भारतीय जन संचार संस्थान में स्थापना दिवस व्याख्यान का आयोजन
नई दिल्ली। ''रोबोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज के मीडिया की हकीकत है। तकनीक ने अब मीडिया को पूरी तरह बदल दिया है। तकनीकी क्षमता आज पत्रकारों की महत्वपूर्ण योग्यता है।'' यह विचार हिन्दुस्तान समाचार पत्र के प्रधान संपादक श्री शशि शेखर ने मंगलवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के 57वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष व्याख्यान में व्यक्त किए। इस अवसर पर संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, नेहरू ग्राम भारती विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कुलपति प्रो. राममोहन पाठक, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलपति प्रो. बलदेव भाई शर्मा एवं आईआईएमसी के डीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह विशेष तौर पर उपस्थित थे।
'मीडिया शिक्षा : भविष्य की दिशा' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए श्री शशि शेखर ने कहा कि मीडिया में तकनीक का बढ़ता इस्तेमाल पत्रकारों के लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन हमें टेक्नोलॉजी को ही अपना दोस्त बनाना होगा। इतिहास वही लोग बनाते हैं, जो नई तकनीक के साथ कदम मिलाकर चलते हैं।
श्री शेखर ने कहा कि दुनिया जब बदलती है, तो उसके फायदे और नुकसान दोनों होते हैं। लेकिन हमें सकारात्मक रवैया अपनाते हुए अच्छी चीजों को ग्रहण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार अब डिजिटल युग में वैश्विक संसाधन (रिसोर्स) बनते जा रहे हैं। इसलिए मीडिया शिक्षण संस्थान विद्यार्थियों को भी उसी हिसाब से तैयार करें। पत्रकारों को अब विशेषज्ञता की आवश्यकता है। इसलिए मीडिया शिक्षा के पाठ्यक्रमों में बदलाव की जरुरत है।
इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि आईआईएमसी ने आज अपने गौरवशाली इतिहास के 57 वर्ष पूरे किए हैं। भारतीय जन संचार संस्थान के पूरे परिवार के लिए यह गर्व का क्षण है। आईआईएमसी के पूर्व छात्र आज विश्व के तमाम मीडिया संगठनों में नेतृत्वकारी भूमिका में हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में आईआईएमसी ने मीडिया शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में जो नवाचार किए हैं, वह देश के अन्य मीडिया शिक्षण संस्थानों के लिए एक मिसाल है। कार्यक्रम का संचालन आईआईएमसी के डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार ने किया।