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प्रकृति और संस्कृति एक दूसरे के पर्याय : डॉ रामवचन राय

पत्रकार डॉ ध्रुव कुमार की पुस्तक " बौद्ध धर्म और पर्यावरण " पर चर्चा में जुटे लेखक , साहित्यकार व बुद्धिजीवी

पटना। साकिब जिया/ बिहार विधान परिषद सदस्य एवं प्रसिद्ध समालोचन डॉ रामवचन राय ने कहा है कि प्रकृति और संस्कृति एक दूसरे के पर्याय हैं , प्रकृति सुरक्षित रहेगी तभी प्राणियों की जिंदगी सुरक्षित रहेगी । उन्होंने गौतम बुद्ध को प्रकृति के प्रति बेहद अनुरागी बताते हुए कहा कि बौद्ध धर्म हमें सकारात्मक सोच के प्रति जागरूक करता है । बुद्ध जीवन पर्यंत प्रकृति की गोद में रहे और उन्होंने जन्म, ज्ञान प्राप्ति, उपदेश और निर्वाण सभी वृक्ष की छांव में संपन्न किए । उन्होंने कहा कि प्रकृति की उपेक्षा हमेशा से दुखदाई रहा है। 

बिहार सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हाल के वर्षों में राज्य में वन क्षेत्र 7 से बढ़कर 15 प्रतिशत हो गया है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति यह एक सराहनीय प्रयास है अवकाश प्राप्त आईएएस अधिकारी व साहित्यकार जियालाल आर्य ने कहा कि बौद्ध सर्किट के निर्माण से आधुनिक दौर में बौद्ध धर्म के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने में मदद मिलेगी । 

कथाकार शंभू पी सिंह ने कहा कि प्रकृति पूजा और पर्यावरण की सुरक्षा हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है किंतु भोगवादी प्रवृत्ति से स्थिति आज भयावह हो गई है , समय रहते हमें इसके प्रति सचेत होना होगा ।" बौद्ध धर्म और पर्यावरण"  के लेखक डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि तथागत बुद्ध ने आज से ढाई हजार वर्ष पहले ही सचेत किया था कि हमें प्रकृति के दोहन को रोकने होगा। उन्होंने अपने शिष्यों को हमेशा नदी तालाब सहित विभिन्न जल स्रोतों को स्वच्छ रखने पर बल दिया था। उनके उपदेश चीन जापान सहित पूरी दुनिया में फैला और आज की पर्यावरण सुरक्षा की चिंता उनके उपदेशों के क्रियान्वयन से दूर होगी। 

चर्चा में व्यंग्यकार बांके बिहारी साल,  कवि मुकेश प्रत्यूष, वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मधुकर , शिक्षिका अणिमा श्रीवास्तव , पुस्तक मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष एच एल गुलाटी ने भी हिस्सा लिया। इस अवसर पर अमेटी विश्वविद्यालय की श्वेता प्रिया, प्रोफेसर राहुल आहूजा, चितरंजन भारती, विमल मिश्रा , अमित शर्मा सहित अनेक बुद्धिजीवी  मौजूद थे।

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सम्पादक

डॉ. लीना