रजनीश कुमार झा/ जो पत्रकार संगठन कभी पत्रकारों के लिए खड़ा नहीं हुआ, वो जैसे ही सोनिया ने मीडिया मे सरकारी विज्ञापनों मे कटौती का सुझाव दिया मीडिया मालिकों के लिए एकत्रित हो गए।
मुम्बई हमला के समय जब ऐसे ही गैर जिम्मेदार पत्रकारिता पर नकेल कसने की तैयारी हो रही थी तो मीडिया मालिकों के आदेश पर टीवी संपादकों ने फटाफट संगठन बनाया और सरकार का विरोध किया।
लब्बोलुबाब ये कि सरकार से लूट का बड़ा हिस्सा मीडिया मालिक डकार जाते हैं जिनका पत्रकारों से कोई सरोकार नहीं होता और इन्ही मालिक के दलाल ये संगठन के नामचीन पत्रकारों को पत्रकारिता हित का लॉलीपॉप देकर अपने लिए कुकर्म करवा लेते हैं।