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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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Blog posts : "साहित्य "

बोली पर ब्रेक...!!

यदि सचमुच नेताओं की जुबान पर स्पीड ब्रेकर या ब्रेक लग गया तो कैसे चलेगा चैनलों का चकल्लस

तारकेश कुमार ओझा/ चैनलों पर चल रही खबर…

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न आलू न गोभी, हम सब हैं यार ‘धोबी’

क्या वर्ल्ड वाइड वेब पोर्टल दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई से ही ऑपरेट करने पर लेखक/रिपोर्टर्स विश्वस्तरीय हो सकते हैं ?…

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बुढ़ौती में तीरथ...

काश पुरस्कार तब मिलता जब वे इसकी महत्ता को महसूस कर पाने में सक्षम होते

तारकेश कुमार ओझा/ कहते हैं कि अंग्रेजों ने जब रेलवे लाइनें बिछा कर उस पर ट्रेनें …

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मौत पर भारी मैच ...

खबरों की दुनिया के लिहाज से हादसों में मौत और सैनिकों पर आतंकवादी हमला सबसे ज्यादा नेगलेक्टेड और ओवरलुक की जाने वाली खबरे हैं…

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​क्रिकेट में स्विंग तो राजनीति में स्टिंग

आलम यह कि इस स्टिंग की वजह से हम जैसे कलमघसीटों को नेताओं से काफी लानत - मलानत झेलनी पड़ी

तारकेश कुमार ओझा / जीवन में पहली बार …

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आर्ट आफ टार्चिंग!

मीडिया के कलाकार हैं माहिर  

तारकेश कुमार ओझा/ बाजारवाद के मौजूदा दौर में आए तो मानसिक अत्याचार अथवा उत्पीड़न यानी …

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तौबा करिए ऐसे छपास रोगियों से!

अपने ऊल-जुलूल आलेख एक साथ चार-पाँच सौ लोगों लोगों को ई-मेल करते हैं !

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी / आप लेखक, विचारक पत्रकार रिपोर्टर है…

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मीडिया और सारथी संपादक साहब

अंशु शरण की दो कवितायें....

मीडिया

जुबाँ खुलने से पहले
कलम लिखने से पहले
अख़बार छपने से पहले ही
बिकी हुयी है |

और इनके बदौलत ही…

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देखना कल के अखबार में यह खबर नहीं छपेगी !

अतुल कुशवाह /  उस दिन बंबई के दफ्तर शाम से पहले ही सूने हो गए थे। हर कोई लोकल के बंद हो जाने से पहले ही अपने घर के भीतर पहुंच कर सुरक्षित हो जाने की हड़बड़ी में था। भारी बारिश और लोकल जाम-यह बंबईवासियों की आदिम दहशत का सर्वाधिक असुरक्षित और भयाक्रांत कोना था, जिसमें एक पल भी ठहरन…

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जनमानस की हिंदी के नायक और महानायक

हिंदी के अखबार और चैनल, जिन पर यह जिम्मेदारी है कि वे हिंदी की शैली- शब्दावली और प्रयोग में नवीनता का ईंधन डालकर इसे आगे लेकर जाएं, आज उनमें से ज्यादातर अंग्रेजी से आक्रांत दिखाई दे रहे हैं, जबकि हिंदी भाषा के प्रसार और उसके विकास में छोटे पर्दे का योगदान नजर आता है…

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गदाई ही नहीं देते मेरे एस.एम.एस. की रिप्लाई

बच्चू वेबमैग्जीन इसलिए नहीं आपरेट कर रहा हूँ कि तुम्हारे जैसे लफूझन्ना ब्राण्ड उसके लेखकों की फेहरिश्त में आएँ

डॉ…

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कफन के पूर्व शाल ओढ़ने की इच्छा क्या पूरी होगी...?

भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी / मैं भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी, यदि संपादकों से मलाल करूँ कि वह लोग मेरे लेखादि प्रकाशित करने के एवज में कुछ नहीं देते हैं तो शायद कितनों को यह अटपटा लगेगा और कुछेक एडिटर तो लेखों को ‘डस्टविन’ में डाल देंगे। मैं किसी संस्था का मुलाजिम …

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जहां दमन होगा, प्रतिरोध में नाटक लिखता रहूंगा:राजेश कुमार

राजेश कुमार के नाटक ‘ट्रायल ऑफ एरर्स’ का उन्हीं के निर्देशन में 7 व 8 सितंबर को लखनऊ में प्रदर्शन है। प्रस्तुत है नाटक की रचना व परिकल्पना के स…

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.क्या आप हमारे ‘मैचलेस’ टी.वी. न्यूज चैनल से जुड़ेंगे?

देवर्षि नारद जी ने कहा कि वत्स एक ऐसा टी.वी. चैनल शुरू करो जो तुम्हारे आर्यावर्त में अद्वितीय हो मसलन तीनों लोकों की अफवाहों, बेसिर-पैर वाली खबरों से ओत-प्रोत हो...…

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..और अब वह सम्पादक हो गए!

उन्होंने शटर, रेलिंग आदि बनाने का काम शुरू किया कुछ ही समय में वह भी बन्द कर दिए और अब सम्पादक बनकर धन, शोहरत कमाने की जुगत में हैं...…

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मीडिया जगत में ‘किंग गोबरा’ की इन्ट्री

डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी / आज कल हमारे यहाँ के पत्रकार जगत में एक सर्वथा डैसिंग/डायनामिक परसनैलिटी उभर कर सामने आई है, जिसे देखकर बॉलीवुड की जासूसी/स्टंट फिल्मों की यादें आती हैं। क्या परसनैलिटी है- शार्ट शर्ट, जीन्स पैण्ट कमर में कैमरा शर्ट की जेबों …

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आगे ढलान है

संजय रावत  की मजदूर दिवस पर लिखी गई एक कविता, जो सर्वकालिक है

सलाम सम्पादक !

तुम ज्ञानी हो, वाचक हो, अंर्तयामी, युगदृष्टा और पथप्रदर्शक भी.…

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मीडिया का हाईवे

कहीं देखा है कि छोटा, मझला और बड़ा प्रेस लिखा हो ?

विकास कुमार गुप्तापत्रकार-सर हम ब्यूरो चीफ है। स्त्रैण आवाज में बोलते हुए ”सर हम आपकी पत्रिका से जुड़ना चाहते है।“ मैगजीन देखने के बाद और …

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" साई की आत्मकथा " का विमोचन


फिल्म अभिनेता और लेखक विकास कपूर द्वारा लेखन
शिरडी के साई बाबा पर कई रचनाकारो ने अपने लेखनी  से साई के जीवन चरित्र और तत्कालीन घटनाये  उकेरी है, लेकिन इस बार यह पहल  टेलीविजन धारवाहिको   और फिल्मो  के सफल लेखक  विकास कपूर न…

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समता-स्वप्न

महेंद्र भटनागर की दो कविताएँ

समता-स्वप्न

विश्व का इतिहास

साक्षी है —

अभावों की

धधकती आग में

 जीवन

 हवन जिनने किया,…

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सम्पादक

डॉ. लीना