पलाश विश्वास/ सत्ता का रोष प्रचंड है। पत्रकारिता का राफ्ता गाहे बगाहे सत्ता से होता है और दुनियाभर में नतीजा बराबर है। पत्रकार उत्पीड़न और पत्रकारों पर जुल्मोसितम भारत में भी मजहबी सत्ता का बाजारु दस्तूर बन गया है।…
Blog posts August 2015
सत्ता के खिलाफ लिखकर उत्तर बंगाल का पत्रकार लापता
भावनाओं का ज्वार, रोए जार- जार...
भावनाओं का ऐसा ज्वार उन्हीं मामलों पर हिलोरे मारता है जो मीडिया की सुर्खियों में हो
तारकेश कुमार ओझा/ मेरे मोहल्ले के एक बिगड़ैल युवक…
'स्वामित्व ही संदेश है'
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार ने कहा मालिकों द्वारा तय किए गए विचार ही मीडिया में दिखाई देते हैं…
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