मनोज कुमार/ सोशल मीडिया पर एक पीड़ादायक तस्वीर के साथ एक सूचना शेयर की जा रही है कि एक मजबूर पिता और एक मासूम बच्चा अपने भाई की लाश अपनी गोद में लिये कभी उसे दुलारता है तो कभी खुद रोने लगता है. पिता को बच्चे की लाश घर ले जाने के लिए एम्बुलेंस की जरूरत है लेकिन व्यवस्था के पास यह सु…
Blog posts : "मुद्दा "
संवाद से संवेदना जगाइए
क्या यही है 'विश्वगुरु भारत' की पत्रकारिता का स्तर?
तनवीर जाफ़री/ हमारे देश में चल रही सत्ता और मीडिया की जुगलबंदी, अनैतिकता की सभी हदें पार कर चुकी है। सत्ता की चाटुकारिता करना, झूठ पर झूठ प्रसारित करना और विपक्ष को कटघरे में खड़ा करना गोया इसका पेशा बन चुका है। आज देश में सांप्रदायिक वैमनस्य का जो वातावरण बना है उसके लिये जहां साम…
सवालों में पत्रकारिता और पत्रकारिता पर सवाल
हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष
मनोज कुमार/ सवाल करती पत्रकारिता इन दिनों स्वयं सवालों के घेरे में है. पत्रकारिता का प्रथम पाठ यही पढ़ाया जाता है कि जिसके पास जितने अधिक सवाल होंगे, जितनी अधिक जिज्ञासा होगी, वह उतना कामयाब पत…
मीडिया में हिंदी का बढ़ता वर्चस्व
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ 30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी प…
कोई अदृश्य ताक़त है जो हर दिन सारे न्यूज़ रूम को ख़बर दे रहा!
पत्रकारिता की चाह रखने वाले पत्रकार अवसाद से घिरते जा रहे
रवीश कुमार। भारत में मीडिया समाप्त हो चुका है। ऐसी बाढ़ आई है कि अब टापू भी नहीं बचे हैं। हम सभी किसी ईंट पर तो किसी पेड़ पर …
खबरिया चैनल्स तोड़ रहे मर्यादाएं
झूठी खबरें भी सीना ठोंककर परोसने से बाज नहीं आ रहे
लिमटी खरे/ कहा जाता है कि किसी भी परंपरा में बदलाव अवश्यंभावी हैं, पर उसके मूल सिद्धांतों, मान्य परंपराओं को कभी भी तजना नहीं चाहिए। आज हम बात कर रहे …
सरकार ने टी वी चैनल्स को दिखाया दर्पण
देर आयद दुरुस्त आयद
निर्मल रानी/ भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गत दिनों टीवी चैनल्स के लिये एक चेतावनी रुपी ऐडवाइज़री जारी की है। मंत्रालय ने इस ऐडवाइज़री के माध्यम से रूस व यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध तथा पिछले दिनों राजधानी दिल्ली क…
पत्रकारों को अर्धनग्न कर फोटो सार्वजनिक करने की इजाजत किसने दी!
सोशल मीडिया मंच, व नए पत्रकारिता स्वरूप के दिशा निर्देश तय करने होंगे केंद्र सरकार को
लिमटी खरे/ इस समय सोशल मीडिया पर मध्य प्रदेश के सीधी जिल…
अखबारी कागजों की कीमत की आग में झुलसता अखबार उद्योग
लिमटी खरे/ कोरोना कोविड 19 के चलते 2020 के बाद अखबारों पर संकट के बादल छाने आरंभ हुए थे, जो आभी बदस्तूर उतने ही घने और स्याह ही दिखाई दे रहे हैं। कोविड काल में अखबार की प्रोडक्शन कास्ट में जमकर बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। बिजली की दरें, स्याही, मशीन के उपरकरण आदि तो महंगे हुए ही हैं, साथ…
पत्रकारों के सवालों से 'लाजवाब' होते यह 'रणछोड़'
निर्मल रानी/ हमारे देश में 'मीडिया' व पत्रकारिता का स्तर इतना गिर चुका है कि 'गोदी मीडिया ', 'दलाल मीडिया' व 'चाटुकार मीडिया' जैसे शब्द प्रचलन में आ गये हैं। दुर्भाग्यवश सत्ता प्रतिष्ठान को 'दंडवत ' करने तथा सत्ता के एजेंडे को प्रसारित करने वाले पत्रकारों को भी दलाल,चाटुकार व बिक…
भारतीय मीडिया इस अपमान का प्रतिकार भी नहीं कर सकता!
रवीश कुमार। ट्रंप के बाद अब बाइडन के सामने भी गोदी मीडिया को लेकर अपमानित होना पड़ा मोदी को. "मुझे लगता है कि वे प्रेस को यहां लाने जा रहे हैं। भारतीय प्रेस अमरीकी प्रेस की तुलना में कहीं ज़्यादा शालीन है। मैं सोचता हूं, आपकी अनुमति से भी, हमें सवालों के जवाब नहीं देने चाहिए क्यो…
बेनकाब हुआ पश्चिमी मीडिया का दोगला और दोहरापन
पत्रकारिता के नैतिक मापदंडों पर पश्चिमी मीडिया का दागदार चेहरा
डॉ अजय खेमरिया/ भारतीय जनसंचार संस्थान के एक ऑनलाइन सर्वेक्षण एवं शोध के नतीजे बताते है कि भारत में अधिस…
बहुजन मीडिया की जरूरत, आखिर क्यों ?
संजीव खुदशाह/ मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खंभा कहा जाता है। मैं इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ। लेकिन मीडिया को लोकतंत्र का चौथा खंभा कहलाने के लिए उसका लोकतांत्रिक, विविधता पूर्ण, सोशल बैलेंस से लैस होना चाहिए। लेकिन भारतीय मीडिया किसी राजतंत्र की तरह सिर्फ सवर्णों द्वारा संचालित …
संभावनाओं भरा है हिंदी पत्रकारिता का भविष्य
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
डॉ. पवन सिंह मलिक/ 30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' देश के लिए एक गौरव का दिन है। आज विश्व में हिंदी के बढ़ते वर्चस्व व सम्मान में हिंदी पत्रकारिता का विशेष योगदान है। हिंदी पत्रक…
पत्रकारिता दिवस का मान बढ़ाया भोपाल-इंदौर ने
30 मई 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' पर विशेष
मनोज कुमार/ एक पत्रकार के लिए आत्मसम्मान सबसे बड़ी पूंजी होती है और जब किसी पत्रकार को अपनी यह पूंजी गंवानी पड़े या गिरवी रखना पड़े तो उसकी मन:स्थिति का अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता ह…
नारद दृष्टि : पत्रकारिता का पथ प्रदर्शक
डॉ. पवन सिंह मलिक/ आज पूरा विश्व भारत की ओर आशा भरी नजरों से देख रहा है, क्योंकि भारत ही विश्व को सही दिशा और दशा देने की क्षमता रखता है। ऐसे में लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ होने के कारण मीडिया जगत की भूमिका और अधिक बढ़ जाती है कि विश्व के समक्ष अपने राष्ट्र की कैसी तस्वीर प्रस…
डिजीटल ट्रांसफार्मेशन के लिए तैयार हों नए पत्रकार
नए समय में मीडिया शिक्षा की चुनौतियां
प्रो. संजय द्विवेदी/ एक समय था जब माना जाता है कि पत्रकार पैदा होते हैं और पत्रकारिता पढ़ा कर सिखाई नहीं जा सकती। अब वक्त बदल गया है। जनसंचार का क्षेत्र आज शिक्षा क…
दैनिक भास्कर का फर्जीवाड़ा!
अनिल सिंह / क्या यह प्रायोजित खबर नहीं है? क्या प्रेस को ऐसी स्वंतंत्रता मिलनी चाहिए?
अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर भास्कर के अलग-अलग शहरों के 03 मई 2…
बेमानी है प्रेस फ्रीडम की बातें
पूरी दुनिया में पत्रकार बेहाल हैं और प्रेस बंधक होता चला जा रहा है
मनोज कुमार/ तीन दशक पहले संयुक्त राष्ट्र संघ ने 3 मई को विश्व प्रेस फ्रीडम डे मनाने का ऐलान किया था. तब से…
'ग़ुलाम मीडिया ' जनता की बदहाली का सबसे बड़ा ज़िम्मेदार
निर्मल रानी/ हमारा देश इस समय संकट के किस भयानक दौर से गुज़र रहा है इसे दोहराने की ज़रुरत नहीं। संक्षेप में यही कि जब देश प्यास से मर रहा है उस समय सरकारें कुंवे खोदने में लगी हैं। और इन कुंओं को खोदते खोदते कितनी और जानें काल के मुंह में समा जाएंगी इसका कोई अंदाज़ा नहीं है। सत्ता…
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कैलाश दहियाJuly 12, 2022
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Shambuk AnmolJuly 11, 2022
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V K SharmaJune 18, 2022
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AnonymousJune 4, 2022
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विनोदशुक्लDecember 29, 2021
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October 16, 2021
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Yogita SharmaOctober 10, 2021
सम्पादक
डॉ. लीना