हमने हर खबर में अपना पक्ष रखा है
वीरेंद्र यादव न्यूज। दिसंबर, 2015 में अपनी यात्रा शुरू की थी। सब कुछ अनिश्चित। पड़ाव न मंजिल। चलते-चलते सात वर्षों की यात्रा पूरी हो गयी। निरंतर और निर्बाध यात्रा। रास्ते में कठिनाइयां कम और अवसर ज्यादा आये। हर अवसर एक उम्मीद के साथ खड़ा नजर आया। जनसहयोग से जनसरोकार की यात्रा। देश की एकमात्र पत्रिका पाठकों के अनुदान से हर महीने प्रकाशित होती है और मुफ्त में बंटती है। पाठकों का एक बड़ा वर्ग और पहुंच का असीमित दायरा। मुखिया से मुख्यमंत्री तक, ग्राम सचिव से मुख्य सचिव तक। सभी इसके पाठक हैं।
प्रिंट की दुनिया में अखबारों की भीड़। डिजीटल प्लेटफॉर्म पर खबरों का महानाला। इस व्यापक संसार में अपने लिए जगह, पाठक और धारा की तलाश करना मुश्किल काम रहा है। पत्रिका के प्रकाशन के दिन से ही। इसके बावजूद हमने अपनी जगह बनायी, अपना पाठक वर्ग बनाया और अपनी एक धारा तय की। पत्रिका ने प्रकाशन के कुछ महीने बाद ही अपनी जगह, पाठक और धारा तय कर ली थी, लेकिन इस पर कायम रहना चुनौती भरा था। पाठकों की अपेक्षा, संसाधनों का दबाव और नियमित प्रकाशन के बीच हम अपनी पक्षपातपूर्ण पत्रकारिता के साथ डटे रहे। हम अपनी पत्रकारिता को पक्षपातपूर्ण मानते हैं। इसलिए हम कभी निष्पक्षता का दावा नहीं करते हैं। वजह साफ है कि हर खबर में हमारा पक्ष होता है। हम हर खबर को अपने नजरिये, अपने सरोकार और अपने बाजार के हिसाब से देखते हैं। उसी के अनुरूप उसे ढालते, लिखते और गढ़ते भी हैं। इसलिए हमारी हर खबर मौलिक नजर आती है। पाठकों को यही पंसद भी है। खबरों की मौलिकता ही वीरेंद्र यादव न्यूज की सबसे बड़ी ताकत है और यही चुनौतियों से लड़ने का आत्मविश्वास भी भरती है। इस यात्रा में हमारे पाठक, शुभेच्छु, विज्ञापनदाता और आलोचक सभी का साथ रहा है। इसलिए हम सबके प्रति आभार व्यक्त करते हैं। धन्यवाद। -- संपादक