पत्रकारिता एवं पत्रकारिता प्रशिक्षण का महत्वपूर्ण स्रोत बनने के लिए आईआईएमसी को प्रयास करना चाहिए
आत्म-नियमन आगे बढ़ने का उत्कृष्ट माध्यम : सूचना और प्रसारण मंत्री
सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि मीडिया में काम करने वाले लोगों का नैतिक दायित्व है कि वे समाचारों को सही तरीके से पेश करें। आज नई दिल्ली में भारतीय जनसंचार संस्थान के वार्षिक दीक्षांत समारोह में श्री तिवारी ने कहा कि इस संदर्भ में मीडिया कर्मियों पर और भी ज्यादा नैतिक जिम्मेदारी है। श्री तिवारी ने कहा कि सूचना, प्रचार व प्रसार या मीडिया प्रचार क्षेत्र से जुड़े लोगों को बड़ी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। न सिर्फ समाचारों को ठीक ढंग से पेश करने करें नियंत्रण रखने की बल्कि उसकी सूचना बेहद जिम्मेदारी और निष्पक्ष तरीके से देने की। यह एक नैतिक चुनौती है।
आईआईएमसी के 45वें दीक्षांत समारोह में सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा है कि हालांकि आत्म-नियमन आगे बढ़ने का एक उत्कृष्ट माध्यम है, लेकिन एक प्रक्रिया के रूप में इसे व्यापक और संतुलित होना है। मीडिया में हो रहे बदलाव को ध्यान में रखते हुए इसे देश की मौजूदा वैधानिक परिद़ृश्य में विकसित होना है। यह मुद्दा चर्चा का मुख्य केन्द्र होगा और समय-समय पर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर राष्ट्रीय स्तर पर आत्म-मंथन करना होगा।
श्री तिवारी ने कहा कि मीडिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है और जहां सूचना का विस्तार अब नये मीडिया सहित विभिन्न माध्यमों से पहुंचाया जा रहा है। बदलाव इस रूप में भी परिलक्षित हो रहा है कि सूचना प्राप्तकर्ता के पास तकनीकी आधारित उपकरणों के जरिये भी पहुंच रही है। युवा महत्वाकांक्षी पत्रकारों खासकर वैसे पत्रकार जो व्यवसायिक मीडिया परिवेश में प्रवेश कर रहे हैं, उनके समक्ष जो चुनौती है, वह पारंपरिक प्रवृत्तिओं के अनुकूल नवीन विचारधाराओं को अपनाने की है। मीडिया और मनोरंजन क्षेत्रों की विकास संभावनाओं को देखते हुए मंत्री महोदय ने छात्रों से एक क्षमतावान उद्यमी के कौशल को प्राप्त करने का आह्वान किया। यह महत्वाकांक्षी कदम युवाओं को पारंपरिक पेशे वाले रास्ते से बाहर निकलकर इस क्षेत्र में मौजूद विकास संभावनाओं के दोहन में मदद करेगा।
आईआईएमसी के बारे में श्री तिवारी ने कहा कि हालांकि सरकार आईआईएमसी को उपाधि प्रदान करने वाले अधिकारों के साथ एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संस्थान का दर्जा प्रदान करने संबंधी प्रस्ताव को अंतिम रूप दे रही है, लेकिन पत्रकारिता एवं पत्रकारिता प्रशिक्षण का महत्वपूर्ण स्रोत बनने के लिए आईआईएमसी को प्रयास करना होगा। इससे इसकी क्षमता में विस्तार होगा। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने संस्था से इसके भूतपूर्व छात्रों तक पहुंचने का आह्वान किया।
श्री तिवारी ने छात्रों से पत्रकारिता के नये युग की सीमा निर्धारित करने वाले प्रमुख बिन्दुओं के बारे में जानकारी रखने का आह्वान किया। उन्होंने मीडिया आकार, प्रौद्योगिकी में हो रहे बदलाव, मीडिया की कार्यवाही में नैतिक मूल्यों की भूमिका, युवा पत्रकारों की अपनी-अपनी भूमिका तथा आत्म नियमन की आवश्यकता संबंधी विषयों का हवाला दिया। दीक्षांत समारोह के दौरान पत्रकारिता, विज्ञापन और जन सम्पर्क पाठ्यक्रमों से संबंधित 286 छात्रों को डिप्लोमा प्रदान किया गया। ये पाठ्यक्रम संस्थान के चार केन्द्रों नई दिल्ली, ढ़ेंकनाल, ऐजवल और अमरावती में चलाए जाते हैं।