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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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‘‘न्यूज़ इंडिया’’ केबल चैनल का फर्जीवाड़ा

शर्म है ऐसे मीडिया मालिकों की ओछी हरकत पर अपने ही कर्मचारियों का दमन करते हैं

पटना। यहां के स्थानीय केबल चैनल ‘‘न्यूज़ इंडिया’’ जो जे॰ आर॰ टेलीविजन एण्ड फिल्म्स, टिन्कू के॰ डी॰ अपार्टमेन्ट, बोरिंग केनाल रोड, पटना के नाम से पंजीकृत होकर 26 जनवरी 2014 से मार्च 2014 तक प्रसारित हो रहा था, जो वर्तमान में मार्च के अंतिम सप्ताह से अब तक बंद है।

उक्त मीडिया संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री रमन कुमार श्रीवास्तव और डायरेक्टर सुश्री ज्योति कुमारी (फेसबुक पर ज्योति गुप्ता) ने वहां कार्यरत किसी भी महिला/पुरूष रिपोर्टर, कैमरामैन, ग्राफिक्स एडिटर को एक भी महीने का वेतन नहीं दिया और कई कर्मचारियों और एक प्रशिक्षु पत्रकार से लगभग 4 लाख रूपए लेकर फरार है। पैसे मांगने पर धमकी भी दी जा रही है। अब सभी रिपोर्टर लेबर कोर्ट और वरीय पुलिस अधीक्षक के पास ज्ञापन सौंपने को राजी हैं।

आप सभी पत्रकार मित्रों से पूछना चाहता हूं कि क्या ऐसा करना मीडिया संस्थान के मालिक के लिए उचित है, शोभनीय है? क्या कोई भी मीडिया संस्थान अपने रिपोर्टरों, कैमरामैन, ग्राफिक्स एडिटर की उपेक्षा कर , उनका शोषण कर अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है?

शर्म आती है ऐसे मीडिया मालिकों की ओछी हरकत पर जो एक तरफ तो शोषित समाज, उपेक्षितों, भ्रष्टाचार एवं दबे-कुचले लोगों की आवाज बुलंद करने का ज्ञूठा दंभ भरते हैं और दूसरी ओर अपने ही कर्मचारियों का दमन करते हैं। ऐसे निकम्मे लोग अपनी नाकामी छुपाने के लिए दूसरों पर दोषारोपण करते हैं और खुद तो मालिक बन दूसरे की कमाई पर अपना पेट पालते हैं। वो भली भांति जानते हैं कि वो इस काबिल नहीं जो अपने भरोसे बुनियाद बना सके इसलिए दूसरे लोगों का हक मार खाए-पीए अघाए वर्ग में शामिल हो अपनी पीठ खुद ही थपथपाना उनकी मजबूरी है।

खैर! ऐसे लोग न तो अपना जमीर जिन्दा रख पाते है और न ही उन्हें अपनी जमीन कही दिखती है। वो कभी अपने लक्ष्य, अपने उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते जो किसी सम्मानजनक पत्रकार के लिए बड़ी गर्व की बात होती है। वो कभी एक सच्चे कलम के सिपाही की बराबरी भी नहीं कर सकता जिसकी पूजा युग निर्माता के रूप में की जाती है। ऐसे लोगों को उधार की जिंदगी जीने की आदत पड़ जाती है वो नाम है- रमन श्रीवास्तव और सुश्री ज्योति कुमारी जो बंटी और बबली बनकर ठग विद्या में माहिर होकर लोगों को लूटने की योजना बना रहे हैं। लेकिन ईमान बेचकर ईनाम पाने की उनकी ये कोषिष अब नाकाम होगी । रमन श्रीवास्तव अब फेसबुक पेज से गायब है।

बन गए हुक्काम वे सब जो कि बेईमान थे, हो गए लीडर की दुम जो तलक दरबान थे, मेरे मालिक! और भी तो सब हैं सुखी तेरे यहां, सिर्फ वे ही हैं दुखी जो कुछ न बस इंसान थे।

Manish Srivastava के फेसबुक वाल से साभार

 

 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना