फारवर्ड प्रेस का दिल्ली में कार्यरत संवाददाता बर्खास्त |
बर्खास्तगी के जवाब में जितेन्द कुमार ज्योति- शोषण के खिलाफ आवाज टर्मिनेशन लेटरों से नहीं दबने वाली |
दिल्ली/ फारवर्ड प्रेस प्रबंधन ने अपने दिल्ली कार्यालय में कार्यरत संवाददाता जितेंद्र ज्योति को बर्खास्त कर दिया है। उनपर अनुशासनहीनता समेत अन्य आरोप थे। सभी संबंधित व्यक्तियों को सूचित किया जाता है कि श्री ज्योति के किसी भी कृत्य को फारवर्ड प्रेस का आधिकारिक कृत्य न माना जाए।
(विज्ञप्ति )
बर्खास्तगी के जवाब में जितेन्द कुमार ज्योति-
शोषण के खिलाफ आवाज टर्मिनेशन लेटरों से नहीं दबने वाली : जितेन्द कुमार ज्योति
मैंने तो सिर्फ काम की मजबूरियों के दबाव में चल रहे शारीरिक मानसिक शोषण के खिलाफ खड़ा रहने का फैसला किया था। मीडिया जितना कुछ बाहर साफ़ दिखाने का काम करता है , अन्दर उतनी गंदगी को छुपाए हुए है , मैंने उस गंदगी को साफ़ करना भर चाह था .. आज ऐसे दौर में जब लोग स्त्री स्वतन्त्रा की बात कर रहे हैं, योन हिंसा के खिलाफ एक साथ खड़े हो रहे हैं, मैंने आँखों के सामने हो रहे खामोश शोषण के खिलाफ आवाज उठाई थी ..जिस संस्थान में काम कर रहा था, वह बाहर से दिखावे के लिए शोषितों के हक़ की लड़ाई लड़ने का बेहतर नाटक कर रही है , लेकिन खुद अन्दर उसके शोषण की घुटती आवाजे गूंज रही है जो तमाम दवाब, मजबूरियों के कारण उभर नहीं पाती.. ,मैंने उसे आवाज़ देने की सोची थी .मैंने फॉरवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक के द्वारा किये जा रहे अन्याय ,शोषण ,भ्रष्टाचार ,पेड़ न्यूज़ को बढ़ावा देने के विरोध में आवाज उठाई . बस इन कारणों से आज मुझे इस्तीफा देने का मौका भी नहीं मिला और टर्मिनेट कर दिया गया. किन समाज, देश और आम नागरिकों के हित के लिए एक क्या एक हजार टर्मिनेट लेटर लूँगा . ..शायद यही वजह है की मीडिया पर तमाम आरोप तो लगते हैं ,लेकिन कभी कुछ बाहर नहीं आ पाता ,शायद मेरी ही तरह बाहर कर दिए जाने के कारण .. पर मैं रुकुंगा नहीं .. जब हजारो साथी स्त्री स्वतंत्रता के लिए इंडिया गेट से बथानी टोले तक आवाज़ उठा सकते हैं ,इसके लिए लाठिया आंसू गैस चख सकते हैं ,तो मैं भी पीछे नहीं हटूंगा .. लड़ता रहूँगा .. काम करते हुए, गलत के खिलाफ आवाज़ उठाया जा सकता है, क्या कोई इसका उदाहरण पेश कर सकता है .. ?
जितेन्द्र कुमार ज्योति
टर्मिनेटेड पत्रकार