साथी, भगाना की लड़कियां अब भी आपकी राह देख रहीं हैं!
प्रमोद रंजन / कल दोपहर में हरियाणा भवन, दिल्ली पर भगणा बलात्कार पीडितों के आंदोलन का बहिष्कार करने वाले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों के दफ्तर से शाम को आंदोलनकारियों को फोन आया कि वे आंदोलन का 'बहिष्कार' नहीं कर रहे। खबर दिखाएंगे। संभवत: उनका फैसला मीडिया संस्थानों में खूब पढे जाने वाले भडास फोर मीडिया (http://bhadas4media.com/article-comment/19173-media-boycott-anti-rape-movement.html) व अन्य सोशल साइटस पर इस आशय की खबर प्रसारित होने के कारण हुआ।
जानते हैं भागणा के लगभग 100 गरीब दलित परिवरों की इन महिलाओं, पुरूषों, बच्चों के साथ दिल्ली पहुंचने के पीछे क्या मनोविज्ञान रहा है? उन्हें लगता है कि यहां का मीडिया उनका दर्द सुनाएगा और दिल्ली उन्हें न्याय दिलाएगी। उन्होंने निर्भया कांड के बारे सुन रखा है। उन्हें लगा कि उनकी बच्चियां को भी दिल्ली पहुंचे बिना न्याय नहीं मिलेगा। यही कारण था कि वे अपनी किशोरावस्था को पार कर रही गैंग-रेप पीडित चारों लड़कियों को साथ लेकर आए। अन्यथा चेहरा ढक कर घर से बाहर निकलने वाली इन महिलाओं को अपनी बेटियों की नुमाईश के कारण भारी मानसिक पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है।
जानता हूं, ऊंची जातियों में पैदा हुए मेरे पत्रकार साथी एक बार फिर कहेंगे कि हमने तो उनकी खबर नहीं रोकी। इस आंदोलन में जितनी भीड़ थी, उसके अनुपात में उन्हें जगह तो दी ही।
लेकिन साथी! क्या आपका दायित्व इतना भर ही है? क्या खबर का स्पेस सिर्फ भीड़ और बिकने की क्षमता पर निर्भर करना चाहिए? क्या मीडिया का समाज के वंचित तबकों के प्रति कोई अतिरिक्त नैतिक दायित्व नहीं बनता? क्या अपनी छाती पर हाथ रख कर आप बताएंगे कि अन्ना आंदोलन के पहले ही दिन जो विराट देश व्यापी कवरेज आपने दिया था, उस दिन कितने लोग वहां मौजूद थे? क्या निर्भया की याद में कैंडिल जलाने वालों की संख्या कभी भी भगणा के आंदोलनकारियों से ज्यादा थी?
जब भगणा के आंदोलनकारियों को धरने पर बैठे चार दिन हो गये और आपने कोई कवरेज नहीं दी तो उन्हें लगा कि शायद निर्भया को न्याय जेएनयू के छात्र-छात्राओं के आंदोलन की वजह से मिला। वे 19 अप्रैल को जेएनयू पहुंचे और वहां के छात्र-छात्राओं से इस आंदोलन को अपने हाथ में लेने के लिए गिडडियाए। 22 अप्रैल को जेएनयू छात्र संघ (जेएनएसयू) ने अपने पारंपरिक तरीके के साथ जंतर-मंतर और हरियाणा भवन पर जोरदार प्रदर्शन किया। लेकिन क्या हुआ? कहां था 'आज तक', 'एवीपी न्यूज', 'एनडीटीवी'? सबको सूचना दी गयी, लेकिन पहुंचे सिर्फ हरियाणा के स्थानीय चैनल, और उन्होंने भी आंदोलन के वहिष्कार की घोषणा कर आंदोलनकारियों के मनोबल को तोड़ा ही।
साथी, चुनाव का मौसम है। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार है। भगणा के चमार और कुम्हार जाति के लोग पिछले दो साल से जाटों द्वारा किये गये सामाजिक वहिष्कार के कारण अपने गांव से बाहर रहने को मजबूर हैं। धनुक जाति के लोगों ने बहिष्कार के बावजूद गांव नहीं छोडा था। यह चार बच्चियां, जिनमें दो तो सगी बहनें हैं, इन्हीं धुनक परिवारों की हैं, जिन्हें एक साथ उठा लिया गया तथा इनके साथ दो दिन तक लगभग एक दर्जन लोग इनके साथ गैंग-रेप करते रहे। यह सामाजिक वहिष्कार को नहीं मानने की खौफनाक सजा थी। एफआईआर, धारा 164 का बयान, मेडिकल रिपोर्ट आदि सब मौजूद है। ऐसे में, क्या यह आपका दायित्व नहीं था कि आप कांग्रेस के बडे नेताओं से यह पूछते कि आपके राज में दलित-पिछडों के साथ यह क्या हो रहा है? किस दम पर आप दलित-पिछडों का वोट मांग रहे हैं? आप मोदी के 'पिछडावाद' की लहर पर सवार भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बाइट लेते कि पिछले चार-पांच सालों से हरियाणा से दलित और पिछडी लडकियों के रेप की खबरें लगातार आ रही हैं लेकिन इसके बावजूद आपकी राजनीति सिर्फ जाटों के तुष्टिकरण पर ही क्यों टिकी हुईं हैं? आप अरविंद केजरीवाल से पूछते कि भाई, अब तो बताओ कौन है आपकी नजर में आम आदमी? अरविंद केजरीवाल तो उसी हिसार जिले के हैं, जहां यह भगाणा और मिर्चपुर गांव है। लेकिन क्या आपने कभी 'आम आदमी पार्टी' को हरियाणा के दलितों से लिए आवाज उठाते देखा। जबकि उनके हरियाणा के मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार योगेंद्र यादव यह कहते नहीं थकते कि दिल्ली में उन्हीं सीटों पर उनकी पार्टी को सबसे अधिक वोट मिले जहां गरीबों, दलितों और पिछडों की आबादी थी। आप क्यों नहीं उनसे पूछते कि दलित-पिछडों के वोटों का क्या यही इनाम आप दे रहे हैं? बात-बात पर आंदोलन करने वाला दिल्ली का आपका कोई भी विधायक क्यों जंतर-मंतर नहीं जा रहा? क्यों आपने महान प्रोफेसर आनंद कुमार ने जेएनयू में 19 अप्रैल को इन लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए बुलायी गयी सभा में शिरकत नहीं की, जबकि उन्हें बुलाया गया था और वे वहीं थे।
साथी, अब भी समय है। भगणा की दलित बच्चियां जंतर-मंतर पर अब भी आपकी राह देख रही हैं।
(प्रमोद रंजन की फेसबुक वॉल से)