समागम का जून अंक बाल कवि बैरागी पर केन्द्रित है। इस शोध पत्रिका के सम्पादक मनोज कुमार बताते हैं कि देश के सुपरिचित कवि एवं प्रतिष्ठित राजनेता बालकवि बैरागी अचानक हमारे बीच में नहीं रहे। यह हमारे लिए गहरा आघात है। जाने कब और कैसे हम उनसे जुड़ गए, खबर ही नहीं हुई। ऐसा अपनापन उनसे मिला, जिसका शब्दों में बखान करना मुश्किल सा है। हाँ, कुछ पोस्टकार्ड, कुछ चिट्ठी और समय समय पर समागम के लिए उनके लिखे लेख धरोहर के तौर पर हमारी पूंजी है।
उनका कहना है कि समागम का नया अंक उन्हें समर्पित करते हुए हम प्रसन्न कतई नहीं है, लेकिन उनके प्रति आदर भाव के साथ यह अंक आपको सौंप रहे हैं।