साकिब जिया/ नेपाल में आए विनाशकारी भूंकप के बाद वहां उतपन्न त्रासदी के बीच राहत और बचाव कार्यों के कवरेज के लिए वहां पहुंची भारतीय मीडिया की टीम ने जहां नेपाल की भयावह स्थिती और बचाव कार्यों के बारे मे पल-पल की जानकारी दुनिया के लोगों तक पहुंचाई। एक ओर जहां अपनी जान जोखिम में डालकर मीडियाकर्मी वहां की ताजा स्थिति से अवगत कराते रहे और जिसके लिए भारतीय मीडिया की भूरी-भूरी प्रशंसा की गई। वहीं एक बार फिर मीडिया पर लगते रहे संवेदनहीनता के आरोपों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।
मीडियाकर्मी जिस चटपटे अंदाज में ह्दयविदारक घटना को पेश कर रहे थे उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मीडियाकर्मियों के पास संवेदनशीलता और जवाबदेही नाम की चीज नहीं रह गई है। खबरों की पेशकश को रोचक और मसालेदार बनाना पूरी तरह स्थिति पर निर्भर करता है और स्थिति के अनुरूप ही बातों को रखना ही मीडिया में शालीन प्रवृति मानी जाती है लेकिन शायद टीआरपी के चक्कर में हमें इसका जरा भी ध्यान नहीं रह पाता है। मीडिया का ये नकारात्मक रवैया लाशों को टीआरपी का कफन पहनाना जैसा है। यही कारण है कि नेपाल में “गो बैक इंडियन मीडिया,गो बैक” के नारे भी लगे। यही नहीं जहां भारतीय पत्रकारों का दल ठहरा हुआ था वहां से लौटे हमारे कई सहयोगियों ने ये भी बताया कि दीवारों पर भारतीय मीडिया के विरोध में पोस्टर भी चिपकाये गये थे।
जहां तक नेपाल में भीषण त्रासदी के बाद वहां राहत और बचाव कार्यों में भारतीय दल की भूमिका और भारत सरकार के असाधारण सहयोग का प्रश्न है इसके लिए भारत सरकार की पूरे विश्व में सराहना की जा रही है। नेपाल ने इसके लिए स्वयं को भारत का ऋणि बताया है। एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय चैनल पर भारत में नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा कि उनके देश को भारत पर गर्व है और वो इसे अपना बड़ा भाई कहने पर गर्व महसूस कर रहा है। भारत ने अपने बड़े होने का खूब परिचय दिया है जिसे नेपाल के साथ साथ दुनिया के कई देशों ने भी सराहा है। भारत सरकार ने इस दशक की सबसे बड़ी त्रासदी के बाद जिस तरह से तत्परता दिखाते हुए ऑपरेशन मैत्री चलाया वो बेमिसाल है जिसे भारत के सभी राजनीतिक दलों ने भी सराहा है।
साकिब जिया-मीडियामोरचा के ब्यूरो चीफ हैं