इर्शादुल हक। मैं बिहार के प्रति मीडिया की इसी बेशर्मी के इंतजार में था. इंतजार जरा लम्बा चला. दो महीने. आखिरकार मीडिया ने इसकी शुरूआत दरभंगा के दो इंजीनियरों की हत्या के साथ कर ही दी. कह रहे हैं 'रिटर्न्स ऑफ जंगल राज पार्ट-2'. इन दोनों इंजीनियरों को कथित रूप से संतोष झा गैंग के मुकेश पाठक ने रंगदारी के लिए हत्या कर दी. चलिए देखिए ऐसी हत्या भाजपा शासित झारखंड में हुई कि नहीं हुई. वहां एक एमबीबीएस डाक्टर की हत्या अपहरण करके के कर दी गयी- यह मंगल राज है? एवीपी न्यूज ने आंकड़े गिना कर सवाल खड़ा किया है कि बिहार में जंगल राज आ गया है. भई आपके पास अन्य प्रदेशों के आंकड़े क्यों नहीं पहुंच पाते.
अब देखिए पुलिस रिकार्ड में पिछले दो महीने में झारखंड, छत्तीसगढ़, दिल्ली( जहां केंद्र सरकार के अधीन पुलिस है) और गुजरात के आंकड़े देख लीजिए इन सभी प्रदेशों में बिहार से औसत डेढ़ गुना हत्या, लूट, अपहरण के कारोबार हुए. लेकिन ये तमाम राज्य मंगल राज की मिसालें हैं. कुछ तो लाज-लिहाज रखो.
निश्चित तौर पर कानून व्यवस्था को चुनौती किसी भी प्रदेश में गुंडे दें तो वह अफसोस की बात है उन्हें नियंत्रित किया जाना चाहिए. पर मीडिया का रवैया क्या ऐसा ही होना चाहिए ?