पूजा प्रांजला //
पत्रकार तो बन रही,
पत्रकारिता कैसे करूँ?
अच्छाइयां मिलती नहीं,
बुराइयाँ कितनी लिखूं ?
ये देश है जितनी बड़ी
कठनाइयां उनसे बड़ी
कठनाइयों को गिन रही
हाथ की चलती घडी ।
पत्रकार तो बन रही,
पत्रकारिता कैसे करूँ?
अपराध से भ्रष्टाचार तक,
हर ख़बरों का है संकलन।
हर ख़बरों को लिख रही
मेरी ये नन्ही सी कलम।
पत्रकार तो बन रही,
पत्रकारिता कैसे करूँ?
अच्छाइयां मिलती नहीं,
बुराइयाँ कितनी लिखूं ?
पूजा- कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना में पत्रकारिता की छात्रा है ।