जुटेंगे देश भर के साहित्यकार, ग्रामीणाचंल क्षेत्रों से हिन्दी साहित्य के विमर्श को नयी दिशा देने की पहल
कोंच (जालौन)। जयपुर, पटना, लखनऊ ,कोलकता जैसे बड़े महानगरों के बाद अब साहित्य के विमर्श केन्द्रों की फेहरिस्त में बुन्देलखण्ड के कोंच कस्बे का नाम जुड़ने वाला है। 2 से 4 मई तक देश भर से साहित्य से जुड़े तमाम लोगों का संगम आप कोंच में देख सकते है। यह जानकारी प्रथम कोंच हिन्दी साहित्योत्सव के आयोजन की घोषणा करते हुए आयोजन समिति प्रमुख डाक्टर कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने दी। कार्यक्रम के आयोजन की आवश्यकता पर प्रकाश ड़ालते हुए कुमारेन्द्र ने बताया कि हिन्दी साहित्य लगातार नये आयाम गढ़ते जा रहा है। जहाँ एक ओर युवा पाठकों का रुझान हिन्दी साहित्य की ओर हुआ है वहीं दूसरी ओर हिन्दी लेखकों ने भी नये विषयों पर लिखना शुरु कर दिया है जिसके चलते हिन्दी साहित्य का विमर्श और पैना एवं विस्तृत हो गया है।
साहित्य अनुरागियों ने साहित्य महोत्सवों का आयोजन करके विमर्श के लिये जुटने का एक नया तरीका निकाल लिया है। मगर तमाम साहित्य महोत्सवों में आयी ग्लैमर की चमक से विमर्श थोड़ा पिछड़ने सा लगा है। अब ग्रामीणाचंल क्षेत्रों को भी हिन्दी साहित्य के विमर्श को नयी दिशा देने का काम करना होगा। जिसकी शुरुआत प्रेमचंद के हिन्दी लेखन के सौ वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कोंच से होगी। वहीं संस्था अध्यक्ष राघवेन्द्र कौशल व सहयोगी दीपक मशाल ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि तकनीक में आई क्रान्ति से समय बहुत तेजी से बदल रहा है। दिल्ली, जयपुर, लखनऊ, पटना जैसे शहरों में होने वाले साहित्य महोत्सवों के बारे में सबको जानकारी रहती है किन्तु गाँवों में बसने वाले हिन्दी साहित्य के असली पाठकों तक इनकी पहुँच नहीं बन पाती है। गाँवों में बसने वाली इस देश की आत्मा के पास जाकर साहित्यानुराग की लौ को और तेज करने के उद्देश्य से प्रथम कोंच हिन्दी साहित्योत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें साहित्य और कला से जुड़े तमाम विचारक आज के परिप्रेक्ष्य में ज्वलंत विषयों पर चर्चा करेंगे, सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए चर्चा के बिन्दु तय कर लिये गये हैं। आशा है कि इन चर्चाओं से हिन्दी साहित्य को नयी दिशा मिलेगी। साथ ही तीनों दिन हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं पर ख्यात साहित्यकारों की देखरेख में कार्यशालाएं आयोजित होंगीं, जिनसे क्षेत्र की साहित्य की नवोदित प्रतिभाएं लाभान्वित होंगीं।
आमत्रिंत साहित्यकारों में ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार प्राप्त साहित्यकार पंकज सुबीर, इस वर्ष के ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार प्राप्त हरेप्रकाश उपाध्याय, प्रसिद्ध चित्रकार और लेखक प्रभु जोशी, व्यंग्यकार गिरीश पंकज, व्यंग्यकार हरीश नवल, लघुकथाकार सुकेश साहनी, अशोक कुमार, किशोर चौधरी, पवन कुमार, अजित रॉय, शारदा सुमन, ललित कुमार, डिम्पल चौधरी, वंदना अवस्थी दुबे, मज्कूर आलम, पंकज रामेंदु, शैलेश भारतवासी, ज्योतिकुमारी, वीनस केसरी समेत हिन्दी साहित्य और कला से जुड़े एक सैकड़ा से अधिक नामचीन लोग इस सम्मेलन में शिरकत करेंगे। कोंच हिन्दी साहित्योत्सव २०१४ में साहित्य की चुनौतियों पर गंभीर चर्चा की जाएगी। समूचे साहित्योत्सव को तीन दिवसों में अलग-अलग दृष्टिकोण से परिभाषित कर हिन्दी साहित्य के नवीन आयामों को तथा पुराने आयामों में से कुछ नवीन का उद्घाटन करने का प्रयास किया जायेगा। कोंच हिन्दी साहित्योत्सव इस दिशा में नवीन प्रयास है और शायद ग्रामीण अंचल क्षेत्रों की एक विचारणीय पहला, जिसमें ईमानदारी से साहित्य पर चर्चा की जायेगी और उसे बेहतर बनाने की कोशिश भी की जाएगी। इसके अलावा प्रेस विज्ञप्ति जारी करते समय संस्था संरक्षक साहित्यकार सुरेन्द्र नायक महासचिव अभिनव सरकार, कौशलेन्द्र शुक्ल, पारस पंख, अमन सक्सेना, संजीव सरस, आलोक आदि उपस्थित रहे।