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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकारों की नई पीढ़ी उभरी

औरंगाबाद में पत्रकारिता भाग- 2

प्रेमेन्द्र/ पिछले भाग में मैने पत्रकारों की उस पीढ़ी का जिक्र किया था जो 70 के दशक से 80 के दशक तक सक्रिय थी। इनमें नौ लाख सिंह, अनिरुद्ध सिंह, नीलम बाबू, उदय सिंह, त्रिभुवन सिंह, लल्लू सिंह, जगन्नाथ गुप्ता आदि शामिल थे।

80 का उत्तरार्ध औरंगाबाद ही नहीं, पूरे बिहार में पत्रकारिता के नए तेवर ले कर आया। हिंदुस्तान टाइम्स समूह अपने हिंदी अखबार हिंदुस्तान और अंग्रेजी टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ बिहार में आया। इसने सर्च लाइट और प्रदीप की जगह ली। नवभारत टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया धूमधाम से बिहार आए और इन्होंने पाटलिपुत्र टाइम्स, आर्यावर्त जैसे अखबारों को अतीत बना दिया। जनशक्ति अंतिम सांस ले रहा था। इनके कलेवर के आगे आज जैसा अखबार भी दब सा गया था। इसी क्रम में औरंगाबाद में भी पत्रकारों की नई पीढ़ी उभरी। युवा पत्रकार कमल किशोर हिंदुस्तान के पत्रकार बन के आए तो नवभारत टाइम्स की कमान जगन्नाथ गुप्त ने संभाली। 2 साल बाद कमल जी ने हिंदुस्तान छोड़ दिया और अपना अखबार नवबिहार टाइम्स शुरू किया। बीच में कुछ महीने रिटायर्ड जन संपर्क अधिकारी श्रीधर मिश्र ने हिंदुस्तान की कमान संभाली। फिर मैं हिंदुस्तान का जिला संवाददाता बन के आया। मेरा पत्रकारिता का सफर हिंदुस्तान के साथ 90 से शुरू हो कर 2017 तक चला। इसके बाद मैं 2017 से टाइम्स ऑफ इंडिया को अपनी सेवाएं दे रहा हूं। इस बीच मैं हिंदुस्तान में जिला संवाददाता से ब्यूरो इंचार्ज और उप संपादक तक बना। मेरे ही कार्यकाल में वर्ष 2000 में कैमूर संस्करण और 2002 में औरंगाबाद संस्करण की शुरुआत हुई तथा पहली बार हिंदुस्तान जैसे अखबार ने औरंगाबाद में अपना कार्यालय स्थापित किया। इस बीच अरविंद अकेला भी पत्रकारिता में आए पर वे मूलतः कवि थे। वे जल्द ही साहित्य की दुनिया में चले गए। इस बीच आज अखबार से उदय बाबू ने अवकाश ग्रहण किया और उनका स्थान अभय सिन्हा ने लिया। वे 90 के मध्य तक आज में रहे और उसके बाद जितेंद्र सिंह आ गए। 1993 94 में रवि सिंह का प्रवेश पत्रकारिता में हुआ और वे राष्ट्रीय सहारा के रिपोर्टर बने। इस बीच नौ लाख बाबू और अनिरुद्ध बाबू का निधन हो गया, श्रीधर मिश्र, सुहैल साहब ने अपनी उम्र को देखते हुए काम छोड़ दिया। 90 के दशक के अंत तक नीलम बाबू भी अलग हो गए तब कमल किशोर ने आकाशवाणी की कमान संभाली। 90के दशक में ही पलामू से एक अखबार राष्ट्रीय नवीन मेल शुरू हुआ जिसमें अदनान नैयर, भरत ठाकुर जैसे लोग जुड़े पर जल्द ही ये प्रयोग शिथिल पड़ गया और ये अखबार कोई खास जगह नहीं बना पाया। इसके साथ ही नवभारत टाइम्स जिस धूम धाम से आया था वैसे ही अचानक एक दिन बंद भी हो गया। इसी समय पत्रकारों की नई और पुरानी पीढ़ी में कुछ वैचारिक मतभेद उभरे और जिला पत्रकार संघ ( नौलख बाबू, नीलम बाबू आदि) से अलग हो कर कमल किशोर और लल्लू सिंह ने जिला प्रेस क्लब की स्थापना की। मैं इन दोनों संगठनों के बीच में रहा और इस वजह से कह सकता हूं कि मतभेद भले रहे पर परस्पर सम्मान और गरिमा का भाव बना रहा। 90 का दशक कई अन्य अखबारों के उत्थान या पतन का भी दशक रहा जिसमें संध्या प्रहरी जैसे अखबार भी शामिल थे। इसी दौरान कमल किशोर के भाई श्री राम अंबष्ट ने सोन वर्षा वाणी अखबार की भी शुरुआत की। इस प्रकार औरंगाबाद से 2 अखबार छपने लगे। एक दो पत्रिकाओं की भी शुरुआत हुई पर वो सफल न हो सकीं। आर्यावर्त ने भी पुनः खुद को जीवित करने की एक कोशिश की और उससे सुरेन्द्र मिश्र तथा मुकेश सिंह जुड़े पर ये कोशिश नाकाम रही। जल्द ही आर्यावर्त बंद हो गया। ये सब मैं अपनी स्मृतियों के आधार पर लिख रहा हूं। जल्द ही इसे पुस्तक का रूप दूंगा। उसमें फिर सारे डिटेल होंगे। वर्ष 2000 से फिर पत्रकारिता में बड़े बदलाव हुए। उसकी कहानी अगले भाग में।

संलग्न चित्र 1995 का मेरे आवास पर पत्रकारों की एक बैठक का है जिसमें मैं (हिंदुस्तान) , कमल किशोर (नवबिहार टाइम्स), अभय सिन्हा(आज), रवि सिंह(राष्ट्रीय सहारा), लल्लू सिंह(जनशक्ति), अदनान नैयर(राष्ट्रीय नवीन मेल) नज़र आ रहे हैं। स्थानीय लोग इन सबों को पहचान ही गए होंगे। लल्लू बाबू अब हमारा साथ छोड़ गए हैं। उन्हें नमन।

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना