जन लेखक संघ का चतुर्थ राज्य सम्मेलन संपन्न, भारतीय सूचना सेवा के संजय कुमार, चितरंजन भारती, जितेंद्र वर्मा, अश्विनी कुमार आलोक, बांके बिहारी साव, श्रीकांत व्यास, लता पराशर सहित 11 सम्मानित
पटना/ वरिष्ठ लेखक - साहित्यकार एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी जिया लाल आर्य ने कहा है कि बिहार सदियों से जनहित लेखन की धरती रही है. यहां के साहित्यकार जनता के पथ प्रदर्शक के रूप में तो कभी सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों को ललकार कर आम आदमी की जन आकांक्षाओं को पूर्ण करने में सहयोगी बनते रहे हैं . वे रविवार को कालिदास रंगालय स्थित अनिल कुमार मुखर्जी सभागार में जन लेखक संघ के चतुर्थ बिहार राज्य सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राज्य के विभिन्न जिलों से आए लेखक- साहित्यकारों को संबोधित कर रहे थे.
श्री आर्य ने कहा कि आज भी गांवों - कस्बों में भी स्तरीय और उपयोगी साहित्य खूब लिखा जा रहा है, आवश्यकता है ऐसे रचनाकारों को मुख्यधारा से जोड़ने की I उन्होंने उम्मीद जतायी कि जन लेखक संघ ऐसे लेखक- साहित्यकारों को उचित मंच और प्लेटफार्म उपलब्ध कराएगा.
जेपी विश्वविद्यालय, छपरा के सहायक प्राध्यापक डॉ जितेंद्र वर्मा ने " हिन्दी साहित्य के वर्तमान परिदृश्य में बिहार के साहित्यकार " विषय पर शोध आलेख पाठ करते हुए कहा कि रेणु, शिवपूजन सहाय अनूप लाल मंडल से लेकर रामधारी सिंह दिवाकर, चंद्र किशोर जायसवाल और बाबूलाल मधुकर भी अपनी लेखनी से गांव और ग्रामीणों का सटीक चित्रण करते रहे हैं.
सम्मेलन में जन लेखक संघ के राष्ट्रीय महासचिव महेंद्र नारायण पंकज, पटना विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ शरदेंदु कुमार, मधेपुरा के गजेंद्र कुमार, नालंदा के आनंद वर्धन, अररिया के चंदन विश्वास, आरा के मृत्युंजय कुमार, दिल्ली के कुमार वीरभूषण यादव, हाजीपुर के सुधांशु कुमार चक्रवर्ती और पटना की लीना ने जन-जन तक पहुंचने वाले साहित्य लिखने पर जोर दिया।
इस अवसर पर 11 साहित्यकारों को उनकी उत्कृष्ट साहित्य साधना और सेवा के लिए सम्मानित किया गया. इनमें भारतीय सूचना सेवा के संजय कुमार, जितेंद्र वर्मा, अश्विनी कुमार आलोक, प्रसिद्ध व्यंग्यकार बांके बिहारी साव, कहानीकार चितरंजन भारती, उपन्यासकार श्रीकांत व्यास, कवियत्री लता पराशर, दीनानाथ सहनी, लघुकथाकार अनिल रश्मि, मगही साहित्यकार प्रभात वर्मा और नाटककार सुधांशु कुमार चक्रवर्ती शामिल हैं.
इस अवसर पर आलोक चोपड़ा, राजा पूटू, आदर्श कुमार उपेंद्र और अरुण कुमार विद्यार्थी भी मौजूद थे.
अध्यक्षता करते हुए जन लेखक संघ बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि लेखक- साहित्यकारों को सत्ता सुख की जगह जनपक्षधरता की राह पकड़नी होगी .