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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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बकवास के लिए हमारे पास टाइम नहीं

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी/  हैल्लो! जी हाँ बोलो- पर ध्यान रहे तुम्हारी बकवास के लिए हमारे पास टाइम नहीं है। क्यूँ जी ऐसा काहें को बोल (कह) रहे हैं? यार बड़े घामड़ हो- देख नहीं रहे हो- पूरे देश में रोहित वेमुला, कन्हैया, ऋचा सिंह जे.एन.यू./इलाहाबाद विश्व विद्यालय छाया हुआ है- एक तुम हो कि इस हालात में मुझसे यह पूँछ रहे हो कि हमारे पास वक्त क्यों नहंी हैं.....? खैर! छोड़ो और बोलो क्यों काल किया.....? सर जी- अनुपम खेर को जानते हैं, वहीं कर्मा फिल्म वाले कड़क जेलर जिनकी बीवी भाजपा की सांसद हैं- किरन खेर नाम है। 

आज कल योगी और साध्वियों पर अपना निशाना साधे हुए हैं- यार बस भी करो जब तुम ही सब कुछ बता दे रहे हो तब दूसरों से पता करके क्या करूँगा। योगी आदित्यनाथ ने पलटवार करके कह डाला कि असल जिन्दगी में भी अनुपम खेर एक विलेन ही हैं। सर जी पलटवार किस बात पर...........अरे भइया इस पर जो अनुपम खेर ने कहा था कि योगी और साध्वी की जगह जेल में हैं- उसी के जवाब में योगी ने उन्हें रील लाइफ/रीयल लाइफ दोनों में विलेन कहा। 
 सर जी मान गए-- आप वाकई पहुँचे हुए हैं। मैं समझता था कि न अखबार न टी.वी. और न ही इन्टरनेट का उपयोग करने वाले को यह सब खबरें कैसे पता होंगी? सर जी- तब तो आप आर.एस.एस. के आदर्श शर्मा को भी जानते होंगे- अब डियर घोंचू मैं इतना ही कहूँगा कि इट्स टू एनफ- काहें को बोर कर रहे हो फोन काट दूँ क्या--- आदर्श शर्मा ने ही तो कन्हैया का सिर कलम (हत्या) करने वाले को 11 लाख रूपए इनाम देने का एलान किया था-- बेचारा धर लिया गया- उसके बैंक खाते में मात्र 150 रूपए ही निकले। 
सर जी...........बस करिए-- मैं जान गया कि आप वाकई उस्तादों के उस्ताद हैं। फिर भी- रिंगिंग बेल्स के बारे में आप को बताना चाहूँगा। --चोप्प मैं ऐसी कोई खबर नहीं जानना चाहता जो अब पुरानी हो गई हो। फ्रीडम-251 का एन्ड्रॉयड फोन देने वाली कम्पनी के दफ्तर में ताले लटक गए हैं। 4 हजार कीमत का मोबाइल और लोगों को 251रूपए में देने का झूठा वायदा करने वाला मोहित गोयल जिसका बाप पंसारी। खैर! छोड़ यार अब कोई नई बात-- लेकिन यह मत कहना कि एम.एल.सी. के चुनाव में उत्तर प्रदेश की रूलिंग पार्टी ने भारी जीत हासिल की। 27 में से 22 पर सपा का कब्जा हो गया। 
ठीक है सर जी- कुछ पुरानी बातें जिन्हें आप शायद भूल रहे हो। ठीक है- बोल डाल यार-- लगता है तुम टेलीनार के उपभोक्ता हो.....वर्ना इत्ती देर तक फोन पर बातें न करते.....? ठीक समझे सरजी- ठीक अब आगे बोल--- सुपरिचित लेखक, समीक्षक, टिप्पणीकार द्वारा करप्शन पर लिखे गए आर्टिकल्स को कई पोर्टल/प्रिण्ट मीडिया ने प्रकाशित किया हैं। तुम्हें कैसे पता चला? सर जी-- मैं एफ.बी. सब्सक्राइबर हूँ। और उक्त पत्रकार का फेसबुकिया फ्रेन्ड भी हूँ। उसके आर्टिकल्स जब भी कहीं छपते हैं तो वह उनको ‘शेयर’ करता है-- ऐसी स्थिति में मैं देख पढ़ लेता हूँ ।
चल आगे बोल- एक और पत्रकार हैं-- उनकी एफ.बी. पोस्ट में प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही चुनाव लड़कर सत्ता शीर्ष पर पहुँचने वाले हैं। एक और हैं- कसम बाय गॉड की जब भी लिखते हैं- दर्शन शास्त्र के प्रोफेसर भी उनके आगे बौने प्रतीत होने लगते हैं- उनके एफ.बी. पोस्ट कभी-कभार पढ़ने को मिलते हैं- वह भी एफ.बी. मित्र हैं। सर जी- सुन रहे हैं ना मेरी बात-- हाँ-हाँ थोड़ी झपकी आ गई थी। आगे बोल यार बड़ी दूर की कौड़ी लाए हो- सर जी ठीक है अब मैं दूरभाषीय वार्ता को विराम देना चाहूँगा। इंशा अल्लाह कल आप के आश्रम आकर दीदार करूँगा.......शेष बहुत ढेर बातें आप के हुजूर में-- इत्ती बकवास के लिए मुआफी चाहूँगा। फोन कट हो जाता है। पिन ड्राप साइलेन्स होने पर लिखने का मूड बन जाता है- सो आप के सामने प्रस्तुत कर दिया।

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
9454908400

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सम्पादक

डॉ. लीना