हिंदी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ मातृभाषा वैयक्तिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोध कराती है। समाज को स्वदेशी भाव-बोध से सम्मिलित कराते हृए वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीय स्वाभिमान की विशिष्ट पहचा…
हिंदी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ मातृभाषा वैयक्तिक और पारिवारिक पृष्ठभूमि का बोध कराती है। समाज को स्वदेशी भाव-बोध से सम्मिलित कराते हृए वैश्विक धरातल पर राष्ट्रीय स्वाभिमान की विशिष्ट पहचा…
प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी/ भारत एक अनोखा राष्ट्र है, जिसका निर्माण विविध भाषा, संस्कृति, धर्म, अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित स्वतंत्रता संग्राम तथा सांस्कृतिक विकास के समृद्ध इतिहास द्वारा एकता के सूत्र में बाँध कर हुआ है। एक साझा इतिहास के बीच आपसी समझ…
लोकेन्द्र सिंह/ बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर का व्यक्तित्व बहुआयामी, व्यापक एवं विस्तृत है। उन्हें हम उच्च कोटि के अर्थशास्त्री, कानूनविद, संविधान निर्माता, ध्येय निष्ठ राजनेता और सामाजिक क्रांति एवं समरसता के अग्रदूत के रूप में जानते हैं। सामाजिक न्याय के लिए उनके …
29 जनवरी पर विशेष
मनोज कुमार/ भारत का संविधान पर्व दिवस 26 जनवरी जनवरी को परम्परानुसार अखबारों के दफ्तरों में अवकाश रहा लिहाजा 27 जनवरी को अखबार नहीं आया और इक प्याली चाय सूनी-सूनी सी रह गयी. 28 तारीख को वापस चाय की प्याली में ताजगी आ गयी क्योंकि अखबा…
प्रो. संजय द्विवेदी/ उच्च स्तरीय पत्रकारिता की बात चले या पत्रकारिता के मानक मूल्यों की, हमें ऐसे बहुत कम लोग याद आते हैं, जिन्होंने इन्हें बचाने-बढ़ाने के लिए पूरे मनोयोग व समर्पण भाव के साथ काम किया। समकालीन हिंदी पत्रकारिता के ऐसे ही सशक्त हस्ताक्षरों में स…
भारतीय जन संचार संस्थान में 'शुक्रवार संवाद' कार्यक्रम का आयोजन
नई दिल्ली,/ "भारत के लोगों के मन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का एक अलग स्थान है। भारत की सभ्यता और संस्कृति से प…
लोकेन्द्र सिंह / स्वामी विवेकानंद सिद्ध संचारक थे। उनके विचारों को सुनने के लिए भारत से लेकर अमेरिका तक लोग लालायित रहते थे। लेकिन हिन्दू धर्म के सर्वसमावेशी विचार को लेकर स्वामीजी कहाँ तक जा सकते थे? मनुष्य देह की एक मर्यादा है। भारत का विचार अपने वास्तविक एवं उदात्त रूप …
15 सितंबर 1959 को शुरू हुआ था दूरदर्शन
डॉ. पवन सिंह/ दूरदर्शन, इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है। आज भी दूरदर्शन के नाम से न जाने कितनी पुरानी खट्टी-मिट्ठी यादों का पिटारा हमारी आँखों के सामने आ जाता …
“हिन्दी संस्कृत की बेटियों में सबसे अच्छी और शिरोमणि है।“
डॉ. सौरभ मालवीय/ ये शब्द बहुभाषाविद और आधुनिक भारत में भाषाओं का सर्वेक्षण करने वाले पहले भाषा वैज्ञानिक जॉर्ज अब्राहम …
आईआईएमसी के 58 वें स्थापना दिवस, 17 अगस्त पर विशेष
प्रो.संजय द्विवेदी/ भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) ने अपने गौरवशाली इतिहास के 58 वर्ष पूरे कर लिए हैं। किसी भी संस्था के लिए यह गर्व का क्…
डॉ. पवन सिंह मलिक/ सिटिज़न जर्नलिज़्म शब्द जिसे हम नागरिक पत्रकारिता भी कहते है आज आम आदमी की आवाज़ बन गया है। यह समाज के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए, संबंधित विषय को कंटेंट के माध्यम से तकनीक का सहारा लेते हुए अपने लक्षित समूह तक पहुंचाने का एक ज़ज्बा है। वर्तमान में नागरि…
अनिता गौतम/ सिटिज़न जर्नलिज़्म, यह सिर्फ शब्द भर नहीं बल्कि व्यक्ति समाज, देश और दुनिया की जरूरत है। इस अंग्रेजी शब्द का मूल अनुवाद संभवतः नागरिक पत्रकारिता हो परंतु अलग अलग आयाम में फिट बैठता यह शब्द आम अवाम की मजबूत आवाज बन चुका है। देश दुनिया की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक …
25 सितंबर, जयंती पर विशेष
पवन सिंह मलिक/ किसी ने सच ही कहा है कि कुछ लोग सिर्फ समाज बदलने के लिए जन्म लेते हैं और समाज का भला करते हुए ही खुशी से मौत को गले लगा लेते हैं। उन्हीं में से एक नाम है दीनदयाल उपाध्याय का। जिन्होंने अपनी पूरी …
15 सितंबर दूरदर्शन दिवस पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ दूरदर्शन, इस एक शब्द के साथ न जाने कितने दिलों की धड़कन आज भी धड़कती है। आज भी दूरदर्शन के नाम से न जाने कितनी पुरानी खट्टी-मिट्ठी यादों का पिटारा हमारी आँखों के सामने आ…
बिहार उर्दू मीडिया फोरम 16 सितंबर को उनकी शहादत दिवस मनायेगा
पटना/ इतिहास गवाह है कि पत्रकारिता ने दुनिया की बड़ी बड़ी क्रांत्रियों को जन्म दिया. कई शासकों का तख्ता पलट किया. जब देश में स्वतंत्रत…
हुई करोड़ों की बचत!
मनोज कुमार/ क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि पेपरलेस वर्क कर कोई विभाग कुछ महीनों में चार करोड़़ से अधिक की राशि बचा सकता है? सुनने में कुछ अतिशयोक्ति लग सकती है लेकिन यह सौफीसदी सच है कि ऐसा हुआ है. यह उपलब्धि जनसम्पर्क संचालन…
स्वदेश समूह के प्रधान संपादक राजेंद्र शर्मा की हीरक जयंती पर (18 जून) पर विशेष
प्रो.संजय द्विवेदी/ उनका हमारे बीच होना उस उम्मीद और आत्मविश्वास…
विश्व रेडियो दिवस 13 फरवरी पर विशेष
मनोज कुमार/ मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में कम्युनिटी रेडियो की गूंज सुनाई दे रही है. राज्य के सुदूर आदिवासी अंचलों के आठ जिलों में कम्युनिटी रेडियो की स्थापना की गई है. इन रेडियो स्टेशनों…
प्रो. संजय द्विवेदी/ यह साल जा रहा है, बहुत सी कड़वी यादें देकर। कोरोना और उससे उपजे संकटों से बने बिंब और प्रतिबिंब आज भी आंखों में तैर रहे हैं और डरा रहे हैं। यह पहला साल है, जिसने न जाने कितने जानने वालों की मौत की सूचनाएं दी हैं। पहले भी बीमारियां आईं, आपदाएं आईं …
गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती 26 अक्टूबर पर विशेष
ज़िया हसन। कलम की ताकत हमेशा से ही तलवार से अधिक रही है और ऐसे कई पत्रकार हैं, जिन्होंने अपनी कलम से सत्ता तक की राह बदल दी। एक ऐसा व्यक्तित्व जिसने …
डॉ. लीना