सुशान्त बनाम किसानों की आत्महत्या/हत्या पर मीडिया कवरेज
अपूर्व भारद्वाज। सुशान्त की आत्महत्या/हत्या औऱ किसानों की आत्महत्या पर किये गए मीडिया कवरेज का जब मैंने तुलनात्मक डाटा विश्लेषण किया तो मैं हैरान हो गया। आप पोस्ट के साथ डाटा ग्राफ देख रहे होंगे वो भारत की मीडिया की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। लगभग 130 न्यूज सोर्स का डाटा लेकर जब विश्लेषण किया तो चौकाने वाले नतीजे मिले।
2020 के पहले 6 महीनों में अकेले महाराष्ट्र में औसतन 1000 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। उस पर मीडिया ने लगभग न के बराबर रिपोर्ट किया है और अकेले सुशांत के केस पर औसतन 500 स्टोरी 14 जून से अब तक हो चुकी है। जिस देश का चौथा स्तंभ एकस्टार तथाकथित आत्महत्या/हत्या को हजारों अन्नदाताओं से बढ़कर कवरेज देता है वो उस देश के लोकतंत्र और समाज की स्थिति बताने के लिए बहुत है।
अपूर्व भारद्वाज के फेसबुक वाल से साभार