लगातार तीसरे दिन मीडिया बाजार में चमक
बीरेन्द्र यादव। रविवार मीडिया बाजार के लिए चकाचक रहा। यह लगातार तीसरे दिन मीडिया बाजार में चमक थी। शुक्रवार को नरेंद्र मोदी पर जनता की अपार कृपा। शनिवार को मुख्यमंत्री के इस्तीफे से खबरों की हरियाली और रविवार को जदयू में विद्रोह की आशंका। इस आशंका के बीच खबर निचोड़ लाने की ललक। मुख्यमंत्री आवास के बाहर पत्रकारों में खबर हड़पने की होड़ लगी थी। लेकिन खबर ऐसी की उसका अता-पता नहीं चल रहा था। वैसे में खबरें गढ़ने के लिए बेचैन रहे फोफी वाले भाई यानी इलेक्ट्रानिक मीडिया वाले पत्रकार। पकड़-पकड़ के बाइट ले रहे थे। वजह साफ थी कि एक अण्णे मार्ग में सरकार के भविष्य पर चर्चा हो रही थी और बाहर खबरों के नाम पर सिर्फ कयास। जैसे अखबारों में जगह भरने के लिए फीलर खबरें होती हैं। ठीक वैसे ही इलेक्ट्रानिक मीडिया वाले समय काटने के कयास लगाते हैं। बेचारा एंकर भी कितना बोलेगा, सो समय-समय पर बाइट भी दिखा देते हैं।
खबरों के इस बाजार में चांदी रही आइसक्रीम वालों की। पांच का आइसक्रीम 10 में बिक रहा था। आइसक्रीम वालों ने ‘इस्तीफा टैक्स’ के रूप में हर सामान पर पांच रुपये अतिरिक्त जोड़ दिये थे। लोग थोड़ा आनाकानी के बीच खुशी-खुशी दे भी रहे थे।
सीएम हाउस के बाहर लगे मजमे का गजब का नजारा था। जदयू कार्यकर्ता से ज्यादा तो आइसक्रीम वाले थे। विभिन्न आयोगों में नवनियुक्त सदस्य भी बड़ी संख्या में अपना कर्ज उतारने पहुंचे थे। मीडिया वालों का पूछना ही क्या? हर ओबी वेन के साथ कम से कम पांच लोग। हर अखबार से कम से कम तीन लोग। साथी संजीव जी ने कहा, एक ही चैनल के कई फोफी वाले नजर आ रहे हैं। हमने कहा, यह मजमा अनप्लांड है। ऐसे मौके पर न बीट की बाध्यता होती है और न एंगल की। जो मिले सो निहाल।
इस मजमे के बीच भाजपा वाले आए और जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। राजभवन से निकले भाजपा नेताओं ने कहा कि हमने महामहिम से मांग की है कि यदि जदयू को दुबारा सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं तो पहले यह तय कर लें कि उनके साथ बहुमत है। उधर करीब दो-ढाई घंटे के बाद अण्णे मात्र से खबर निकल कर आयी कि सुशासन अपने निर्णय पर अडिग है, लेकिन अच्छे दिन आने की संभावना अभी बाकी है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि हम अपना फैसला कल सुनाएंगे। इस खबर के ब्रेक होते ही पत्रकारों की जमात भी बिखरने लगी और सभी अब कार्यालय की ओर रुख करने लगे। लेकिन करीब आठ बजे तक ओबी वेन, आइसक्रीम और मजमा अपनी जगह पर कायम रहा। धीरे-धीरे इनका भी कदम उखड़ने लगा। हम भी अपनी साइकिल उठाए और अण्णे मार्ग से चितकोहरा पुल की ओर प्रस्थान कर लिए।