हिंदुस्तान अचंभित है और उसे शक है कि कुछ और दिग्गजों को वह न टीप ले
पटना/भास्कर के पटना संस्करण की लॉंचिंग की आहट के भय से जहां पटना के अखबारों ने कीमतें घटा कर रोजना लगभग दस-पंद्रह लाख रुपये की आमदनी को गंवायी है वहीं उनके पत्रकारों को उड़ा कर भास्कर ने उन्हें काफी दर्द दिया है.
हिंदुस्तान के सूत्रों का कहना है कि अभी भी स्थितियां काफी विकट हैं. ऐसी स्थिति पटना के दो और बड़े अखबार दैनिक जागरण और प्रभात खबर की भी है.
भास्कर में हिंदुस्तान से जो पत्रकार गये हैं, बताया जाता है कि उन्हें अवसतन 35 प्रतिश ज्यादा सैलरी और अन्य सुविधायें दी गयी हैं. हिंदुस्तान की तो हालत ऐसी हो गयी है जैसे उसका ब्यूरो ही खाली हो गया है. हिंदुस्तान ब्यूरो से आलोक कुमार, विजय कुमार और इंद्रभूषण जैसे तेज तर्रार पत्रकार को अब भास्कर के पाठक पढ़ा करेंगे. इसी प्रकार हिंदुस्तान सिटी रिपोर्टिंग से विनय झा, मनोज प्रताप, मोहम्मद सिकंदर, नीतीश सोनी, अजय कुमार ने भी छलांग लगाते हुए भास्कर का दामन थाम लिया है.
इसी प्रकार एडिटोरियल से कई दिग्गज पत्रकारों को भी भास्कर ने अपने यहां खीच लिया है.
हिंदुस्तान अखबार के लगभग तीन दशक के इतिहास में किसी प्रतिद्वंद्वी अखबार ने इतना बड़ा झटका पहली बार दिया है. जो पाठक हिंदुस्तान के पत्रकारों की लेखनी के कायल रहे हैं अब उन्हें भास्कर के पन्न पलटने पड़ेंगे. वैसे ऊपर से लेकर नीचे तक भास्कर में जितने पत्रकार हैं उनमें अधिकतर हिंदुस्तान से ही जुड़े थे. चाहे भास्कर के परामर्शी सम्पादक सुरेंद्र किशोर हों या स्थानीय सम्पादक प्रमोद मुकेश.
ऐसा नहीं है कि भास्कर ने सिर्फ हिंदुस्तान को ही झटका दिया है. इसने प्रभात खबर के भी पांच पत्रकारों को ऊंची सैलरी पर अपने यहां बुला लिया है. इनमें कमल किशोर, कुमार अनिल, विधान चंद्र मिश्र आदि के नाम शामिल हैं.
(नौकरशाही डॉट इन से साभार )