अब भविष्य में अरविंद केजरीवाल मीडिया पर पक्षपात का आरोप किस मुंह से लगायेंगे जब मीडिया उनके विरोधियो के पक्ष में खड़ी नजर आयेगी
साकिब ज़िया/ मीडिया पर पहरा बैठाने की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तुगलकी फरमान पर जारी बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उनके फरमान पर रोक लगाकर उन्हें करारा झटका दिया है।मीडिया की बदौलत ही सत्ता में आये अरविंद केजरीवाल मीडिया को ही आंख दिखाने का प्रयास करने लगे,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश पर दिल्ली सरकार की ओर से मीडिया सर्कुलर पर रोक लगाकर इस मामले में केजरी की दाल नहीं गलने दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कड़ी नोटिस ली और न केवल दिल्ली सरकार के मीडिया विरोधी सर्कुलर पर रोक लगाई बल्कि सीएम केजरीवाल से जवाब देने को भी कहा है।अदालत का स्पष्ट कहना है कि इस तरह का सर्कुलर क्यों जारी किया गया।न्यायालय ने ये भी जानना चाहा कि एक ओर मिस्टर केजरीवाल कहते है कि आईपीसी की धारा 499 और 500 समाप्त होनी चाहिये दूसरी ओर इसी धारा की आड़ लेकर मीडिया पर केस चलाने की बात की जा रही है।ऐसी स्थिति में ये स्पष्ट है कि अपने हित में अरविंद केजरीवाल इन धाराओं का अलग मापदंड तय करना चाहते हैं।
बहरहाल अरविंद केजरीवाल के मीडिया विरोधी तुगलकी फरमान पर कोर्ट ने तो रोक लगा दी है और अरविंद केजरीवाल अपनी मीडिया विरोधी महत्वकांक्षा पूरी करने में नाकाम हो गये।एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि अब भविष्य में वो मीडिया पर पक्षपात का आरोप किस मुंह से लगायेंगे जब मीडिया उनके विरोधियो के पक्ष में खड़ी नजर आयेगी।ऐसे में वो मीडिया से निष्पक्षता बरतने की अपील भी करेंगे तो खुद उनपर भी सवाल खड़े किये जायेंगे। आम आदमी का नेतृत्व करने का दावा करने वाले “आप” के संयोजक और सीएम केजरीवाल को संयम से काम लेना चाहिये था। जल्दबाजी में मीडिया के खिलाफ उतावलापन दिखाना उनके लिये आत्मघाती ही माना जायेगा। कम से कम अब तो मिस्टर केजरीवाल की आंखे खुल जानी चाहिये।