तनवीर जाफ़री/ आपातकाल के समय 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने एक बार देश के चौथे स्तंभ का गला घोंटने का प्रयास करते हुए प्रेस पर सेंसर लागू किया था। इंदिरा गाँधी की इस तानाशाही का पूरे देश में ज़बरदस्त विरोध हुआ था। विपक्ष,मीडिया व देश के आम लोग सभी आपातकाल क…
Blog posts : "General"
क्यूं दूर होते जा रहे हैं ‘किताबों’ से
विश्व पुस्तक तथा कापीराइट दिवस-23 अप्रैल विशेष
निर्भय कर्ण/ विलियम स्टायरान ने कभी कहा था कि ‘एक अच्छी किताब के कुछ पन्ने आपको बिना पढ़े ही छोड़ देना चाहिए ताकि जब आप दुखी हों तो उसे पढ़ कर आपको सुकुन प्राप…
समीक्षा की समीक्षा
मीडियामोरचा में कैलाश दहिया ने “समकालीन हिन्दी दलित साहित्य: एक विचार विमर्श’’ नाम की पुस्तक की समीक्षा की
अजय चरणम्/…
विपक्ष मीडिया के डिबेट शो से बनाएं दूरी
राजद कार्यकारी सुप्रीमो तेजस्वी यादव ने विपक्ष के नेताओं को लिखा खत
अजय दीप चौहान/ बीते फरवरी महीने में मीडिया के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करने वाले राजद के कार्यकारी…
रेडियो से कम्युनिटी रेडियो तक
विश्व रेडियो दिवस ( 13 फरवरी) पर विशेष लेख
मनोज कुमार/ एक पुरानी कहावत है कि सौ कोस में पानी और सौ कोस में बानी बदल जाती है और जब नए जमाने के रेडियो की बात करते हैं तो यह कहावत सौ टका खरा उतरती है. भोपाल में आप जिस ए…
आज विश्व रेडियो दिवस
इस वर्ष की थीम है-संवाद, सहनशीलता और शांति
आज विश्व रेडियो दिवस है। मनोरंजन और सूचना के लिए मंच उपलब्ध कराने, दूर-दराज के क्षेत्रों में बसे समुदायों के साथसंवाद स्थापित करने और लोगों को सशक्त बनाने में रेडियो की भूमिका को रेखांकित …
डॉ. बी. आर अम्बेडकर मीडिया सशक्तिकरण स्कूल में प्रवेश आरंभ
दलित और जनजातीय युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए अपनी तरह के इस पहले मीडिया स्कूल की मंत्री थावरचंद गहलोत ने की शुरुआत…
हिन्दी की अस्मिता का प्रश्न
14 सितम्बर 'हिंदी दिवस' पर विशेष
लोकेन्द्र सिंह/ सर्वसमावेशी भाषा होना हिन्दी का सबसे बड़ा सौन्दर्य है। हिन्दी ने बड़ी सहजता और सरलता से, समय के साथ चलते हुए कई बाहरी भाषाओं के शब्दों को भी अपने आंचल में समेट लिया है। पहले से…
अपनी मृत्यु की खबर खुद लिखे पत्रकार
डॉ अर्पण जैन 'अविचल'/ है न बिल्कुल अटपटा काम, विचित्र-सा। सैकड़ों लोगों के निधन की खबरें लिखने वाला अदद पत्रकार आज के दौर में क्यों भयाक्रांत है, या कहें पत्रकारिता क्यों अपना स्तर खोते जा रही है, इन सभी सवालों के मूल में समाज तत्व से सरोकार की भावना और चिंतन का गौण होना…
प्रेस की आज़ादी पर 300 अमरीकी अख़बारों के संपादकीय
क्या भारत के बड़े अख़बार छोटे अख़बारों के हक में ऐसे संपादकीय लिख सकते हैं?
रवीश कुमार/ अमरीकी प्रेस के इतिहास में एक शानदार घटना हुई है। 146 पुराने अख़बार बोस…
मीडिया का बलात्कार
खबर को लिखने वाला पत्रकार खुद उस मानसिकता का शिकार नहीं?
