अंशु शरण की दो कवितायें....
मीडिया
जुबाँ खुलने से पहले
कलम लिखने से पहले
अख़बार छपने से पहले ही
बिकी हुयी है |
और इनके बदौलत ही…
अंशु शरण की दो कवितायें....
मीडिया
जुबाँ खुलने से पहले
कलम लिखने से पहले
अख़बार छपने से पहले ही
बिकी हुयी है |
और इनके बदौलत ही…
संजय रावत की मजदूर दिवस पर लिखी गई एक कविता, जो सर्वकालिक है
सलाम सम्पादक !
तुम ज्ञानी हो, वाचक हो, अंर्तयामी, युगदृष्टा और पथप्रदर्शक भी.…
महेंद्र भटनागर की दो कविताएँ
समता-स्वप्न
विश्व का इतिहास
साक्षी है —
अभावों की
धधकती आग में
जीवन
हवन जिनने किया,…
डॉ. लीना