विनीत कुमार/ लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के मतदान को लेकर जो प्रतिशत हमारे सामने हैं, वो चिंता पैदा करनेवाला है. कोई राजनीतिक पार्टी हारेगी और कोई जीतेगी, इससे पहले ही कारोबारी मीडिया ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को एक हताश लोकतंत्र की तरफ धकेलने का काम किया है.…
Blog posts : "whatsapp फेसबुक से "
हमें सुनाई भी दे रहा है, दिखाई भी दे रहा है और आपको अंजना मैम?
चैनल को पता है कि हऊआ पैदा करने से वो कंटेंट के बारे में सोचना छोड़ देंगे...
विनीत कुमार/ आजतक चैनल ने अपने प्राइम टाइम शो राजतिलक में हेलीकॉप्टर जोड़ा है. इसके जर…
क्या मीडियाकर्मियों की ये हरकत राष्ट्रहित में है
विनीत कुमार/ संसद भवन के भीतर स्मोक केन/बम की ख़बर के लेकर देश के प्रमुख चैनलों के संवाददाताओं ने संसद भवन के बाहर जो हरकत की है वो मीडिया और लोकतंत्र को शर्मसार करनेवाली है. पीली रंग की च़ीज को लेकर जिसके बारे में न्यूजरूम से लगातार स्मोक बम/केन बताया जाता है, उनके आपस में छीना-…
तो यह सूची भी जायज है..
अपने अंदर झांककर देखना भी जरूरी
नागेंद्र प्रताप/ हमारे जो पत्रकार मित्र विपक्षी गठबंधन द्वारा कुछ पत्रकारों के बायकॉट की घोषणा से बुरी तरह आहत हैं, उन्हें दरअसल उस वक्त आहत होना चाहिए था जब ये या ऐसे पत्रकार पत्रकारित…
चैनल क्या सूचना के स्तर पर आपको समृद्ध कर रहा है
इससे कहीं ज़्यादा विज्ञापन में सूचनाएं, रेप्लिका तैयार करना ही अब चैनल की पत्रकारिता !
विनीत कुमार/ G20 को लेकर CII (कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन…
दरअसल राहुल कँवल, इंडिया टुडे ने आपको धोखे में रखा
विनीत कुमार/ पिछले दिनों इंडिया बनाम भारत को लेकर इंडिया टुडे चैनल पर राहुल कँवल ने जो कार्यक्रम पेश किया, उसे लेकर मैंने एक पोस्ट लिखी. उस पोस्ट पर जितनी प्रतिक्रिया आयी, उनमें से एक पढ़ते हुए लगा कि टिप्पणी करनेवाले अभय ( Abhai Srivastava) ने यह समझा कि स्टूडियो में बैठकर राहुल…
ये इसरो और भारतीय वैज्ञानिकों की शाम है, न्यूज एंकरों की नहीं
विनीत कुमार / न्यूज एंकरों में इतनी भी समझदारी नहीं बची है कि वो अपने दर्शकों को बता सकें कि आज इसरो और उनके वैज्ञानिकों का दिन है. ख़ुद ही फैन्सी ड्रेस प्रतियोगिता में शामिल होकर उन्हें अपदस्थ करने में लगे हैं. हम भारतीय आज जिनके बूते जश्न मना रहे हैं, स्क्रीन पर उनके होने का …
ख़ुशफहमी कि चैनलों पर लौट आयी पत्रकारिता
विनीत कुमार/ इन दिनों न्यूज एंकरों की पूरी कोशिश अपने दर्शकों के बीच यह ख़ुशफहमी पैदा करने की है कि चैनलों पर पत्रकारिता लौट आयी है. मेरी अपनी समझ है कि चैनलों से पत्रकारिता इतनी दूर चली गयी है कि कोई एंकर जाकर वापस लाने की भी कोशिश करें तो ख़ुद इस इन्डस्ट्री में न लौट पाएंगे. मी…
क्या तुम अपने भीतर से दिल और दिमाग़ दोनों निकालकर एक डब्बे के तौर पर न्यूजरूम में शामिल हो सकते हो ?
सिर्फ मास कॉम का कोर्स करके मीडियाकर्मी नहीं बन सकते
विनीत कुमार/ देश के प्रिय युवा/ टीनएजर्स !
यदि आप बारहवीं या स्नातक( ग्रेजुएशन) के बाद जर्न…
चैनलों ने समाज को इस लायक रहने भी दिया ?
किस भरोसे से लोग मदद के लिए सामने आएंगे
विनीत कुमार/ हालांकि है तो यह बेहद ही शर्मनाक बात कि बीच सड़क पर, दर्जनों लोगों के आते-जाते बीच गुरुग्राम में 23 साल का एक युवक महिला पर दनादन वार करता है, बेतहाशा चाकू चलाता …
हमारे न्यूज एंकर मीडियाकर्मियों की हिन्दी
विनीत कुमार/ न्यूज चैनल देखते हुए कभी आप इस सिरे से सोचते हैं कि जिस हिन्दी ने औसत दर्जे के मीडियाकर्मी को शोहरत, दौलत और ताक़त दी, उनकी उस हिन्दी को सुनते हुए हम अपने बच्चों को ऐसी ही भाषा सीखने की सलाह दे सकते हैं ? आपकी नज़र में हिन्दी न्यूज चैनल का कोई भी एक एंकर है जिनके बार…
जानवरों की तरह न्यूजरूम से हांके गए दर्जनों मीडियाकर्मी
विनीत कुमार/ एबीपी न्यूज के आउटपुट हेड जो कि पिछले बीस साल से (स्टार न्यूज के दौर से ) चैनल को अपनी सेवाएं देते आए, उन्हें धकियाते हुए परिसर से बाहर किया गया. उनकी किताबें और बाक़ी चीज़ों को उनके साथ भेज दिया गया जिससे कि वो दोबारा किसी भी बहाने यहां आ न सकें. उन्हें अपने सहयोगिय…
नामचीन के इंटरव्यू महज हैसियत जताने के माध्यम
अब इस विधा में कुछ बचा नहीं है.
विनीत कुमार/ चूंकि मुझे इतनी बात मालूम है कि किसी चैनल या डिजिटल प्लेटफॉर्म को किसी नामचीन चेहरे को इंटरव्यू के लिए तैयार करने में कितनी मशक्क़त करनी पड़ती है तो उसके पीछे का गुणा-गणित भी समझ आता है.…
कुछ ही जातियों का वर्चस्व बड़े मीडिया समूहों में भी
उर्मिलेश/ अपने यहाँ के मीडिया-समूहों(बड़े अख़बारों और टीवी चैनलों में) में जाति और जातिवाद की बात चलती है तो अमूमन लोग कहते हैं, छोड़िये न जातिवाद कहाँ नहीं है, अपने समाज के हर क्षेत्र में है! लेकिन तुलनात्मक स्तर पर देखें तो जातिवाद का बड़ा ही हैरतंगेज़ चेहरा दिखाई देता है. सबसे अधि…
लाशों का ढेर और शो में पूरे जोश के साथ स्वागत
अविनाश कुमार सिंह/ बालासोर रेल हादसा। २८८ लोगों की मौत। एक हजार से ज्यादा घायल। चीत्कार। चीख पुकार। बिलखते लोग। तबाही का मंजर। खौफनाक डरावनी तस्वीरें। हर तरफ खून के धब्बे। खून से सनी लाशें। जो अभी जिंदा थे, अभी अभी मर गए। पल पल दम तोड़ते लोग। हमने 'गदर' देखी। मुसाफिर जो…
67 की उम्र में हथकड़ी का 'पुरस्कार'
एक सवाल
डॉ. अशोक प्रियदर्शी / कहानी मुफलिसी पत्रकार की है। नाम है रविंद्र नाथ भईया। रहने वाले हैं बिहार के नवादा जिले के खनवां गांव के। उम्र के आखिरी पड़ाव में हैं। 67 साल उम्र हो गई है। ना कोई गाड़ी है। नहीं कोई बंगला। साल में दो जोड़ी चप्पल और दो जोड़…
महज ‘गोदी मीडिया’ तक सीमित नहीं ये
उर्मिलेश/ इसीलिए मैं टीवी चैनलों को ‘गोदी मीडिया’ तक नहीं सीमित रखता. यह एक ख़ास क़िस्म का मीडियापुरम् है! इसमें टीवी चैनलों की दुनिया तो और भी ‘हिन्दू अपर कास्ट अफ़ेयर’ है! (अगर किसी को मेरी बात पर संशय हो तो वह टीवीपुरम् में काम करने वाले, ख़ासकर इसके निर्णयकारी पदों पर आसीन लोगों …
प्रेस फ्रीडम के मामले में भारत और गिरा
उर्मिलेश/ वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी हो गया. इस बार भारत 180 देशों की सूची में 161 वें स्थान पर पहुंच गया. 2022 के सूचकांक में हम 150 वें स्थान पर थे. यानी भारत 11 अंक नीचे गिरा है. भारत से हमेशा नीचे रहने वाला पाकिस्तान भी इस बार ऊपर हो गया. उसे 150 वें स्थान पर रखा गया है. म्…
अब कई बडी खबरें, कुछ लोगों के दिमाग से निकलती हैं
उर्मिलेश/ तो बात समझ में आ गई न! अपने 'धारा-प्रवाह कवरेज' से टीवीपुरम ने इसमें कोई संदेह नहीं छोड़ा है! साबित हो चुका कि अब भारत नामक विशाल देश के पास कोई और बड़ी खबर नहीं है. खबर सिर्फ अमृतपाल है.…
ये है हमारी हिन्दी पत्रकारिता का स्तर
पितृसत्तात्मक जकड़बंदी से बाहर नहीं निकल पाया हिन्दी अख़बार
विनीत कुमार/ प्रो. कुमुद शर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय में सालों से पढ़ा रही हैं. पत्रकारिता के छात्रों के बीच वो बेहद…
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- कारोबारी मीडिया ने इस देश को एक हताश लोकतंत्र में बदल दिया
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- संस्कृति और भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता हैं सच्चिदानंद जोशीः प्रो. द्विवेदी
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- आम चुनाव 2024 के लिए मीडिया सुविधा पोर्टल शुरू
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- चुनावी बांड पटाक्षेप और 'ग़ुलाम मीडिया' में पसरा सन्नाटा
- बहुभाषिकता है भारत की शक्ति: प्रो.संजय द्विवेदी
- पत्रकार दीपक विश्वकर्मा पर जानलेवा हमला
- यूनीवार्ता के पूर्व ब्यूरो प्रमुख अरुण केसरी का निधन
- प्रसारण और प्रसार के लिए साझा दृश्य-श्रव्य (पीबी-एसएचएबीडी) शुरू
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Anurag yadavJanuary 11, 2024
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सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
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Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
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Manjeet SinghJune 23, 2023
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AnonymousJune 6, 2023
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AnonymousApril 5, 2023
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AnonymousMarch 20, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना