साकिब ज़िया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र की एनडीए सरकार कार्यकाल के एक साल पूरा होने का जश्न मना रही है। केंद्र सरकार में शामिल मंत्री देश भर में घूम-घूम कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जय-जयकार कर रहे हैं। मीडिया भी मोदी सरकार के उपलब्धियों का ढोल बजा रही है। लेकिन मोदी सरकार को विदेशी मीडिया की शाबाशी नहीं मिल रही है। अमेरिकी मीडिया ने मोदी सरकार की एक वर्ष की उपलब्धियों पर सवाल खड़े कर दिये हैं। अमेरिकी मीडिया ने पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया अभियान की आलोचना की है। अमरिकी मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक भारी अपेक्षाओं के बीच रोजगार सृजन की रफ्तार धीमी बनी हुई है, जो युवाओं के सबसे बड़े देश के लिए अच्छा नहीं है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के तौर पर एक वर्ष पूरा होने पर वाल स्ट्रीट जर्नल में एक विस्तृत लेख प्रकाशित हुआ है जिसका शीर्षक “इंडियाज मोदी एट वन ईयर, यूफोरिया फेज इज ओवर, चैलेंजेस लूम”,है। वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में कहा गया है कि बदलाव के लिए पूर्ण बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी को देश के मतदाताओं ने भारी जनादेश दिया था इसके बावजूद देश की जनता ने मिस्टर मोदी से जितनी अपेक्षाएं की थीं उसपर मोदी सरकार खरी नहीं उतरी। वास्तविकताएं लगभग वहीं की वहीं है।
सवाल ये है कि नरेंद्र मोदी को लोकप्रिय बनाने में देश की मीडिया का अहम रोल रहा है। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए को जो अप्रत्याशित सफलता मिली ये मीडिया की ही देन है। प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी को विदेशों ने अहमियत नहीं दी, अमेरिका जैसे देश ने तो नरेंद्र मोदी को लंबे समय तक वीज़ा देने से भी इंकार कर दिया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी के लिए एक बड़ी चुनौती ये भी थी कि वे विदेशों में अपनी छवि को साफ बनाए। यही कारण है कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद विदेशों का धुंआधार दौरा भी शुरू किया। इसी क्रम में उन्होंने अमेरिका का भी दौरा किया। अलग-अलग तरीकों से मोदी ने विदेशी मीडिया को भी लुभाने की कोशिश की है,लेकिन अमेरिकी जर्नल की इस रिपोर्ट से ये बात स्पष्ट रूप से समझी जा सकती है कि विदेशी मीडिया नरेंद्र मोदी को तरजीह देने के पक्ष में नहीं है।
(साकिब ज़िया मीडियामोरचा के ब्यूरो प्रमुख हैं )