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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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न्यूज करे कन्फयूज...!!

तारकेश कुमार ओझा/ चैनल पर ब्रेकिंग न्यूज चल रही है... टीम इंडिया मैच हारी...। कुछ देर बाद पर्दे पर सुटेड – बुटेड कुछ जाने – पहचाने चेहरे उभरे। एक ने कहा ... आफ कोर्स ... कैप्टन किंग को समझना होगा.... वे अपनी मनमर्जी टीम पर नहीं थोप सकते... । आखिर उन्होंने ऐसा फैसला किया ही क्यों... दूसरा बोला... कैप्टन किंग को समझना होगा... उनकी उम्र हो चली है...। वे टीम के लिए  अब पहले जैसे लकी नहीं रहे। थोड़ी देर बाद पर्दे पर एक और चेहरा नजर आया, जो चतुर राजनेता की तरह एंकर के सवालों का बड़ा डेप्लोमेटिक जवाब दे रहा था... जी मैं नहीं मानता कि कैप्टन किंग की उम्र हो गई है। एक हार के बदले आप उन पर इतना बड़ा इल्जाम नहीं लगा सकते... उन्होंने टीम के लिए इतना कुछ किया है... मुझे लगता है उनमें अभी भी बहुत क्रिकेट बाकी है...।

दूसरे दिन टीम इंडिया मैच जीत गई थी।

अब पर्दे पर बिल्कुल विरोधाभासी बातें।

आफ कोर्स .... कैप्टन किंग बेमिसाल हैं। उस खिलाड़ी को टीम से बाहर कर उन्होंने ठीक ही किया... अरे वे ऐसे प्रयोग करते रहते हैं...।

चैनल पर एक और खबर चली... चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक बातें कहने के लिए फलां – फलां को आयोग का नोटिस... कड़ी चेतावनी...।

थोड़ी देर बाद ब्रेकिंग न्यूज दिखाई जाने लगी... फलां नेता ने फिर आपत्तिजनक बातें कहीं। एंकर कह रहा है... उन्होंने इतनी भद्दी भाषा का इस्तेमाल किया है कि हम आपको उन्हें दिखा या सुना भी नहीं सकते।

कुछ देर बाद पर्दे पर कुछ नेताओं को किसी बैठकखाने से निकलते दिखाया जा रहा है। एंकर कह रहा है कि भड़कीले भाषणों के लिए फलां पार्टी अध्यक्ष ने नेताओं की क्लास ली। भविष्य़ में उन्हें ऐसा न कहने को कहा गया है। अन्यथा कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

लेकिन कुछ देर बाद फिर बैठकखाने से बाहर निकलते देखे जाने वालों में शामिल किसी वीर का फिर वैसा ही भाषण दिखाया – सुनाया जाता है। एंकर गला फाड़ – फाड़ कर चिल्ला रहा है... अमुक ने फिर विवादित बयान दिया...।

एक दिन देखा कि कोई शख्स पर्दे पर देश के एक शीर्ष पदाधिकारी को काफी भला – बुरा कह रहा है... । बयान देते हुए उस शख्स को कई बार आपे से बाहर होते भी देखा।

दूसरे दिन खबर चली कि वह पदाधिकारी उस सज्जन से मिलना चाहते हैं।

अब उनका सुर बिल्कुल बदला हुआ था। जवाब मिला... मुझे खुशी है कि उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जताई। मैं तो कहता हूं कि समान विचारधारा वाले हर किसी को उनसे मिलना चाहिए।

एक दिन किसी भव्य शादी समारोह में बायें – दाहिने हर पंथ के नेताओं को आपस मे प्रेम से गले मिलते देखा जाता है। दूसरे दिन वही नेता एक दूसरे को पानी – पी – पीकर कोस रहे हैं।

एक  दृश्य में नजर आता है कि धोती – कुर्ता  पहने एक नेता दूसरे की जन्म कुंडली खोले बैठा है। लेकिन चंद मिनट बाद पता चलता है कि यह तो उसी नेता का नजदीकी रिश्तेदार है ।

समाचारों का यह कंफ्यूजन केवल शीर्ष स्तर ही नहीं, बल्कि निचले स्तर पर भी नजर आता है।

हमारे मोहल्ले के शर्माजी के बेटे की बड़ी मुश्किल से नौकरी लगी। शर्माजी ने लाख जतन किए सब को बताने की । पूजा – पाठ के साथ पार्टी भी दी। लेकिन किसी ने नोटिस नहीं लिया। लेकिन नौकरी छूटते ही इतनी व्यापक चर्चा शुरू हुई कि बेचारे परेशान हो उठे।

एक और परिचित ने धूमधाम से शादी रचाई तो लोगों ने ज्यादा भाव नहीं दिया। लेकिन तलाक की अर्जी अदालत में लगाते ही अफवाह बाजों ने उन्हें सेलिब्रिटीज बना डाला। जिधर निकलते सवाल उछलने लगता... आखिर तलाक की नौबत आई ही क्यों... अभी आपकी शादी को तो ज्यादा दिन हुए भी नहीं।

खुद को प्रकांड विद्वान बताने वाले हमारे शहर के कथित बुद्धिजीवी को पिछले साल कोई पुरस्कार मिला था । जनाब ने  इसका जम कर ढोल पीटा... लेकिन किसी ने तवज्जों नहीं दी। लेकिन परिस्थिति की मांग को समझते हुए जैसे ही उन्होंने पुरस्कार लौटाने की घोषणा की, उनके घर के सामने मीडिया का जमावड़ा लग गया। प्रिंट मीडिया के साथ चैनल वाले भी आ धमके। सवालों का दौर शुरू... आप पुरस्कार क्यों लौटा रहे हैं... क्या पुरस्कार के साथ चेक भी लौटाएंगे...। समाचारों का यह कंफ्यूजन सचमुच किसी गड़बड़झाला से कम नहीं। 

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।

तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल) पिन ः721301 जिला प शिचम मेदिनीपुर संपर्कः 09434453934
, 9635221463

 

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सम्पादक

डॉ. लीना