ग्वालियर के बिन्हैटी गांव का किसान लेखक होगा अंतर्राष्टीय सम्मान से कैनेडा में सम्मानित, प्रो. हरिशंकर आदेश, महेश कटारे एवं सुदर्शन प्रियदर्शिनी को दिया जाएगा सम्मान
सीहोर/कैनेडा। उत्तरी अमेरिका की प्रमुख त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’ के भारत समन्यवक तथा पत्रिका के सह सम्पादक पंकज सुबीर ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी है कि ‘ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउन्डेशन-अमेरिका’ तथा ‘हिन्दी चेतना-कैनेडा’ द्वारा प्रारंभ किये गये साहित्यकारों और साहित्य के सम्मानों के नाम चयन के लिए प्रबुद्ध विद्वानों की जो निर्णायक समिति बनाई थी, उस समिति ने 2010 से 2013 तक के उपन्यासों और कहानी संग्रहों पर विचार-विमर्श करके जिन साहित्यकारों को सम्मान हेतु चयनित किया है, वे हैं -'ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउन्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय साहित्य सम्मान' : (समग्र साहित्यिक अवदान हेतु) प्रो. हरि शंकर आदेश (उत्तरी अमेरिका -ट्रिनिडाड), 'ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउन्डेशन-हिन्दी चेतना अंतर्राष्ट्रीय कथा सम्मान' : उपन्यास-कामिनी काय कांतारे (महेश कटारे) भारत, कहानी संग्रह -उत्तरायण (सुदर्शन प्रियदर्शिनी) अमेरिका। सम्मान समारोह 26 जुलाई 2014 शनिवार को कैनेडा के स्कारबोरो सिविक सेण्टर में आयोजित किया जाएगा। पुरस्कार के अंतर्गत तीनों रचनाकारों को ‘ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउन्डेशन-अमेरिका’ की ओर से शॉल, श्रीफल, सम्मान पत्र, स्मृति चिह्न, प्रत्येक को पाँच सौ डॉलर (लगभग 31 हज़ार रुपये) की सम्मान राशि, कैनेडा आने जाने का हवाई टिकिट, वीसा शुल्क, एयरपोर्ट टैक्स प्रदान किया जाएगा एवं कैनेडा के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण भी करवाया जाएगा।
पंकज सुबीर ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश के ग्वालियर के बिन्हैटी गांव के लेखक महेश कटारे पेशे से किसान हैं। हिन्दी के महत्त्वपूर्ण कहानीकार श्री कटारे के अभी तक पाँच कहानी संग्रह- समर शेष है, इतिकथा-अकथा, मुर्दा स्थगित, पहरुआ, छछिया भर छाछ आ चुके हैं। सम्मानित उपन्यास कामिनी काय कांतारे राजा भर्तहरि पर लिखा गया उनका वृहत् तथा शोधपरक उपन्यास है जो दो खंडों में प्रकाशित हुआ है। उन्हें अब तक कथाक्रम सम्मान, वागीश्वरी सम्मान, साहित्य परिषद व साहित्य अकादमी के मुक्तिबोध व सुभद्राकुमारी चौहान पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। वहीं अमेरिका के ओहेयो की लेखिका सुदर्शन प्रियदर्शिनी के अब तक चार उपन्यास- सूरज नहीं उगेगा, जलाक, रेत के घर, न भेज्यो बिदेस तथा चार कविता संग्रह- शिखंडी युग, बराह, यह युग रावण है, मुझे बुद्ध नहीं बनना प्रकाशित हो चुके हैं। उन्हें उनके कहानी संग्रह उत्तरायण के लिये यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है। कैनेडा निवासी प्रो. हरिशंकर आदेश की 180 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। महाकाव्यः अनुराग, शकुन्तला, महारानी दमयन्ती, निर्वाण। खण्ड काव्यः मनोव्यथा, निराशा, मन की दरारें, लहू और सिंदूर, आकाश गंगा, रजनीगंधा, प्रवासी की पाती भारत माता के नाम, निर्मल सप्तशती आदि छः सप्तशती, गीत रामायण, शतदल, शरदः शतम् आदि। कथा साहित्यः रजत जयन्ती, निशा की बाहें, सागर और सरिता आदि। नाटकः देशभक्ति, सूरदास, निषाद कुमार, अशोक वाटिका, शबरी आदि । उपन्यासः निष्कलंक, गुबार देखते रहे आदि। निबन्धः झीनी झीनी बीनी चदरिया, ज्योति पर्व उनके प्रमुख ग्रंथ हैं। समग्र साहित्यिक अवदान हेतु उन्हें सम्मान प्रदान किया जा रहा है।
‘ढींगरा फ़ैमिली फ़ाउन्डेशन-अमेरिका’ की स्थापना भाषा, शिक्षा, साहित्य और स्वास्थ के लिए प्रतिबद्ध संस्थाओं की आर्थिक सहायता करने हेतु की गई है ताकि इनके द्वारा युवा पीढ़ी और बच्चों को प्रोत्साहित कर सही मार्गदर्शन दिया जा सके। देश-विदेश की उत्तम हिन्दी साहित्यिक कृतियों एवं साहित्यकारों के साहित्यिक योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करना भी इसका उद्देश्य है। हिन्दी चेतना द्वारा जुलाई 2014 में फ़ाउन्डेशन इन सम्मानों को आरंम्भ कर रही है। उत्तरी अमेरिका की त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका ‘हिन्दी चेतना’ को गत 16 वर्षों से हिन्दी प्रचारिणी सभा प्रकाशित कर रही है। हिन्दी प्रचारिणी सभा की स्थापना 1998 में हुई थी। हिन्दी प्रचारिणी सभा गत 16 वर्षों से विदेशों में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में एक विशेष भूमिका निभा रही है । ‘हिन्दी चेतना’ का प्रकाशन कैनेडा के साथ-साथ इसी वर्ष से भारत में भी शुरू हो गया है। ‘हिन्दी चेतना’ के सम्पादकीय मंडल में श्याम त्रिपाठी संरक्षक, मुख्य संपादक तथा हिन्दी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष, डॉ. सुधा ओम ढींगरा सम्पादक एवं रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’, पंकज सुबीर और अभिनव शुक्ल सह सम्पादक हैं।