जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान में बाबू जगजीवन राम की 112वीं जयंती मनी
पटना। पूर्व उप प्रधानमंत्री, स्वतंत्रता सेनानी और प्रतिष्ठित सांसद रहे स्व. बाबू जगजीवन राम की आज 112वीं जयंती जगजीवन राम शोध संस्थान में मनाई गई। इस अवसर पर डॉ. मो. खुर्शीद आलम द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘दलितों के उत्थान में बाबू जगजीवन राम का योगदान" पुस्तक का भी लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर उन्हें याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बाबू जगजीवन राम गरीबों एवं वंचित समाज के लिए लगातार संघर्षरत रहे। वे सामाजिक न्याय के योद्धा थे। भारतीय राजनीति में उनका योगदान अविस्मरणीय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अभय कुमार ने कहा कि बाबू जगजीवन राम समन्यवादी परम्परा के पक्षधर थे। जेवियर रिसर्च इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल रिसर्च के डॉ. जोश कलापुरा ने सामाजिक विषमताओं पर प्रकाश डाला। सफदर इमाम कादरी ने कहा कि वे एक बेहतरीन वक्ता और कुशल प्रशासक थे।
मो. दानिश ने उन पर लिखी किताब के बहाने बाबूजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। विभिन्न मंत्रालयों में उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उनकी बबुआ से बाबूजी की यात्रा एक संघर्ष यात्रा की तरह है। उन्होंने कहा कि गैर-बराबरी के खत्म होने पर ही समतामूलक समाज का निर्माण होगा।
डॉ. खुर्शीद ने लोकार्पित पुस्तक पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर सुश्री रेशमा, डॉ. अंजुम आरा और प्रफुल्ल झा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने कहा कि अभी बाबू जगजीवन पर बेहतर शोधपरक काम होना बाकी है। कार्यक्रम का संचालन वीणा सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन पूनम उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम में कई लेखक, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे।