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शोध क्षेत्र में प्रिंट, सिनेमा, टेलीविजन तथा डिजिटल मीडिया तकनीक महत्वपूर्ण: प्रो. गोविंद जी

आईसीएसएसआर प्रायोजित मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा दस दिवसीय कार्यशाला का हुआ उद्घाटन

मोतिहारी। भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद के सहयोग से महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग द्वारा दस दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों तथा विषयों के शोधार्थी सहभागिता कर रहे हैं।

कार्यशाला के मुख्य संरक्षक विश्वविद्यालय के लिए कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव थे। स्वागत समारोह के मुख्य वक्ता प्रो. गोविंद जी पांडेय, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ और विशिष्ट वक्ता बुद्ध परिसर के निदेशक प्रो. रणजीत कुमार चौधरी थे। स्वागत कार्यशाला निदेशक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा एवं संचालन कार्यशाला सहायक निदेशक डॉ. सुनील दीपक घोडके ने किया।

मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अंजनी कुमार झा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए सत्रों के कार्यक्रम से सभी सहभागियों को अवगत कराया। विषय प्रवर्तन करते हुए उन्होंने शोध के महत्व और उसके विभिन्न आयामों पर चर्चा की।

सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो. गोविंद जी पांडेय ने अपने बीज वक्तव्य में गुणात्मक तथा मात्रात्मक शोध के प्रकार और अनुप्रयोग पर विस्तार से अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने शोध के प्रकार, महत्व, क्षेत्र, उपकरण, प्रविधि इत्यादि पहलुओं पर महत्वपूर्ण चर्चा की। उन्होंने प्रिंट, सिनेमा, टेलीविजन तथा डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में हो रहे तकनीकी परिवर्तन तथा उसके अनुरूप शोध प्रविधियों के चयन और प्रयोग की विधि का भी विस्तृत वर्णन किया।

चायकाल के बाद कार्यशाला के दूसरे सत्र में वक्तव्य देते हुए प्रो. गोविंद जी पांडेय ने भारतीय ज्ञान परंपरा तथा कृत्रिम बुद्धिमता के क्षेत्र में हो रहे शोध, विकास और उसकी चुनौतियों के विभिन्न पक्षों पर कार्यशाला के सहभागियों से संवाद किया।

कार्यशाला के दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्प्यूटेशनल साइंस, इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के डीन, प्रो. रणजीत कुमार चौधरी 'रिसर्च डिज़ाइन एंड मेथोडोलॉजिकल फ्रेमवर्क' विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने शोध की संरचना, प्रविधि, शोध की नैतिकता व साहित्यिक चोरी के तकनीकी पक्षों से शोधार्थियों को अवगत कराया। उन्होंने शोध के क्षेत्र में पुस्तकालय और पत्र-पत्रिकाओं की भूमिका और महत्व पर भी विस्तार से अपनी बात रखी।

उनके वक्तव्य के बाद कार्यशाला के समापन सत्र में मीडिया अध्ययन विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुनील दीपक घोडके ने सभी आमंत्रित वक्ताओं तथा शोधार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया और कार्यशाला के आगामी सत्रों को लेकर शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यशाला में विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ. साकेत रमण, तथा डॉ. उमा यादव, डॉ. मयंक भारद्वाज और डॉ. आयुष आनंद के साथ-साथ मीडिया विभाग के शोधार्थी तथा विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।

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सम्पादक

डॉ. लीना