उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शोभना भरतिया, अमित चोपड़ा, शशि शेखर और अन्य के गर्दन पर गिरफ्तरी की तलवार लटकी
अनुसंधान तेज करने का भी आदेश
श्रीकृष्ण प्रसाद, मुंगेर/ पटना उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति माननीय अंजना प्रकाश ने अपने 17 दिसंबर के ऐतिहासिक फैसले में मुंगेर कोतवाली कांड संख्या-445।2011 के अनुसंधान में इस अवस्था में हस्तक्षेप करने से साफ इन्कार कर दिया। माननीय न्यायमूर्ति ने इस कांड के सभी नामजद अभियुक्तों के एफ.आई. आर. रद्द करने वाले सभी आवेदनों पर भी संज्ञान लेने से साफ इन्कार कर दिया ।
इस ऐतिहासिक आदेश में माननीय न्यायमूर्ति ने मुंगेर पुलिस को दैनिक हिन्दुस्तान के 200 करोड़ के सरकारी विज्ञापन घोटाला में अनुसंधान तेज करने और इस आदेश की प्राप्ति के तीन माह के अन्दर पुलिस अनुसंधान पूरा करने का भी आदेश निर्गत कर दिया। न्यायालय ने इस आदेश की प्रति फैक्स से मुंगेर के पुलिस अधीक्षक को भेजने का भी आदेश दिया ।
पटना उच्च न्यायालय के 17 दिसंबर के इस फैसले के बाद मुंगेर कोतवाली कांड संख्या-445।2011 के नामजद अभियुक्त श्रीमती शोभना भरतिया (अध्यक्ष, मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, नई दिल्ली), अमित चोपड़ा ( प्रकाशक, मेसर्स हिन्दुस्तान मीडिया वेन्चर्स लिमिटेड, नई दिल्ली), शशि शेखर (प्रधान संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली), अवध कुमार श्रीवास्तव उर्फ अकू श्रीवास्तव (संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, पटना संस्करण, पटना) और बिनोद बंधु (स्थानीय संपादक, दैनिक हिन्दुस्तान, भागलपुर संस्करण, भागलपुर) के गर्दन पर गिरफतारी की तलवार लटक गई है। बिहार पुलिस अब नामजद अभियुक्तों को किसी भी क्षण गिरफतार कर सकती है । सभी नामजद अभियुक्त भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420।471 और 476 और प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन आफ बुक्स एक्ट,1867 की धाराएं 8(बी),14 और 15 के अन्तर्गत आरोपित हैं।
पटना उच्च न्यायालय ने पूर्व के अपने आदेशों मेंअंतिम आदेश आने तक सभी नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध किसी प्रकार की काररवाई पर रोक लगा दी थीं। अब पटना उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश आ जाने के बाद अभियुक्तों के विरूद्ध कानूनी काररवाई पर लगी रोक स्वतः समाप्त हो गई है ।
सभी नामजद अभियुक्तों पर आरोप है कि उनलोगों ने केन्द्र और राज्य सरकारों के सरकारी विज्ञापनों को पानेके लिए बिना निबंधन वाले दैनिक हिन्दुस्तान अखबार को सरकार के समक्ष निबंधित अखबार के रूप में पेश किया और जालसाजी और धोखाधड़ी करके लगभग 200 करोड़ का सरकारी विज्ञापन विगत 10 वर्षों में अवैध ढंग से प्राप्त कर सरकरी राजस्व की लूट मचा दीं।
इस बीच, मुंगेर के पुलिस उपाधीक्षक ए.के. पंचालर और पुलिस अधीक्षक पी. कन्नन ने अपनी पर्यवेक्षण-टिप्पणियों में सभी नामजद अभियुक्तों के विरूद्ध लगाए गए सभी आरोपों को दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर " प्रथम दृष्टया सत्य" घोषित कर दिया है ।