शोध पत्रिका ‘समागम’समय समय पर विविध विषयों पर अंक केंद्रित करता रहा है. नया सितम्बरअंक हिंदी को समर्पित है. इस अंक में इस बात की पड़ताल करने की कोशिश की गई है कि आखिर हम कहाँ से चले थे और कहाँ पहुचे।
हिंगलिश के इस दौर में हिंदी कैसे और कितना जगह बना पायेगी, यह यक्ष प्रश्न की तरह हमारे सामने है. एक कोशिश है कि हम सब मिल कर हिंदी के लिए कुछ करें ही नहीं, बल्कि करते रहें।