कार्यभार पुरे देश और समाज को उठाना होगा : इंडियन जर्नलिस्ट्स
यूनियन गंगटोक में यूनियन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक सम्पन्न
गंगटोक/ नीली पहाड़ियों वाले हिमालयन सेवेन सिस्टर्स स्टेट के सिक्किम राज्य की राजधानी गंगटोक शहर में इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की हालिया बैठक के अवसर पर विगत 6-7 नवम्बर को भारत में एथिकल पत्रकारिता पर आये गम्भीर संकट का मसला छाया रहा। इस बैठक और सम्मेल्लन से यह सन्देश निकला कि यदि इस देश में एथिकल पत्रकारिता को बनाये रखना है तो इसे लघु और मध्यम समाचारपत्रों के जरिये ही बचाया जा सकता है क्योंकि बड़े समाचार घराने कार्पोरेट निगमों में बदल गए हैं जिनके अपने व्यावसायिक एजेंडे हैं और जिनका देश और समाज की भलाई और विकास से कुछ लेना देना नहीं रह गया है। इसलिए इस पूरे प्रक्रम में यह निष्कर्ष निकला कि एथिकल पत्रकारिता को बचाए रखने के लिए लघु और माध्यम पत्र-पत्रिकाओं को मज़बूत करने का विशेष कार्यभार पूरे देश और समाज को लेना होगा। इन लघु और माध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं को विशेष विज्ञापन देकर संरक्षित करना होगा, तभी और सिर्फ तभी देश में एथिकल पत्रकारिता बचेगी अन्यथा पत्रकारिता को कार्पोरेट घरानों के हवाले छोड़ देने से एथिकल पत्रकारिता बीते ज़माने की चीज़ बन कर रह जाएगी।
इसी निष्कर्ष के साथ इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन की गंगटोक बैठक समाप्त हुई। इस अवसर पर देश के 17 राज्यों - आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू, केरल, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरयाणा, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, कर्नाटक, दिल्ली, मेघालय, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश से प्रतिनिधि आये और उन्होंने सिक्किम के विधान सभा परिसर स्थित चिन्तन भवन में देश में एथिकल पत्रकारिता पर आये गम्भीर संकट पर लम्बी और सार्थक चर्चा में शिरकत की। इसी सन्दर्भ में एक विशेष सत्र नार्थ ईस्ट मीडिया के खतरों के नाम भी समर्पित किया गया। सिक्किम के चिन्तन भवन में आयोजित इस प्रक्रम की शुरुआत मेज़बान राज्य सिक्किम के विद्वत राज्यपाल एवं केंद सरकार के पूर्व गृह सचिव बाल्मीकि प्रसाद सिंह ने दीप जला कर की। इस अवसर पर दिए गए अपने वक्तव्य में श्री सिंह ने मीडिया में आई गिरावट की चर्चा करते हुए कहा कि आज मीडिया महज एक उद्योग भर बनकर रह गया है और उससे देशभक्ति और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना समाप्तप्राय सी हो गयी है। इस अवसर पर भारत में प्रिंट मीडिया के स्तर को कायम रखने और मीडिया की निष्पक्षता और उसको दवाब-मुक्त बनाये रखने की गारंटी के लिए बनी संवैधानिक क्वासी-जुडिसिअल संस्था, भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया) के माननीय अध्यक्ष, जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में इसी मुद्दे पर बोलते हुए बताया कि आज पत्रकारिता - जिसमे प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक दोनों ही मीडिया शामिल हैं - अपनी जिम्मेवारी को ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं। उन्होंने इस सन्दर्भ में कहा कि आज की मीडिया के लिए लोगों, जनजीवन, समाज के मुद्दे कोई महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं बल्कि उनके लिए सचिन तेंदुलकर का शतक, देवानंद और राजेश खन्ना की मृत्यु, ऐश्वर्या का गर्भ धारण, किसानों की आत्महत्या, आदिवासियों के विस्थापन जैसे समाचारों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।
