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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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हरि मृदुल को 'वर्तमान साहित्‍य कमलेश्‍वर कहानी पुरस्‍कार'

जाने माने पत्रकार भी

युवा कवि और कथाकार हरि मृदुल को वर्ष 2012 के लिए प्रतिष्ठित ' वर्तमान साहित्‍य कमलेश्‍वर कहानी पुरस्‍कार' देने की घोषणा की गई है। उनकी कहानी 'हंगल साहब, जरा हंस दीजिए' का चयन अखिल भारतीय स्‍तर पर हुई एक प्रतियोगिता में किया गया है। इस पुरस्‍कार के लिए चयनित इस कहानी में फिल्‍मी दुनिया की चमक-दमक के पीछे की कालिमा का एक अनूठे शिल्‍प में बखान है।

प्रख्‍यात कहानीकार कमलेश्‍वर के परिवार की ओर से प्रतिवर्ष यह पुरस्‍कार दिया जाता है। अलीगढ़ से प्रकाशित होने वाली चर्चित साहित्यिक मासिक पत्रिका 'वर्तमान साहित्‍य' कमलेश्‍वर जी के नाम की अखिल भारतीय स्‍तर पर हर वर्ष एक कहानी प्रतियोगिता का आयोजन करती है। इस साल देश भर से सैकड़ों कहानियां प्राप्‍त हुई थीं। इस बार प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में थे प्रो. गंगा प्रसाद विमल, प्रो. सूरज पालीवाल और वरिष्‍ठ कथाकार प्रो. काजी अब्‍दुल सत्‍तार। 13 मार्च, 2013 को अलीगढ़ में आयोजित एक भव्‍य समारोह में हरि मृदुल को यह पुरस्‍कार दिया जाएगा।

हरि मृदुल कवि और कथाकार के साथ ही जाने माने पत्रकार भी हैं। फिलहाल वे दैनिक अमर उजाला के मुंबई ब्‍यूरो में विशेष संवाददाता के पद पर कार्यरत हैं। कथाकार हरि मृदुल समकालीन साहित्‍य जगत की नामचीन हस्‍ती हैं। उनके अब तक दो कविता संग्रह 'सफेदी में छपा काला' और 'जैसे फूल हजारी' प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी और बाल साहित्‍य में भी उनकी लेखनी लगातार ध्‍यान खींचता रहा है। वे मूल रूप से उत्‍तराखंड के हैं और उन्‍होंने अपनी लोक भाषा कुमाऊंनी में भी कविता और गीतों की रचना की है। हरि मृदुल को अब तक महाराष्‍ट्र साहित्‍य अकादमी का प्रतिष्ठित संत नामदेव पुरस्‍कार, हेमंत स्‍मृति कविता सम्‍मान, कथादेश लघुकथा पुरस्‍कार और कादंबिनी लघुकथा पुरस्‍कार मिल चुके हैं। उनकी रचनाओं के अनुवाद अंग्रेजी, मराठी, असमी, नेपाली, पंजाबी, उर्दू और कन्‍नड़ भाषाओं में भी हुए हैं। वे पिछले बीस वर्षों से मुंबई में हैं.

 

 

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सम्पादक

डॉ. लीना