खाने-पीने के शौकीन सूचना कर्मियों द्वारा अनधिकृत लोगों को दिलाया जाता है मीडिया पास
अम्बेडकरनगर। जिले का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग वर्ष 2004 से विभागाध्यक्ष विहीन है, कलेक्ट्रेट के द्वितीय तल पर एक हाल टाइप कमरे में 2-4 कुर्सी और एक मेज, एक पुरानी आलमारी रखकर प्रोजेक्टर ऑपरेटर और उर्दू अनुवादक जैसे दो कर्मचारी अपने तरीके से काम कर रहे हैं। बीते माह प्रभारी जिला सूचनाधिकारी की सेवानिवृत्ति उपरान्त अम्बेडकरनगर के जिला सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग की हालत और भी अस्त-व्यस्त हो गई है। लोकसभा चुनाव 2014 में जिले के वास्तविक/अधिकृत पत्रकारों को मतदान और मतगणना ‘पास’ देने में जहाँ जिला प्रशासन को कोई गुरेज नहीं था वहीं दूसरी तरफ मो. वसीम (मोबाइल नम्बर- 9453420317) और पंडित दिवाकर दत्त मिश्रा (मोबाइल नम्बर- 9415496308) जैसे दो सूचना कर्मियों द्वारा खाने-पीने का जुगाड़ करने वाले अनधिकृत पत्रकारों को ‘प्रेस पास‘ जारी करवाए गए।
जब भी कोई ऐसा अवसर आता है जब पत्रकारों को संवाद संकलन के लिए प्रेस/मीडिया पास की जरूरत पड़ती है तब-तब मो. वसीम (उर्दू अनुवादक) और पंडित दिवाकर दत्त मिश्र अनधिकृत पत्रकारों से सौदेबाजी करके उन्हें अनुचित रूप से सरकारी लाभ दिलाते हैं और ऐसी स्थिति में अधिकृत पत्रकारों को प्रेस पास से वंचित होना पड़ता है। प्रिन्ट एवं वेब मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार और एक लोकप्रिय हिन्दी दैनिक के जिला ब्यूरो प्रमुख को यह कहकर प्रेस/मीडिया पास नहीं दिया गया कि प्रशासन द्वारा उन्हें (पत्रकार को) पास देने के लिए सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के कर्मचारियों को मना किया गया है। जब प्रेस पास जारी करने वाले अधिकारी से इस बावत बात की गई तब उन्होंने स्पष्ट कहा कि जितने भी प्रेस पास उनके समक्ष लाए गए थे सब पर उन्होंने हस्ताक्षर किये हैं।
मो. वसीम का कहना था कि एस.डी.एम. अकबरपुर झूठ बोल रहे हैं। रही बात सीनियर मीडिया परसन को प्रेस पास न दिए जाने की तो इसके लिए वह नहीं अपितु जिला सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के पंडित दिवाकर दत्त मिश्रा (प्रोजेक्टर आपरेटर) जिम्मेदार हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि जिला सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के मो. वसीम कितना सच और कितना झूठ बोल रहे हैं, जबकि पंडित दिवाकर दत्त मिश्रा से बात करने पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की सख्त मनाही थी कि एक कार्यालय/छत के नीचे काम करने वाले दो भिन्न मीडिया के अधिकृत संवाददाताओं/पत्रकारों को पास न देकर मात्र एक ही को दिया जाए। जबकि एक-एक अखबार दो से चार और अनेकों अनधिकृत लोगों को मीडिया पास जारी किए गए थे।
चूंकि पंडित दिवाकर दत्त मिश्र सुल्तानपुर जनपद के कादीपुर तहसील के रहने वाले हैं, सवर्ण जाति के हैं, खाने-पीने के शौकीन हैं और अपने को सत्ताधारी दल से सम्बन्धित कहते हैं। इनसे बातें करने पर अनाप-शनाप बोलने लगते हैं इसलिए वरिष्ठ पत्रकार का साहस नहीं हुआ कि वह उनसे (मिश्रा जी से) प्रेस/मीडिया पास के लिए मिन्नत कर सके और साथ ही सौ-दो सौ रूपए खर्च कर सकें। यहाँ यह भी बताना जरूरी है कि मतदान के दिन उक्त वरिष्ठ पत्रकार को प्रेसपास मिला था जबकि मतगणना के दिन जिला सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के दो निरंकुश एवं खाने-पीने वाले कर्मचारियों की मनमानी से मतगणना प्रेस/मीडिया पास से वंचित होना पड़ा।
लोकसभा सामान्य निर्वाचन 2014 मीडिया पास से वंचित वरिष्ठ पत्रकार मतगणना स्थल के निकट स्थापित मीडिया सेन्टर तक नहीं पहुँच सकने की वजह से चिलचिलाती धूप में खड़े-खड़े अपने मोबाइल से उक्त दोनों सूचना कर्मियों से मीडिया पास मांगते रहे, लेकिन दोनों के कान पर जूँ तक नहीं रेंगी। बियावाँन में धूप में खड़े रहने पर उन्हें लू लग गई और अस्वस्थ हो गए। गर्म हवा के झोंकों और त्वचा झुलसाती प्रचण्ड गर्मी से त्रस्त वरिष्ठ पत्रकार किसी तरह 3 कि.मी. पैदल चलकर अपने प्रेस/मीडिया कार्यालय पहुँचकर आप बीती रेनबोन्यूज को सुनाया जो अत्यन्त शोचनीय है।
जिला प्रशासन, जिला निर्वाचन अधिकारी का ध्यानाकृष्ट कराते हुए जिले के उक्त वरिष्ठ पत्रकार के शुभचिन्तकों, शिष्यों एवं सहकर्मियों, पत्रकारों ने माँग की है कि जिले के दोनों निरंकुश, लालची, सुविधा शुल्क भोगी सूचना कर्मियों की करतूतों की जाँच कराकर उचित/आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाए ताकि भविष्य में इन निरंकुश कर्मियों के रवैय्यों की पुनरावृत्ति पर अंकुश लग सके वर्ना हर बार अधिकृत, सक्रिय पत्रकारों को इस तरह की परेशानियों से दो-चार होना पड़ेगा।
रिपोर्ट:- अंकित शेखर विश्वकर्मा, अम्बेडकरनगर (उ.प्र.)