जस्टिस काटजू ने कहा इन तथ्यों के आलोक में निगमितमीडिया घरानों - जिन्हें गलत तरीके से मुख्य धारा की मीडिया के तौर परप्रचारित और प्रस्तुत किया जा रहा है से जनपक्षी और समाजपक्षी पत्रकारिताकी उम्मीद बेमानी है। उन्होंने कहा कि यदि सचमुच एथिकल पत्रकारिता कोबचाना है तो कार्पोरेट पत्रकारिता के बरक्श लघु और मध्यम पत्रकारिता कोसम्पन्न और मज़बूत करना होगा। इस अवसर पर इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन केराष्ट्रीय अध्यक्ष एस एन सिन्हा ने प्रोस्पेक्ट्स एंड प्रोब्लम्स ऑफ़नार्थईस्ट मीडिया पर अपना पेपर पढ़ा जिसमे उन्होंने नार्थ-ईस्ट मीडिया कोदेश की मुख्यधारा की मीडिया में अपनी सशक्त पहचान कायम करने की जरुरत पर बलदेते हुए उन्हें इस काम में अपनी यूनियन के समर्थन का आश्वासन भी दिया।उन्होंने भी मीडिया में समाज विमुखता के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की और कहाकि यदि इस प्रवृति को रोकना है तो हमें मीडिया के अंदर से एक सशक्त आवाज़पैदा करनी होगी और लघु और माध्यम समाचारपत्रों को मज़बूत कर कार्पोरेटमीडिया घरानों की मीडिया पर पकड़ को ज़ोरदार चुनौती देनी होगी। उन्होंने कहायह काम आई जे यू जैसी एक राष्ट्रीय और मजबूत यूनियन के नेतृत्व में ही कीजा सकती है। आई जे यू के राष्ट्रीय सेक्रेट्री जेनरल डी अमर ने अपनेसम्बोधन में साफ़ शब्दों में अपने यूनियन की एथिकल पत्रकारिता के सन्दर्भमें अपने कमिटमेंट की बात कही और देश के पत्रकारों सहित नार्थ-ईस्ट केपत्रकारों को आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी यूनियन सिर्फपत्रकारों के ट्रेड यूनियन अधिकारों के लिए ही नहीं लडती है वरन हमारीप्रतिबद्धता एथिकल जर्नलिज्म के प्रति भी उतनी ही है। हम एक लम्बे समय सेइसके लिए लड़ते रहे हैं। इस सन्दर्भ में हमारी यूनियन का इतिहास गौरवमय है।
राष्ट्रीयकार्यकारिणी की बैठकों के सत्रों में बोलते हुए एस एन सिन्हा जी और डी अमरने इस बात की जानकारी दी कि यूनियन तोड़ने की आई जे यू के पूर्व अध्यक्षजिन्हें यूनियन तोड़ने के आरोप में यूनियन के हैदराबाद कांफ्रेंस मेंनिष्कासित किया जा चुका है अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। मगर एक एकमोर्चे पर उनको मुंह की खानी पड़ रही है। न्यायालय के द्वारा गैरकानूनीकामों के लिए अखौरी जी को दो बार आर्थिक दंड भी भरना पड़ा है। मगर वेहैं कि अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। धीरे धीरे ही सही सभी जगहों मेंउनकी पोल खुलती जा रही है। आंध्र प्रदेश के एक न्यायालय से उनपर आई जे यूके बैनर के इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है मगर फिर भी वे हैं कि मानते नहीं।एक-एक जगहों पर उनके दावे निरस्त होते जा रहे हैं मगर फिर भी वे अपने लोगोंके बीच सिर्फ यह भ्रम बनाये रखने के लिए कि मामला सब्ज-जुडिस है ताकि उनकेसाथ जुड़े कुछ दिग्भ्रमित लोगों का भ्रम बना रहे और वे उनके कैम्प में बनेरहें यह सब करते चले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही उनका बनाया गयायह भ्रम भी टूट जायेगा और हम उम्मीद करते हैं कि हमारे कुछ दिग्भ्रमितसाथियों को एक बड़ी निराशा मिलनी तय है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति नहीं संगठनबड़ा होता है इस बात को हमारे दिग्भ्रमित साथियों को समझ लेना चाहिए।
