राजेन्द्र माथुर पुरस्कार से भी सम्मानित
पटना/बिहार में पत्रकारिता के जाने माने नाम और वरिष्ठ पत्रकार श्रीकांत दैनिक हिंदुस्तान के वरीय संवाददाता के पद पर से आज सेवानिवृत हो गए। वे 4 अगस्त 1986, जबसे हिंदुस्तान के पटना संस्करण का प्रकाशन शुरू हुआ, तब से इस पत्र से जुड़े रहे थे। उनकी पारसबिगहा पर एक खोज फरक रिपोर्ट पटना हिंदुस्तान के पहले दिन प्रकाशित हुई थी। बिरला फाउंडेशन से फ़ेलोशिप पाने वाले वे पटना हिंदुस्तान के अब तक एकलौते पत्रकार हैं। पत्रकारिता में उनकी उपलब्धि के लिए श्रीकांत को बिहार राजभाषा परिषद, बिहार सरकार से राजेन्द्र माथुर पुरस्कार भीं मिल चुका है। हिंदुस्तान के पहले वे बिहार की जनपक्षीय पत्रकारिता से जुड़े रहे। उन्होने जनमत में उनकी कई बेबाक रिपोर्ट प्रकाशित हुए। बाद में वे पाटलिपुत्र टाइम्स से भी जुड़े। पत्रकारिता से जुड़े रहकर भी उन्होने कई किताबें भी लिखीं। इनकी कहानियाँ “मै बिहार हूँ” और “कुत्ते” का नाटकीय मंचन काफी चर्चित रहा है। उनकी रिपोर्ट और पुस्तकों में सामाजिक सरोकार के मुद्दे हमेशा देखने को मिले।
श्रीकांत ने कहा कि हिंदुस्तान से सेवानिवृत होने के बाद अब उनका स्वतंत्र रूप से लेखन कार्य जारी रहेगा।