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मीडियामोरचा

___________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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संवाद और संचार की दुनिया में बज रहा हिंदी का डंका

हिंदी पत्रकारिता के 200 साल

प्रो.संजय द्विवेदी/ कोलकाता से 200 साल पहले जब पं.युगुलकिशोर शुक्ल ने हिंदी का पहला पत्र 30 मई,1826 को प्रारंभ किया होगा, तो उन्होंने यह सोचा भी न होगा कि हिंदी पत्रकारिता देश की आवाज बन जाएगी।‌ वह इस महान देश के सपनों, आकांक्षाओं, संघर्षों, आंदोलनों,दुखों और आर्तनाद की सबसे प्रखर भाषा की वाहक बन…

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हिंदी पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियां और संभावनाएं

खबर को रोचक बनाने के सकारात्मक उपाय आजमाये जाने चाहिए, वैल्यू एडिशन हों

अभिषेक दास/ उदंत मार्तण्ड के साथ शुरू हुई हिंदी पत्रकारिता के समक्ष वर्तमान समय में अनेक प्रकार की चुनौतियां  खड़ी हैं। यह चुनौतियां पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों से डिगने के कारण उत्पन्न हुई …

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मूल्यबोध और राष्ट्रहित बने मीडिया का आधार

कोई भी मीडिया सत्यान्वेषण की अपनी भूख से ही सार्थक बनता है.. हिंदी पत्रकारिता के 200 साल (30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस) पर विशेष

प्रो. संजय द्विवेदी/ हिंदी पत्रकारिता दिवस हम 3…

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‘देशहित’ से ही बचेगी पत्रकारिता की साख

हिंदी पत्रकारिता दिवस, 30 मई पर विशेष

लोकेन्द्र सिंह/ ‘हिंदुस्थानियों के हित के हेत’ इस उद्देश्य के साथ 30 मई, 1826 को भारत में हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी जाती है। पत्रकारिता के अधिष्ठाता देवर्षि नारद के जयंती प्रसंग (वैशाख कृष्ण पक्ष द्वितीया) पर हिंदी के पहले समाचार-पत्र ‘उदंत मार्तंड’ का प्रकाशन होता है। इस …

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झूठ और पाखंड को बेनकाब करने के लिए ईमानदार पत्रकारिता जरुरी

निर्मल रानी/ हरियाणा महिला आयोग की अध्यक्ष रेनू भाटिया ने पिछले दिनों अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉक्टर अली ख़ान के विरुद्ध एक शिकायत दर्ज की थी।  जिसमें उन पर 'ऑपरेशन सिंदूर' और भारतीय सेना की महिला अधिकारियों के बारे में सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया गया था। अपनी शिकायत में रेनू भाटिया ने कहा कि ' प्रोफ़ेसर ख़ान ने अपनी पोस्ट में महिल…

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क्या जरूरत है हर विषय पर लिखने की?

खतरनाक है विशेषज्ञता झाडऩे का चक्कर

मनोज कुमार/ एक दौर था जब जवानी इश्क में डूबी होती थी लेकिन एक यह दौर है जहाँ जवानी लेखन में डूबी हुई है. विषय की समझ हो या ना हो, लिखने का सऊर हो या ना हो लेकिन लिखना है, वह भी बिना तथ्य और तर्क के. ऐसे लेखकों की बड़ी फौज तैयार हो गई है जिसे हर विषय पर लिखना शगल हो गया है. जिन्हें…

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टी आर पी की ख़ातिर कुछ भी करेगा

 

निर्मल रानी/ अभी गत 28 मार्च 2025 की ही बात है जबकि ज़ी न्यूज़ टी वी चैनल के स्वामी सुभाष चंद्रा को ज़ी न्यूज़ की ओर से अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर रिया चक्रवर्ती को टारगेट करने से सम्बंधित ख़बरों को उनके चैनल ज़ी न्यूज़ द्वारा ग़लत तरीक़े से पेश करने के लिए मुआफ़ी मांगनी पड़ी थी। सुभाष चंद्रा ने कहा था कि - "सुशांत राजपूत आत्महत्या मामले में सीबीआई ने क्लोज़र रिपोर…

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झूठ फैलाकर उन्माद को हवा देता 'गोदी मीडिया'

तनवीर जाफ़री/ भारत और पाकिस्तान में बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों में 'तत्काल और पूर्ण संघर्षविराम' अर्थात फ़ायरिंग और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बन गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 'भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल और पूर्ण संघर्षविराम पर सहमति बनने' की जानकारी दी गई थी। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि "भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल सीज़फ़ायर पर सहमति जताई है। …

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एक चैनल के भीतर ही दो दुनिया!

एक इनके स्टार एंकर्स और एक ये जिनके पास रिपोर्टिंग के लिए ढंग से बुनियादी चीज़ें भी नहीं हैं

विनीत कुमार/ अंजनाऽऽ..अंजनाऽऽऽऽ.. यहां धमाके की आवाज़ सुनाई दे रही है..…

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शब्द हिंसा का बेलगाम समय!

वस्तुनिष्ठता से किनारा करती मीडिया बहुत खौफनाक हो जाती है

प्रो. संजय द्विवेदी/ यह 'शब्द हिंसा' का समय है। बहुत आक्रमक, बहुत बेलगाम। ऐसा लगता है कि टीवी न्यूज मीडिया ने यह मान लिया है कि शब्द हिंसा में ही उसकी मुक्ति है। चीखते-चिल्लाते और दलों के प्रवक्ताओं को मुर्गो की…

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सम्पादक

डॉ. लीना