यूनियन गंगटोक में यूनियन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक सम्पन्न
गंगटोक/ नीली पहाड़ियों वाले हिमालयन सेवेन सिस्टर्स स्टेट के सिक्किम राज्य की राजधानी गंगटोक शहर में इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की हालिया बैठक के अवसर पर विगत 6-7 नवम्बर को भारत में एथिकल पत्रकारिता पर आये गम्भीर संकट का मसला छाया रहा। इस बैठक और सम्मेल्लन से यह सन्देश निकला कि यदि इस देश में एथिकल पत्रकारिता को बनाये रखना है तो इसे लघु और मध्यम समाचारपत्रों के जरिये ही बचाया जा सकता है क्योंकि बड़े समाचार घराने कार्पोरेट निगमों में बदल गए हैं जिनके अपने व्यावसायिक एजेंडे हैं और जिनका देश और समाज की भलाई और विकास से कुछ लेना देना नहीं रह गया है। इसलिए इस पूरे प्रक्रम में यह निष्कर्ष निकला कि एथिकल पत्रकारिता को बचाए रखने के लिए लघु और माध्यम पत्र-पत्रिकाओं को मज़बूत करने का विशेष कार्यभार पूरे देश और समाज को लेना होगा। इन लघु और माध्यम समाचार पत्र-पत्रिकाओं को विशेष विज्ञापन देकर संरक्षित करना होगा, तभी और सिर्फ तभी देश में एथिकल पत्रकारिता बचेगी अन्यथा पत्रकारिता को कार्पोरेट घरानों के हवाले छोड़ देने से एथिकल पत्रकारिता बीते ज़माने की चीज़ बन कर रह जाएगी।
इसी निष्कर्ष के साथ इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन की गंगटोक बैठक समाप्त हुई। इस अवसर पर देश के 17 राज्यों - आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडू, केरल, बिहार, झारखंड, पंजाब, हरयाणा, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, नगालैंड, सिक्किम, कर्नाटक, दिल्ली, मेघालय, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश से प्रतिनिधि आये और उन्होंने सिक्किम के विधान सभा परिसर स्थित चिन्तन भवन में देश में एथिकल पत्रकारिता पर आये गम्भीर संकट पर लम्बी और सार्थक चर्चा में शिरकत की। इसी सन्दर्भ में एक विशेष सत्र नार्थ ईस्ट मीडिया के खतरों के नाम भी समर्पित किया गया। सिक्किम के चिन्तन भवन में आयोजित इस प्रक्रम की शुरुआत मेज़बान राज्य सिक्किम के विद्वत राज्यपाल एवं केंद सरकार के पूर्व गृह सचिव बाल्मीकि प्रसाद सिंह ने दीप जला कर की। इस अवसर पर दिए गए अपने वक्तव्य में श्री सिंह ने मीडिया में आई गिरावट की चर्चा करते हुए कहा कि आज मीडिया महज एक उद्योग भर बनकर रह गया है और उससे देशभक्ति और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना समाप्तप्राय सी हो गयी है। इस अवसर पर भारत में प्रिंट मीडिया के स्तर को कायम रखने और मीडिया की निष्पक्षता और उसको दवाब-मुक्त बनाये रखने की गारंटी के लिए बनी संवैधानिक क्वासी-जुडिसिअल संस्था, भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस कौंसिल ऑफ़ इंडिया) के माननीय अध्यक्ष, जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में इसी मुद्दे पर बोलते हुए बताया कि आज पत्रकारिता - जिसमे प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक दोनों ही मीडिया शामिल हैं - अपनी जिम्मेवारी को ठीक से नहीं निभा पा रहे हैं। उन्होंने इस सन्दर्भ में कहा कि आज की मीडिया के लिए लोगों, जनजीवन, समाज के मुद्दे कोई महत्वपूर्ण नहीं रह गए हैं बल्कि उनके लिए सचिन तेंदुलकर का शतक, देवानंद और राजेश खन्ना की मृत्यु, ऐश्वर्या का गर्भ धारण, किसानों की आत्महत्या, आदिवासियों के विस्थापन जैसे समाचारों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं।
