छतरपुर/ भारत को आजाद कराने में पत्रकारिता और प्रदेश से जुड़े जो लोग थे वह समाज सेवी और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचाने जाते थे देश के प्रत्येक महापुरुष ने देश सेवा समाज सेवा के पहले कहीं ना कहीं पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी आम भूमिका अदा की है वर्तमान पत्रकारिता सनसनी के समाचारों और भ्रष्टाचार उजागर करने तक ही सीमित नजर आ रही है हमें अपनी जिम्मेदारियां समझकर समस्याओं को उठाने के साथी भारत देश में युवाओं के जीवन को बचाने के लिए नैतिक शिक्षा और भारतीय संस्कृति को लेकर काम करने की आवश्यकता है I बुंदेलखंड के वरिष्ठ पत्रकार व समाज सेवी संतोष गंगेले ने दीपावली के दिन समाज में अंतिम लाइन में खड़े मजदूर पीड़ित परेशान झुग्गी-झोपड़ियों बच्चों के बीच दिवाली मनाते हुए पत्रकारों द्वारा पूछे गए जवाबों के सवाल में अपने ये विचार व्यक्त किए I
पत्रकार संतोष गंगेले ने कहा कि उन्हें किसी राजनीतिक पद की आवश्यकता नहीं है, जिस कारण से समाज सेवा का कार्य विगत 30 वर्षों से करते आ रहे हैं निस्वार्थ भाव से समाज और देश सेवा के लिए वह जो समय धन हो सकता है वह अपनी हैसियत बचत के अनुसार करते हैं एक प्रश्न के उत्तर में सामाजिक कार्यकर्ता संतोष गंगेले ने कहा कि सामाजिक समरसता के प्रति पिछले 15 वर्षों से लकवा से पीड़ित तथा दिव्यांग कुमारी उषा बाल्मीकि के घर पहुंचते हैं बेटी को नए वस्त्र मिठाइयां दिवाली पूजन का सामान देकर उसके घर दिवाली मनाते हैं फिर कहीं जाकर वह अपने घर दीप जलाते हैं उन्होंने कहा कि इस प्रकार सामाजिक कार्य करने से उन्हें मानसिक सुख प्राप्त होता है और मानसिक सुख प्राप्त करने के लिए संसार के प्रत्येक प्राणी तरह तरह के अपनी तरह से कार्य करते हैं.
मीडिया से जुड़े लोगों को समाज सेवा के लिए कुछ नए काम करने की आवश्यकता है समाजसेवी संतोष गंगेले बताया कि वह भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए वर्ष 1981 से पत्रकारिता के साथ साथ जन जागृति अभियान कौमी एकता पार्क वाला सप्ताह कहानी मंचन के माध्यम से अपने जीवन को संचालित करते आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह भारतीय संस्कृति नैतिक शिक्षा के लिए शिक्षा स्वास्थ्य स्वछता समस्त आसमा विषय को लेकर लगातार काम कर रहे हैं इस कार्य में वह छतरपुर टीकमगढ़ जिले के साथ-साथ सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के जिलों को भी अपनी जन जागरण अभियान में शामिल किए हैं.