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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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लोकल मीडिया ने बांधा प्रकाशपर्व का समां

जयकारा नीतीश कुमार की

बीरेंद्र कुमार यादव/ पटना। श्रीगुरु गोविंद सिंह जी महाराज के 350वें प्रकाश पर्व का पांच दिवसीय आयोजन को लेकर दुनिया भर में बिहार की वाहवाही हो रही है। पटना आने वाले सिख श्रद्धालु मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की जयकारा करते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयोजन की भव्‍यता और शालीनता को लेकर बिहार सरकार की जमकर तारीफ की। लेकिन प्रकाशपर्व की सफलता का सबसे बड़ा श्रेय बिहार की लोकल मीडिया को जाता है। लोकल मीडिया ने प्रकाशपर्व की तैयारी को लेकर छोटी-छोटी खबरों को प्रमुखता दी ताकि श्रद्धालु, आमलोग और प्रशासन के बीच समय पर सूचनाएं पहुंचती रहें। दिल्‍ली सेंट्रिक मीडिया में प्रकाशपर्व को लेकर खबर को तभी तरजीह मि‍ली, जब इससे जुड़ी किसी खबर का संबंध सीएम नीतीश कुमार के साथ होता था। हालांकि फुटकर रूप से दिल्‍ली मीडिया ने कवरेज की कोशिश की।

पांच दिवसीय आयोजन को लेकर लोकल मीडिया ने महीने भर से हो रही तैयारी को व्‍यापक कवरेज दिया। टेंट सिटी से लेकर तख्‍तश्री हरिमंदिर साहिब तक की बनावट और सजावट तक को फोकस में रखा। प्रकाशपर्व को लेकर व्‍यापक कवरेज ने आम लोगों में भी आयोजन को लेकर उत्‍सुकता पैदा की। प्रकाश पर्व को लेकर रुट की व्‍यवस्‍था, गांधी मैदान में प्रवेश के लिए गेट से लेकर वाहनों के परिचालन पर रोक तक को प्रमुखता दी। सिख श्रद्धालुओं के लिए प्रशासनिक तैयारी, वाहनों की व्‍यवस्‍था से लेकर उनके लिए स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं को लेकर जमकर कवरेज किया। इलेक्‍ट्रानिक, प्रिंट के साथ सोशल मीडिया ने भी आमलोगों को अधिकतम सूचनाएं देने की कोशिश की। हालांकि बीच-बीच में आयोजन को लेकर सत्‍तारूढ़ गठबंधन में विवाद और मनमुटाव की खबरें भी गढ़ी गयीं। खबरों की एकरूपता से उबे पाठकों और दर्शकों को ऐसी खबरें पसंद आ रही थीं। लालू यादव के परिवार की उपेक्षा से जुड़ी खबरों को ज्‍यादा तरजीह दी गयी। इसके पीछे की वजह लालू यादव की टीआरपी का होना बताया जा रहा है। 

कुल मिलाकर प्रकाशपर्व ने बिहार को अपनी छवि को गढ़ने का बढि़या मौका उपलब्‍ध कराया था और इस काम में बिहार सफल भी रहा। इस सफलता में प्रशासनिक तैयारी के साथ मीडिया की तैयारी की भी बड़ी भूमिका रही। प्रकाशपर्व की सफलता वस्‍तुत: स्‍थानीय मीडिया की कुशल कवरेज प्‍लान, पत्रकारों की रुचि और खबरों पर आम लोगों का भरोसा की जीत थी। इसका श्रेय मीडिया को भी जाता है और आखिरकार सरकार को इसका श्रेय तो मिलना ही है।

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सम्पादक

डॉ. लीना