जस्टिस काटजू ने कहा इन तथ्यों के आलोक में निगमितमीडिया घरानों - जिन्हें गलत तरीके से मुख्य धारा की मीडिया के तौर परप्रचारित और प्रस्तुत किया जा रहा है से जनपक्षी और समाजपक्षी पत्रकारिताकी उम्मीद बेमानी है। उन्होंने कहा कि यदि सचमुच एथिकल पत्रकारिता कोबचाना है तो कार्पोरेट पत्रकारिता के बरक्श लघु और मध्यम पत्रकारिता कोसम्पन्न और मज़बूत करना होगा। इस अवसर पर इंडियन जर्नलिस्ट्स यूनियन केराष्ट्रीय अध्यक्ष एस एन सिन्हा ने प्रोस्पेक्ट्स एंड प्रोब्लम्स ऑफ़नार्थईस्ट मीडिया पर अपना पेपर पढ़ा जिसमे उन्होंने नार्थ-ईस्ट मीडिया कोदेश की मुख्यधारा की मीडिया में अपनी सशक्त पहचान कायम करने की जरुरत पर बलदेते हुए उन्हें इस काम में अपनी यूनियन के समर्थन का आश्वासन भी दिया।उन्होंने भी मीडिया में समाज विमुखता के प्रति अपनी चिंता व्यक्त की और कहाकि यदि इस प्रवृति को रोकना है तो हमें मीडिया के अंदर से एक सशक्त आवाज़पैदा करनी होगी और लघु और माध्यम समाचारपत्रों को मज़बूत कर कार्पोरेटमीडिया घरानों की मीडिया पर पकड़ को ज़ोरदार चुनौती देनी होगी। उन्होंने कहायह काम आई जे यू जैसी एक राष्ट्रीय और मजबूत यूनियन के नेतृत्व में ही कीजा सकती है। आई जे यू के राष्ट्रीय सेक्रेट्री जेनरल डी अमर ने अपनेसम्बोधन में साफ़ शब्दों में अपने यूनियन की एथिकल पत्रकारिता के सन्दर्भमें अपने कमिटमेंट की बात कही और देश के पत्रकारों सहित नार्थ-ईस्ट केपत्रकारों को आगे आने का आह्वान करते हुए कहा कि हमारी यूनियन सिर्फपत्रकारों के ट्रेड यूनियन अधिकारों के लिए ही नहीं लडती है वरन हमारीप्रतिबद्धता एथिकल जर्नलिज्म के प्रति भी उतनी ही है। हम एक लम्बे समय सेइसके लिए लड़ते रहे हैं। इस सन्दर्भ में हमारी यूनियन का इतिहास गौरवमय है।
राष्ट्रीयकार्यकारिणी की बैठकों के सत्रों में बोलते हुए एस एन सिन्हा जी और डी अमरने इस बात की जानकारी दी कि यूनियन तोड़ने की आई जे यू के पूर्व अध्यक्षजिन्हें यूनियन तोड़ने के आरोप में यूनियन के हैदराबाद कांफ्रेंस मेंनिष्कासित किया जा चुका है अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। मगर एक एकमोर्चे पर उनको मुंह की खानी पड़ रही है। न्यायालय के द्वारा गैरकानूनीकामों के लिए अखौरी जी को दो बार आर्थिक दंड भी भरना पड़ा है। मगर वेहैं कि अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं। धीरे धीरे ही सही सभी जगहों मेंउनकी पोल खुलती जा रही है। आंध्र प्रदेश के एक न्यायालय से उनपर आई जे यूके बैनर के इस्तेमाल पर रोक लगी हुई है मगर फिर भी वे हैं कि मानते नहीं।एक-एक जगहों पर उनके दावे निरस्त होते जा रहे हैं मगर फिर भी वे अपने लोगोंके बीच सिर्फ यह भ्रम बनाये रखने के लिए कि मामला सब्ज-जुडिस है ताकि उनकेसाथ जुड़े कुछ दिग्भ्रमित लोगों का भ्रम बना रहे और वे उनके कैम्प में बनेरहें यह सब करते चले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही उनका बनाया गयायह भ्रम भी टूट जायेगा और हम उम्मीद करते हैं कि हमारे कुछ दिग्भ्रमितसाथियों को एक बड़ी निराशा मिलनी तय है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति नहीं संगठनबड़ा होता है इस बात को हमारे दिग्भ्रमित साथियों को समझ लेना चाहिए।