्हे नही दिया। उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य मे बिहार के साहित्यकारों ने महत्तम योगदान दिया किन्तु बिहार के साहित्यकारों को देश के समालोचकों ने उतना महत्त्व नही दिया, जितना कि उनका अधिकार बनता था।
समारोह के मुख्य अतिथि एवं शांति निकेतन मे हिन्दी के पूर्व प्राध्यापक प्रो सियाराम तिवारी ने कहा कि मुंशी प्रेमचन्द भले ‘उपन्यास-सम्राट कहे जायें, किंतु ‘कथा साहित्य के सम्राट’ राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह ही हैं। उनकी लालित्यपूर्ण भाषा का साहित्य-जगत हमेशा कायल रहेगा। उसी तरह महाकवि प्रसाद भी अपाने उत्कृष्ठ प्रबंध-काव्य और खंड-काव्यों के कारण हिन्दी साहित्य मे अग्र-पांक्त्ये हैं।
अपने अध्यक्षीय-उदगार मे सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, गद्य और पद्य की इन दोनों महान विभूतियों का पुनः मूल्यांकन किया जाना चाहिये। आगे आने वाली पीढियां जब इनका अध्ययन करेगी तो सीख पायेगी कि किस तरह ऐसे साहित्य रचे जा सकते हैं, जिससे अमरता प्राप्त होती है।
इस अवसर पर, नृपेन्द्र नाथ गुप्त, पं शिवदत्त मिश्र, डा मेहता नगेन्द्र सिंह, कवि अमीयनाथ चटर्जी, देवेन्द्र देव, डा रमेश चन्द्र पांडे, कवि राज कुमार प्रेमी, डा नरेश पांडे चकोर, महाकवि प्रभात के सुपुत्र विजय वासुदत्त, आचार्य आनंद किशोर शास्त्री, मदन मोहन मिश्र, कृष्ण रंजन सिंह, हरिश्चन्द्र सौम्य, अशोक श्रीवास्तव तथा अभय सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मंच का संचालन साहित्य मंत्री बलभद्र कल्याण तथा धन्यवाद-ज्ञापन प्रधानमंत्री राम नरेश सिंह ने किया।