आकाशवाणी के कार्यक्रमों में बुलाए जाने वाले मेहमानों पर जन मीडिया का सर्वे
देश में 23 भाषाओं और 146 बोलियों में अपने कार्यक्रम के जरिये देश जनसंख्या के 99.18% तक अपनी पंहुच रखने का दावा आकाशवाणी करता है लेकिन उसके कार्यक्रम कुछ खास विषयों और कुछ खास लोगों के विचारों को प्रसारित करने वाला एक लोक प्रसारक केन्द्र बन गया है। मीडिया शोध की मासिक पत्रिका जनमीडिया के नये अंक में प्रकाशित एक सर्वे में यह दावा किया गया है। पत्रकार अनिल चमड़िया के संपादन में हिन्दी में प्रकाशित जन मीडिया और अंग्रेजी में मास मीडिया के हर अंक में मीडिया पर आधारित एक सर्वे प्रस्तुत किया जाता है। मीडिया स्टडीज ग्रुप के लिए आकाशवाणी पर इस सर्वे का शोधार्थी वरूण शैलेश ने विश्लेषण तैयार किया है। यह सर्वे सूचना के अधिकार कानून के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर किया गया है।
सर्वे के जो परिणाम निकल कर सामने आए है वे ऑल इंडिया रेडियो के 2011 के दौरान सामयिकी, स्पॉटलाइट, न्यूज एनालिसिस,मनी टॉक, समाचार चर्चा, कंट्रीवाइड और करेंट अफेयर्स के तहत 527 प्रसारित कार्यक्रमों पर आधारित है। इस सर्वे में यह भी तथ्य उभरकर सामने आया है कि आकाशवाणी पर एक विशेष समूह को बातचीत के लिए बार बार आमंत्रित किया जाता है। आकाशवाणी की तरफ से मुहैया कराई गई सूची के मुताबिक हिन्दी के कार्यक्रमों के लिए वर्ष 2011 में 242 मेहमानों को आमंत्रित किया गया।
अंग्रेजी के कार्यक्रमों में सामायिकी, स्पॉटलाइट, न्यूज एनालिसिस,मनी टॉक, समाचार चर्चा, कंट्रीवाइड और करेंट अफेयर्स जैसे कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं। पर प्रसारित कार्यक्रमों के लिए बुलाए गए विशेषज्ञों की सूची बताती है कि कुछ खास लोगों का लोक प्रसारक के कार्यक्रमों पर एक तरह से कब्जा है ।कई मेहमानों को एक से ज्यादा विषयों पर अपनी विशेषज्ञ टिप्पणी देने के लिए बुलाया गया। 2011 में 12 ऐसे मेहमान है जो 25 बार से लेकर 10 बार बुलाए गए। इनके नाम जन मीडिया और मास मीडिया में प्रकाशित किए गए हैं। आकाशवाणी में कार्यक्रमों के लिए आमंत्रित दस मेहमान ऐसे हैं जिन्हें वर्षभर में करीब 1लाख साठ हजार रूपये से लेकर 53 हजार रूपये तक का भुगतान किया गया है। इनके भी नाम जन मीडिया और मास मीडिया के नये अंक में प्रकाशित किए गए हैं।
मीडिया स्टडीज ग्रुप द्वारा कराए गए सर्वे को इन पत्रिकाओं में प्रकाशित जाता है। पूर्व में कराए गए सर्वें में भी यह देखा गया कि लोकसभा टीवी से लेकर विभिन्न निजी व सरकारी मीडिया स्थानों में कुछ खास लोगों को विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों के रूप में बुलाने की प्रथा चली आ रही है। पत्रिका ने आपातकाल के दिनों में भी दूरदर्शन पर बुलाए जाने वाले मेहमानों का एक सर्वे प्रकाशित किया था। आपातकाल के दौर से आज तक इस मायने में स्थितियां बदलती नहीं दिखती है।सर्वे का मकसद कार्यक्रमों के लिहाज से आकाशवाणी के लोकतांत्रिक ढांचे की पड़ताल करना था।