वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ बिहार के प्रदेश महासचिव डा. देवाशीष बोस का श्रीलंका से लौटने के बाद जिला प्रगतिशील लेखक संघ के द्वारा सम्मानित किया गया। संघ के अध्यक्ष तथा बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव सचिन्द्र महतो ने डा. बोस को माला पहना कर चादर भेंट किया। जबकि संघ के महासचिव तथा राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित महेन्द्र नारायण ‘पंकज‘ ने डा. बोस का स्वागत किया।
डा. बोस ने अपने सम्मान में प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्यों के प्रति आभार ब्यक्त करते हुए अपने श्रीलंका प्रवास के अनुभवों से उपस्थित लोगों को अवगत कराया। इस अवसर पर डा. बोस ने कहा कि श्रीलंका के निवासियों की जीवंतता, बंधुत्व और श्रम चेतना हमें प्रेरित करता है। उनकी आगे बढने की अदम्य इच्छा से हम स्पंदित होते हैं। उन्होंने कहा कि देष गढने और आगे बढने की मूल मंत्र के साथ श्रीलंका के लोग जीजिविषा के लिए आंदोलित है। जिसका लाभ उन्हें मिलना प्रारंभ हो गया है और श्रीलंका विकास की गाथा लिख रहा है।
डा. बोस ने श्रीलंका की पत्रकारिता, राजभाषा तथा जीवनशैली पर प्रकाश डालते हुए श्रीलंका के राष्ट्रपति महेन्द्र राजपक्षे के भाई तथा आर्थिक विकास मंत्री विशिल राजपक्षे, भारतीय दूतावास के उच्चायुक्त वाईएन सिन्हा तथा श्रीलंका पत्रकार संघ के विदेष सचिव कुरूलू करियाकराना तथा विदेष मामलों के विषेषज्ञ षिषिरा यप्पा की विषेष चर्चा किया और कई प्रसंगों से अवगत कराया। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि श्रीलंका के 50 सदस्यीय पत्रकारों का एक दल शीघ्र बिहार सहित भारत का भ्रमण करेगा।
जिला प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष तथा बीएन मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव सचिन्द्र महतो ने डा. बोस की प्रशंसा करते हुए उनके अनुभवों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि डा. बोस बांग्लाभाषी होते हुए भी हिन्दी के एकनिष्ठ सेवी हैं और विगत चैंतीस वर्षों से हिन्दी पत्रकारिता कर रहे हैं। प्रलेस के जिला महासचिव महेन्द्र नारायण पंकज ने वरीय पत्रकार देवाषीष बोस को राग द्वेष से रहित तथा करूणा, मुदिता, मैत्री, दया आदि से लवरेज बताते हुए उनके पत्रकारिता के कई प्रसंगों का उल्लेख किया।
इस अवसर पर बीएन मंडल वाणिज्य महाविद्यालय के प्रोफेसर इन्द्र नारायण यादव, अमित कुमार, प्रोफेसर अरूण कुमार साह, साहित्यकार अरूण कुमार आर्य, लेखक तथा नाटककार प्रमोद सूरज और सियाराम यादव मयंक आदि उपस्थित थे। आगामी 8 अक्तूवर को भतनी में आयोजित प्रलेस के जिला सम्मेलन को सफल बनाने का भी संकल्प लिया गया और उद्घाटन सत्र का संचालन विनय कुमार चैधरी तथा ‘प्रेमचन्द का साहित्य और ग्रामीण जीवन‘ विषयक संगोष्ठी का संचालन डा. देवाषीष बोस से कराने का निर्णय लिया गया।