प्रेमेन्द्र मिश्र/ ये है मिडिया का बलात्कार .. ये है गिरती पत्रकारिता ... एक महिला के बदन के लिए कितने गंदे शब्द इस्ते…
ब्रजेश ठाकुर का ‘मीडिया कार्ड’ का खेल निराला
चुनाव मैदान में नहीं, चैनलों में हो रहा है
और चैनलों पर नज़र ही नहीं किसी की
रवीश कुमार/ कोई भी चुनाव हो, टीवी का कवरेज अपने चरित्र में सतही ही होगी। इसका स्वभाव ही है नेताओं के पीछे भागना। चैनल अब अपनी तरफ से तथ्यों की जांच नहीं करते, इसकी जगह डिबेट के नाम पर दो प्रवक…
समाज की धड़कन है जनसम्पर्क
जनसम्पर्क दिवस, 21 अप्रैल पर विशेष
मनोज कुमार/ अंग्रेजी के पब्लिक रिलेशन को जब आप अलग अलग कर समझने की कोशिश करते हैं तो पब्लिक अर्थात जन और रिलेशन अर्थात सम्पर्क होता है जिसे हिन्दी में जनसम्पर्क कहते हैं. रिलेशन अर्थात संबंधों…
पीएमओ से संपादकों को फ़ोन करके दिया जाता है निर्देश
दिल्ली/ "अगर आप मीडिया के बड़े हिस्से के सत्ता चारण हो जाने से हैरान हैं तो वजह अब साफ़ हो जानी चाहिए। दरअसल मीडिया की ताक़त समझने वाले प्रधानमंत्री मोदी कोई ख़तरा मोल नहीं लेना चाहते हैं। यह पहली बार है कि बिना किसी इमरजेंसी की घोषणा के पीएमओ (प्रधान मंत्री कार्यालय) सीधे संपादकों को फ़…
माखनलाल विश्वविद्यालय के नए कुलपति का है हिंदी पत्रकारिता में खास योगदान
श्री जगदीश उपासने
संजय द्विवेदी/ मीडिया और सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश के सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय,भोपाल के कुलपति के रूप में ख्यातिनाम पत्रकार श्री जगदीश उपासने का…
आज एंकर ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को मौत के घाट उतार दिया!
कुमोद कुमार/ डीएनए वाले सुधीर चौधरी, रिपब्लिक टीवी वाले अर्णव गोस्वामी से भी आज आगे कोई निकला तो "आज-तक" न्यूज़ चैनल की "हल्ला बोल" शो करने वाला गेस्ट एंकर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा। आज देश के बड़े मीडिया चैनल को टीआरपी के लिए मरते और बिकते देखा। जब एंकर कह रहा हो कि…
ये सब नहीं बताया अख़बारों ने
रवीश कुमार/ भारत के किसानों ने आज हिन्दी के अख़बार खोले होंगे तो धोखा मिला होगा। जिन अखबारों के लिए वे मेहनत की कमाई का डेढ़ सौ रुपया हर महीने देते हैं, उनमें से कम ही ने बताने का साहस किया होगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनसे झूठ बोला गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि रबी की फसल के द…
अफवाहों को सच जैसा दिखाते सोशल मीडिया
डॉ अबरार मुल्तानी/ ‘‘सच और झूठ में ज़्यादा फर्क नहीं है, बारबार बोला गया झूठ सच लगने लगता है’’ – एडोल्फ हिटलर. .. हिटलर का यह व…
एक वरदान है पुस्तक मेला
6 जनवरी से 14 जनवरी तक विश्व पुस्तक मेला
डॉ.सौरभ मालवीय/ देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में 6 जनवरी से 14 जनवरी तक विश्व पुस्तक मेला आयोजित किया जा रहा है। मेले का उद्घाटन मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश ज…
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
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AnonymousJune 6, 2023
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AnonymousApril 5, 2023
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AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना