औरंगाबाद में पत्रकारिता भाग- 2
प्रेमेन्द्र/ पिछले भाग में मैने पत्रकारों की उस पीढ़ी का जिक्र किया था जो 70 के दशक से 80 के दशक तक सक्रिय थी। इनमें नौ लाख सिंह, अनिरुद्ध सिंह, नीलम बाबू, उदय सिंह, त्रिभुवन सिंह, लल्लू सिंह, जग…
औरंगाबाद में पत्रकारिता भाग- 2
प्रेमेन्द्र/ पिछले भाग में मैने पत्रकारों की उस पीढ़ी का जिक्र किया था जो 70 के दशक से 80 के दशक तक सक्रिय थी। इनमें नौ लाख सिंह, अनिरुद्ध सिंह, नीलम बाबू, उदय सिंह, त्रिभुवन सिंह, लल्लू सिंह, जग…
भाग 1
प्रेमेन्द्र/ आज कल प्रेस क्लब की चर्चा कुछ ज्यादा ही हो रही है. आइये मैं आपको ले चलता हूँ औरंगाबाद में पत्रकारिता के इतिहास की तरफ-…
उर्मिलेश/ हमारे समाज में मीडिया का कारपोरेट तंत्र फल-फूल रहा है पर पत्रकारिता गहरे संकट में है. असल में पत्रकारिता प्रोफेशनल और ऑब्जेक्टिव होकर ही की जा सकती है. मौजूदा मीडिया उद्योग को प्रोफेशनलिज्म और ऑब्जेक्टिविटी हरगिज मंजूर नहीं!…
शकील अख्तर / मीडिया पूरी तरह अनुशासित हो गया है।
पहले चित्र में पिंजरे में बंद चुप!
दूसरे चित्र में उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष को चुपचाप सुनता हुआ!…
विनीत कुमार/ नब्बे के दशक में जब निजी टेलिविजन कार्यक्रमों और बाद में चैनलों की लोकप्रियता के साथ-साथ उसकी विश्वसनीयता बढ़ी तो दूसरी तरफ पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग की साख कम हुई. एक समय ऐसा भी आया कि रॉयटर जैसी एजेंसी ने जब इसे लेकर सर्वे किया तो दूरदर्शन से कहीं ज़्यादा आजतक को विश्वस…
विनीत कुमार/ दिल्ली से छपनेवाले अख़बारों में शायद ही ऐसा कोई दिन हो कि किसी कोचिंग संस्थान का पूरे पेज में विज्ञापन न हो. जैसे ही ये कोचिंग संस्थान विज्ञापनदाता हो जाते हैं, मीडिया का ध्यान इस बात से हट जाता है कि इनके भीतर कोई गड़बड़ी भी हो सकती है ? लिहाजा, ये कोचिंग संस्थान इन…
लेकिन इसे वैकल्पिक मीडिया नहीं कहा जाना चाहिए
उर्मिलेश/ सोशल मीडिया लोगों को सूचना और थोडा ज्ञान तो दे रहा है. पर इसका बड़ा हिस्सा लोगों से उनकी सह्रदयता और संवेदना छीन रहा है. समझदार बनाने की जगह अनेक लोग…
नरेन्द्र नाथ मिश्रा / इन दिनों मेनस्ट्रीम मीडिया खासकर टीवी के सामने यू ट्यूब और अल्टरनेटिव मीडिया के अधिक तेजी से पसरने पर बहस हो रही है। वहां विपक्षी स्पेस से जुड़े आवाज के अधिक मजबूत होने पर बहस हो रही है। इसके लिए लंबी-लंबी दलील दी जा रही है। जबकि इसका बहुत आसान…
मीडिया संस्थान ग़ैरबराबरी का अड्डा!
विनीत कुमार/ एक ही मीडिया संस्थान इंडिया टुडे ग्रुप की एक मीडियाकर्मी हैलिकॉप्टर से उड़कर ज़मीन पर देश के मेहनतकश लोगों के बीच उतरती हैं और जिन्हें कई बार भकुआए अंदाज़ से लोग देखते…
विनीत कुमार/ पैसे के मामले में चुनाव, कारोबारी मीडिया के लिए बाढ़ की तरह आता है. इस बाढ़ में मृतप्राय संस्थान भी जी उठते हैं और कई रातोंरात प्लेटफॉर्म खड़े हो जाते हैं. चुनाव ख़त्म होते ही बाढ़ के पानी की तरह पैसा कम होने लग जाता है और धीरे-धीरे इतना कम कि ज़रूरी खर्चे पर भी रोक…
वीरेंद्र यादव/ पटना/ माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, भोपाल की फाइनल परीक्षा में एक हिस्सा इंटरव्यू का भी था। इसे वाईवा भी कहते हैं। इंटरव्यू के दौरान एक प्रश्न पूछा गया था कि इंटरव्यू और प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या अंतर है। इसका सहज जवाब था कि इंटरव्…
विनीत कुमार/ जी मीडिया समूह और एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चन्द्रा इन दिनों बहुमत की सत्ता से नाराज़ चल रहे हैं. वह सत्ता जिसका कभी उन्होंने हिस्सा होना चाहा और इसके लिए अपने समाचार चैनल जी न्यूज को भी इस काम पर लगा दिया, भले ही इससे चैनल की साख मिट्टी में क्यों न मिल गयी हो. च…
विनीत कुमार/ लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के मतदान को लेकर जो प्रतिशत हमारे सामने हैं, वो चिंता पैदा करनेवाला है. कोई राजनीतिक पार्टी हारेगी और कोई जीतेगी, इससे पहले ही कारोबारी मीडिया ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को एक हताश लोकतंत्र की तरफ धकेलने का काम किया है.…
चैनल को पता है कि हऊआ पैदा करने से वो कंटेंट के बारे में सोचना छोड़ देंगे...
विनीत कुमार/ आजतक चैनल ने अपने प्राइम टाइम शो राजतिलक में हेलीकॉप्टर जोड़ा है. इसके जर…
विनीत कुमार/ संसद भवन के भीतर स्मोक केन/बम की ख़बर के लेकर देश के प्रमुख चैनलों के संवाददाताओं ने संसद भवन के बाहर जो हरकत की है वो मीडिया और लोकतंत्र को शर्मसार करनेवाली है. पीली रंग की च़ीज को लेकर जिसके बारे में न्यूजरूम से लगातार स्मोक बम/केन बताया जाता है, उनके आपस में छीना-…
अपने अंदर झांककर देखना भी जरूरी
नागेंद्र प्रताप/ हमारे जो पत्रकार मित्र विपक्षी गठबंधन द्वारा कुछ पत्रकारों के बायकॉट की घोषणा से बुरी तरह आहत हैं, उन्हें दरअसल उस वक्त आहत होना चाहिए था जब ये या ऐसे पत्रकार पत्रकारित…
इससे कहीं ज़्यादा विज्ञापन में सूचनाएं, रेप्लिका तैयार करना ही अब चैनल की पत्रकारिता !
विनीत कुमार/ G20 को लेकर CII (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन…
विनीत कुमार/ पिछले दिनों इंडिया बनाम भारत को लेकर इंडिया टुडे चैनल पर राहुल कँवल ने जो कार्यक्रम पेश किया, उसे लेकर मैंने एक पोस्ट लिखी. उस पोस्ट पर जितनी प्रतिक्रिया आयी, उनमें से एक पढ़ते हुए लगा कि टिप्पणी करनेवाले अभय ( Abhai Srivastava) ने यह समझा कि स्टूडियो में बैठकर राहुल…
विनीत कुमार / न्यूज एंकरों में इतनी भी समझदारी नहीं बची है कि वो अपने दर्शकों को बता सकें कि आज इसरो और उनके वैज्ञानिकों का दिन है. ख़ुद ही फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता में शामिल होकर उन्हें अपदस्थ करने में लगे हैं. हम भारतीय आज जिनके बूते जश्न मना रहे हैं, स्क्रीन पर उनके होने का …
विनीत कुमार/ इन दिनों न्यूज एंकरों की पूरी कोशिश अपने दर्शकों के बीच यह ख़ुशफहमी पैदा करने की है कि चैनलों पर पत्रकारिता लौट आयी है. मेरी अपनी समझ है कि चैनलों से पत्रकारिता इतनी दूर चली गयी है कि कोई एंकर जाकर वापस लाने की भी कोशिश करें तो ख़ुद इस इन्डस्ट्री में न लौट पाएंगे. मी…
डॉ. लीना