
केन्द्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-ए के अन्तर्गत मामले दर्ज करने के लिए राज्यों को नये दिशा निर्देश जारी किये हैं। इनके अनुसार कम से कम पुलिस उपायुक्त के पद का अधिकारी शिकायत दर्ज करने का फैसला लेगा।
हाल में कुछ घटनाओं में इस धारा के कथित दुरूपयोग को देखते हुए यह दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल आज सुबह इन्टरनेट की आजादी से सम्बद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिले। इन कार्यकर्ताओं ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-ए की परिभाषा पर स्पष्टीकरण मांगे थे।
गौरतलब है कि बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई में बंद जैसी स्थिति की फेसबुक पर आलोचना करने के लिए पिछले सप्ताह दो लड़कियों को इसी धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि एक अन्य किशोर को कल मनसे प्रमुख राज ठाकरे और मराठियों के खिलाफ सोशल नेटवर्किंग साइट पर 'आपत्तिजनक' टिप्पणी पोस्ट करने के लिए पकड़ लिया गया था।
हाल में कुछ घटनाओं में इस धारा के कथित दुरूपयोग को देखते हुए यह दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल आज सुबह इन्टरनेट की आजादी से सम्बद्ध सामाजिक कार्यकर्ताओं से मिले। इन कार्यकर्ताओं ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-ए की परिभाषा पर स्पष्टीकरण मांगे थे।
गौरतलब है कि बाल ठाकरे के निधन के बाद मुंबई में बंद जैसी स्थिति की फेसबुक पर आलोचना करने के लिए पिछले सप्ताह दो लड़कियों को इसी धारा के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि एक अन्य किशोर को कल मनसे प्रमुख राज ठाकरे और मराठियों के खिलाफ सोशल नेटवर्किंग साइट पर 'आपत्तिजनक' टिप्पणी पोस्ट करने के लिए पकड़ लिया गया था।
नये दिशा निर्देशों के अनुसार पुलिस महानिरीक्षक अथवा पुलिस उपायुक्त स्तर के अधिकारी को धारा 66-ए के अन्तर्गत मामले दर्ज करने के लिए पहले स्वीकृति देनी होगी। धारा 66-ए जमानती अपराध है और इसके तहत तीन वर्ष तक की सजा हो सकती है।