न्यायमूर्ति जे एस वर्मा प्रथम स्मृति में मीडिया की आजादी और जिम्मेदारी विषय पर व्याख्यान
नयी दिल्ली। वित्त मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सूचना तकनीक के कारण बदले माहौल में खबरों का संदर्भ और इनकी प्रकृति भी बदली हैं जिससे मीडिया के समक्ष विश्वसनीयता आज सबसे बडी चुनौती बन गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रानिक्स मीडिया की तुलना में प्रिंट मीडिया आज भी अपेक्षाकृत ज्यादा विश्वसनीय बना हुआ है। इसका बडा कारण है कि प्रिंट मीडिया में पत्रकारिता के सिद्धांतों का पालन हो रहा है। वह घर में घुसकर पति पत्नी के झगडे को सार्वजनिक नहीं करने के सिद्धांत पर चल रहा है।
श्री जेटली ने आज यहाँ न्यायमूर्ति जे एस वर्मा प्रथम स्मृति व्याख्यान में मीडिया की आजादी और जिम्मेदारी विषय पर कहा कि तकनीकी परिवर्तन के कारण खबरों की दुनिया में आया यह बदलाव मीडिया के लिए बडी चुनौतियां लेकर आया है। उनका कहना था कि इस परिवेश में खबरों की गुणवत्ता को बनाए रखने के साथ ही मीडिया को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन भी करना है और इन सबके बीच सबसे अधिक ध्यान अपनी विश्वसनीयता पर देना है।
उन्होंने कहा कि किन खबरों पर विश्वास किया जाए यह संकट मीडिया की बडी चुनौती है। सूचना तकनीक के मीडिया में बढे हस्तक्षेप से खबरों के संदर्भ तो बदले ही हैं इन्हें पेश करने का ढंग भी बदला है। मीडिया सनसनी खबरों को महत्व दे रहा है। उसके समक्ष सबसे पहले खबर देकर अपनी टीआरपी को बनाए रखने का संकट है और इस दबाव के कारण मीडिया की विश्वसनीयता पर ही संकट खडा हो गया है।
श्री जेटली ने कहा कि यह सच है कि आज जो खबरें दिखाई जा रही हैं वे सही मायने में सही समय पर दी गई खबर है। लेकिन 24 घंटे के समाचार चैनलों की दुनिया में मुश्किल यह है कि उसके कैमरे में जो भी कैद होता वह उसके लिए खबर बन जाती है। इससे खबर की गुणवत्ता तो कम होती ही है साथ ही पत्रकारिता की जिम्मेदारियों के निर्वहन और मीडिया की विश्वसनीयता पर संकट खडा हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज खबरों में सटीकता का भी संकट बढा है। अखबारों को देखें तो वहां खबर सटीक नहीं होती बल्कि खबर का माहौल होता हैं। उनका कहना था कि अखबारों में भी अपनी तरह का संकट है। वहां प्रसार संख्या नहीं बढ रही है हालांकि सुबह खबरों को विस्तार से वही देता है।
इलेक्ट्रोनिक मीडिया की खबर घर घर तक पहुंच कर जरूर अपना प्रभाव जमा रही है लेकिन उसके लिए खबर का संदर्भ ही टीआरपी बढाने वाली खबरों के इर्दगिर्द होता है। यह कैसे उचित कहा जा सकता है कि मीडिया पति पत्नी के बीच की खबर को सार्वजनिक करे और किसी की निजता को खबर बनाकर सबके सामने पेश करे। उनका कहना था कि मीडिया को अतिरिक्त जागरूक रहकर और संवेदनशीलता के साथ खबरों को प्रस्तुत करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि यह मीडिया को ही तय करना है कि उसे किस घटना को किस तरह से पेश करना है। इसमें जिम्मेदार मीडिया के रूप में भूमिका का निर्वहन अहम है। मीडिया जब इन जिम्मेदारियों का पालन करेगा और गुणवत्ता पर ध्यान देगा तो उसकी विश्वसनीयता पर इसका सकारात्मक असर पडेगा।
श्री जेटली ने कहा कि मीडिया का काम खबरों के प्रसारण के जरिए सामाजिक तनाव पैदा करना नहीं है। मुंबई हमले की खबरों को यदि मीडिया दिखाता है तो सवाल उठता है कि सुरक्षा के लिहाज से इन घटनाओं को दिखाया जाना चाहिए। सरकार का मानना है कि सुरक्षा कारणों से यह उचित नहीं है इसलिए इसे नहीं दिखाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया भी आज अहम भूमिका में आ गया है। हाल में उनके हवाले से ऐसी खबरें आई हैं जो उन्होंने कही ही नहीं थी। इसका खंडन उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए किया और इसका बडा असर उन्हें देखने को मिला। इसी तरह से जम्मू कश्मीर में सेना के जवानों के नागरिकों को मारने की घटना पहले खबर नहीं बनी थी। किसी अखबार में भी यह खबर नहीं छपी थी बल्कि सोशल मीडिया पर किसी ने इस घटना को डाला और यह घटना सबके सामने आकर बडी खबर बनी। मामला सेना प्रमुख तक पहुंचा और दोषी सैनिकों को दंडित किया गया।
उन्होंने कहा कि बदले जमाने में न्यूयार्क टाइम्स घर पर पढा जा रहा है। इस स्थिति में यह भी सवाल उठ रहा है कि मीडिया में विदेशी निवेश की भूमिका कितना असरदार हो सकती है। सुबह की व्यस्तता के कारण वह स्वयं रात को सोने से पहले खबरें पढ रहे हैं।