बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने सहित, पत्रकारों की कई मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
माँगे इस प्रकार हैं -
1. पत्रकारों को राजधानी के इंदिरा
गाँधी चिकित्सा विज्ञान संस्थान
(आइ. जी.
आइ. एम्.
एस) तथा अन्य
सभी मेडिकल कालेजों में नि:शुल्क चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। इसके साथ ही उन्हें समस्त दवाएं भी नि:शुल्क उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए। जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी कर्मचारियों की भांति ही पत्रकारों के इलाज के लिए स्थायी निधि की व्यवस्था करायी जाए। इसके लिए सूचना विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया जाए।
2.
गंभीर बीमारी की स्थिति में राज्य के बाहर प्रख्यात चिकित्सा संस्थानों यथा एम्स नई दिल्ली,
टाटा कैंसर इंस्टीटयूट मुम्बई और मेदान्ता,
गुड़गांव में इलाज कराने की स्थिति में पत्रकारों के चिकित्सा व्यय की धन राशि सीधे उन
संस्थानों को भेजी जाए अथवा प्रतिपूर्ति प्राथमिकता के आधार प रतत्काल कराने की व्यवस्था की जाए।
3. जिला मुख्यालयों पर स्थित संयुक्त एवं जिला चिकित्सालयों में नि:शुल्क चिकित्सा,
नि:शुल्क प्राइवेट वार्ड आबंटन और दवाओं की लोकल परचेज की व्यवस्था पुन:
प्रदान करायी जाए। इस हेतु तुरत शासनादेश जारी कराया जाए।
4. गैरमान्यता प्राप्त पत्रकारों एवं प्रेस कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा हेतु सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग,
उ.प्र.
एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से चिकित्सा कार्ड जारी कराया जाए। मान्यता पत्रकारों के परिचयपत्र पर नि:शुल्क चिकित्सा का उल्लेख किया जाए।5.
पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं को तत्काल रोकने तथा मीडिया और प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु जिला स्तर पर सात सदस्यीय स्थायी
सौहार्द समितियों का गठन कराया जाए। समिति में जिलाधिकारी, पुलिसअधीक्षक, सूचनाअधिकारी, पत्रकारों की केंद्रीय ट्रेड यूनियनों का एक- एक प्रतिनिधि, इलेक्ट्रानिक मीडिया का एक प्रतिनिधि (मान्यता प्राप्त पत्रकार) को शामिल किया जाए।
6. राज्य स्तर पर पत्रकार उत्पीड़न के मामलों के निस्तारण तथा अन्य समस्याओं पर विचार हेतु एक स्थायी समिति का गठन किया जाए। इस समिति में गृहसचिव,
अपर पुलिस महानिदेशक (कानूनव्यवस्था), सूचना निदेशक, श्रमसचिव, स्वास्थ्यसचिव, पत्रकारों की राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त केंद्रीय
ट्रेड
यूनियनों के दो-
दो प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाए।
7. बिहार प्रदेश के पत्रकारों की पेंशन और जीवन बीमा के लिए प्रेस इंफारमेशन ब्यूरो नई दिल्ली की तर्ज पर राज्य में व्यवस्था की जाए। (केन्द्र सरकार पीआईबी मान्यता प्राप्त पत्रकारों के लिए निशुल्क चिकित्सा, पेंशन और बीमा सुविधा प्रदान करती है।साथ ही कई अन्य राज्यों ने भी इस दिशा में सार्थक पहल की है।)
8. मीडिया के व्यापक विस्तार को दृषिटगत रखते हुए श्रमजीवी पत्रकारों के लिए राजधानी में नई पत्रकार कालोनी तथा सभी जिलों, अनुमंडलों एवं प्रखंडों में भी
पत्रकार कालोनियों का निर्माण कराया जाए। समस्त आवासीय प्राधिकरणों एवं आवास विकास परिषद्
की
आवासीय योजनाओं में पत्रकारों को जनप्रतिनिधियों, पूर्व सैनिकों की भांति प्राथमिकता एवं रियायती दरों पर आवास एवं भूखण्ड उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए।
9. बिहार राज्य
पर्यटन निगम के प्रदेश में निर्मित अतिथिगृहों एवं होटलों में तथा सर्किटहाउसों में पत्रकारों को प्रवास के दौरान 75 प्रतिशत रियायत पर अल्पकालिक आवासीय सुविधा उपलब्ध करायी जाए।
10. राज्य के समस्त श्रम न्यायालयों एवं श्रम न्यायाधिकरणों (लेबर ट्रिब्यूनल) में स्थायी एवं पूर्णकालिक पीठासीन अधिकारियों की नियुक्ति की जाए। पीठासीन अधिकारी का कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व ही पीठ पर नियुक्ति की जाए। ताकि श्रमिकों से जुड़े मामलों की सुनवाई एवं न्याय में बिलम्वन हो। इस दिशा में फास्ट ट्रेक कोर्ट की व्यवस्था आवश्यक है.
11. मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कराने हेतु राज्यस्तरीय त्रि-पक्षीय समिति का अतिशीघ्र गठन कराया जाए। समिति में समाचार पत्र उद्योग के प्रतिनिधि, शासन के प्रतिनिधि एवं सभी केंद्रीय पत्रकार यूनियनों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया जाए।
भवदीय
(अरुण कुमार)
महासचिव, बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन
सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद