सुश्री पूजा ओ मुरादा व सह लेखक डॉ श्रीधर राममूर्ति द्वारा लिखित है किताब
नई दिल्ली/ यूनेस्को के नई दिल्ली कार्यालय में सुश्री पूजा ओ मुरादा व सह लेखक डॉ श्रीधर राममूर्ति द्वारा लिखित किताब "भारत में सामुदायिक रेडियो" का विमोचन भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक श्री के. जी. सुरेश और यूनेस्को के दक्षिण एशिया के संचार सलाहकार श्री अल-अमीन यूसुफ़ ने किया। के कर कमलों से कल सम्पन्न हुआ।
इस पुस्तक का उद्देश्य भारत में सामुदायिक रेडियो के बारे में समझ का प्रसार करना है साथ ही संयुक्त राष्ट्र के एजेंडा 2030 का समर्थन करना है जो विश्व में लोगों के लिए शांतिपूर्ण, समावेशी, सतत और स्थिति-स्थापक भविष्य बनाने के लिए प्रेरित करता है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी को विकास की धारा में जोड़ना है ताकि सतत व समावेशी विकास हो सके। प्रसारण की दुनिया में सामुदायिक रेडियो की पहुच समाज के सबसे धरातल पर रहने वाले लोगों के साथ होती है तथा उस तबके तक सूचना व जानकारी को साझा करना जहां विकास की आवश्यकता है।
यह पुस्तक सामुदायिक मीडिया के क्षेत्र में एक लंबे समय से प्रकाशन के अंतराल को भरती है और सामुदायिक रेडियो क्षेत्र के द्वारा हाल ही में नीतिगत बदलाव और योजनाओं को शामिल करती है। भारत में सामुदायिक रेडियो की यात्रा के बारे में बात करने के अलावा, यह पुस्तक उन कई चुनौतियों को दर्शाती है जो इस सामुदायिक रेडियो सामना करता है और सामुदायिक रेडियो की कई सर्वोत्तम सफल कहानियों को भी साझा करती है।
यह प्रकाशन अद्वितीय है क्योंकि दोनों ही लेखक अपने सामुदायिक मीडिया के वर्षों के अनुभव को इस किताब में संजोये हुए हैं। डॉ श्रीधर एक अनुभवी सादायिक रेडियो विशेषज्ञ और शिक्षाविद हैं, जबकि पूजा मुरादा अपने सामुदायिक रेडियो के साथ काम करने दृष्टिकोण से साझा करती हैं। सुश्री पूजा ओ मुरादा कहती है कि “अभी तक पत्रकारिता पाठ्यक्रमों में सामुदायिक रेडियो को शामिल नहीं किया गया है।
सामुदायिक रेडियो जिसे अंग्रेजी में कम्युनिटी रेडियो कहा जाता है। तेजी से यह दुनिया भर में विस्तार पा रहा है। कम्युनिटी रेडियो दुनिया के संचार माध्यमों में नहीं है किन्तु भारत में अभी यह शैशव अवस्था में है। लगभग एक दशक पहले कम्युनिटी रेडियो को लेकर भारत सरकार ने नीति बनायी। इस नीति के तहत प्रथम चरण में तय किया गया कि कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने हेतु लाइसेंस शैक्षणिक संस्थाओं को दिया जाए लेकिन इसे और विस्तार देते हुए स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से कम्युनिटी रेडियो संचालन हेतु लाइसेंस देने पर सहमति बनी।
भारत में रेडियो का चलन रहा है और वह भी सरकारी रेडियो का लेकिन अब कम्युनिटी रेडियो भले ही देश के कोने-कोने में अपनी पहचान बनाने में सक्षम हुए हों लेकिन इसपर बहुत कम किताबें बाजार में उपलब्ध हैं और छात्रों को इस विषय पर अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इस रिक्तता को पूरा करने के लिए लेखकों ने इस विषय पर भरपूर अध्ययन के बाद किताब में समुचित सामग्री उपलब्ध कराई है और यह पुस्तक अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के अलावा कम्युनिटी रेडियो का संचालन करने वालों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
किताब में कम्युनिटी रेडियो क्या है, इसका संचालन कैसे होता है, भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय से लाइसेंस कैसे प्राप्त किया जाता है और कौन सी स्वयंसेवी संस्था इसके लिए योग्य मानी जाएगी जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। इस किताब में भारत में कम्युनिटी रेडियो की स्थिति के बारे में विस्तार से चर्चा की गई है।
एक बढ़ते संचार माध्यम कम्युनिटी रेडियो के बारे में यह किताब अनेक दृष्टि से जानकारी देती है जैसे कि कम्युनिटी रेडियो की परिभाषा क्या है, यह किस प्रकार काम करता है और इसके लिए प्रोग्राम किस तरह बनाया जाए। यह किताब कम्युनिटी रेडियो आरंभ करने के इच्छुक स्वयंसेवी संस्थाओं के लिए उपयोगी तो है ही, प्रसारण की शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी यह बेहद महत्वपूर्ण है।
हम आशा करते हैं कि यह पुसतक पत्रकारिता और संचार व मीडिया के छात्रों के लिए लाभदायक साबित होगी। पुस्तक विमोचन समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से रेडियो प्रैक्टिशनर और समाज के विभिन्न वर्गों के विख्यात हस्तियां मौजूद थीं।
पुस्तक विमोचन के दौरान लेखकों ने पुस्तक लिखने में अपनी यात्रा के बारे में बताया और यूनेस्को को पुस्तक का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया।